Hartalika Teej 2025: हिंदू धर्म में हरतालिका तृतीया (Hartalika Teej 2025) का बहुत महत्व है। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) से एक दिन पहले पड़ने वाला यह पर्व महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। हरतालिका पर्व (Hartalika festival) भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत मुख्य रूप से सौभाग्य, अखंड सुहाग और दीर्घायु वैवाहिक जीवन की कामना के लिए किया जाता है। लेकिन अक्सर महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है कि क्या एक बार यह व्रत करने के बाद जीवन भर हरतालिका तृतीया का व्रत रखना ज़रूरी है? धार्मिक कारण, जानें शास्त्र क्या कहते हैं...
क्या हरतालिका व्रत एक बार, जीवन भर रखना अनिवार्य है?
भाद्रपद मास की तृतीया को पड़ने वाला हरतालिका तृतीया व्रत (Hartalika Tritiya Vrat) सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास पर्व माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माता पार्वती ने तपस्या करके शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। मान्यता है कि यह व्रत न केवल पति की लंबी आयु प्रदान करता है, बल्कि वैवाहिक जीवन की हर समस्या को भी दूर करता है। हालाँकि, महिलाओं के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि अगर कोई एक बार हरतालिका तृतीया का व्रत शुरू कर देती है, तो क्या उसे इसे जीवन भर रखना पड़ता है?
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में कहा गया है...
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, हरतालिका तृतीया व्रत का महत्व बहुत अधिक है और इसे बहुत पुण्यदायी माना जाता है। मान्यता है कि एक बार इस व्रत को शुरू करने के बाद, महिला को इसे जीवन भर यथासंभव रखना चाहिए। क्योंकि यह व्रत देवी पार्वती और भगवान शिव के मिलन की कथा से जुड़ा है और इसे बीच में छोड़ना शुभ नहीं माना जाता है।
अगर कोई महिला हर साल यह व्रत नहीं रख पाती है, तो...
अगर हरतालिका व्रत के दौरान, किसी स्वास्थ्य कारण से, या वृद्धावस्था या किसी अन्य मजबूरी के कारण, कोई महिला हर साल यह व्रत नहीं रख पाती है, तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उसे भगवान शिव-पार्वती का ध्यान करके व्रत खोलने की अनुमति होती है। कई जगहों पर ऐसी परंपरा है कि ऐसी स्थिति में कोई अन्य महिला (परिवार की बहू या बेटी) आगे बढ़कर व्रत रखती है।
यह स्त्री के जीवन के कई कष्टों को भी दूर करता है...
कहते हैं कि हरतालिका तृतीया व्रत न केवल वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है, बल्कि स्त्री के जीवन के कई कष्टों को भी दूर करता है। यह व्रत जीवनसाथी के प्रति समर्पण और निष्ठा का प्रतीक है। इसलिए महिलाएं इसे पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ करती हैं। हरतालिका तृतीया व्रत को बहुत ही पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है। एक बार इसे शुरू करने के बाद इसे आजीवन निभाने की परंपरा है, लेकिन असमर्थता होने पर शिव-पार्वती का ध्यान करके संकल्प त्यागने की अनुमति भी शास्त्रों में दी गई है।
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Mon, Aug 25 , 2025, 04:16 PM