नयी दिल्ली: दिवाली से पहले बाजारों में बढ़ती जगमग के बीच कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) का अनुमान है कि कारोबार की दृष्टि से इस बार पिछले एक दशक का सबसे मजबूत त्यौहारी सीजन होगा दिवाली त्यौहार की बिक्री 4.75 लाख करोड़ रुपये के अभूतपूर्व स्तर को पार कर सकती है। कैट का अनुमान है कि स्वदेशी की अपील और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी के चलते इस बार बाजार में अलग उत्साह है।
दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से सांसद एवं कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जीएसटी दरों में की गई कमी और "स्वदेशी" व "वोकल फॉर लोकल" का आह्वान देश के व्यापारी समुदाय के लिए बड़ा बदलाव कर दिया है।उन्होंने कहा, "यह दिवाली केवल घरों को नहीं, बल्कि देश के लाखों व्यापारियों, निर्माताओं, कारीगरों और सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों के जीवन को भी रोशन करेगी।"
खंडेलवाल ने कहा कि देश के कोने-कोने में फैले पारंपरिक बाजारों से लेकर आधुनिक मॉल तक हर जगह जबरदस्त भीड़ और उपभोक्ताओं का उत्साह देखने को मिल रहा है। इस वर्ष का त्यौहार भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था की वास्तविक ताकत को दर्शा रहा है, जहाँ हर वर्ग के लोग अपनी क्षमता के अनुसार खरीदारी कर रहे हैं।
कैट के अनुसार एक ओर करोड़ों परिवार दिवाली पर 500 या उससे कम की खरीदारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लाखों उपभोक्ता हजारों और लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं। यही विविधता दिवाली सीजन को देश के रिटेल कारोबार के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय बनाती है। कैट की रविवार की विज्ञप्ति के अनुसार इस वर्ष दिवाली का कुल व्यापार लगभग 4.75 लाख करोड़ रुपये का रहेगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में खर्च का अनुमान इस प्रकार है—
13% – खाद्य सामग्री और किराना,
3% – फल और ड्राई फ्रूट,
4% – मिठाई और नमकीन,
12% – वस्त्र और परिधान,
4% – इलेक्ट्रिकल सामान,
8% – इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद,
3% – बिल्डर्स हार्डवेयर,
3% – होम डेकोर,
6% – कॉस्मेटिक्स और पर्सनल केयर,
3% – बर्तन और किचनवेयर,
3% – पूजा सामग्री,
2% – कन्फेक्शनरी और बेकरी उत्पाद,
4% – फर्निशिंग और फर्नीचर,
8% – गिफ्ट आइटम् तथा
24% – विविध वस्तुएँ और सेवाएँ जिनमें ऑटोमोबाइल, खिलौने, पैकेजिंग, स्टेशनरी, ट्रैवल आदि शामिल हैं।
खंडेलवाल ने कहा की बाजारों में स्वदेशी उत्पादों की बढ़ी मांग है जिसमें आत्मनिर्भर भारत की झलक दिखाई देती है। देशभर के व्यापारियों ने बताया है कि इस बार उपभोक्ता विदेशी वस्तुओं की बजाय स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे न केवल स्थानीय उद्योगों को बल मिल रहा है बल्कि यह प्रवृत्ति प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विज़न को सशक्त बना रही है।
दिवाली के उत्सवों का प्रभाव केवल व्यापार तक सीमित नहीं है। देशभर में हो रहे हजारों कार्यक्रमों, समारोहों और आयोजनों के कारण होटल, रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल, कैटरिंग, इवेंट मैनेजमेंट, टैक्सी सेवाएं, डेकोरेटर, संगीतकार और कलाकारों को भी बड़े पैमाने पर काम और कारोबार मिल रहा है। व्यापारी नेता और सांसद खंडेलवाल ने कहा, "दिवाली केवल दीप जलाने का पर्व नहीं, बल्कि भारत की पूरी आर्थिक व्यवस्था को ऊर्जा देने का पर्व है।"
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Mon, Oct 06 , 2025, 08:11 AM