Maharashtra Election : महाविकास अघाड़ी और महालियटी में कौन होगा विजेता?

Thu, Oct 17 , 2024, 06:56 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Maharashtra elections: चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly election) की तारीखों का ऐलान कर दिया है. राज्य की सभी 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. हालांकि राज्य में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ महालियटी और विपक्षी महाविकास अघाड़ी (Mahalyti and Opposition Maha Vikas Aghadi) के बीच है, लेकिन कुछ छोटे दल और नेता हैं जो दोनों गठबंधनों के खेल में खलल डालने में सक्षम हैं. इसमें राज ठाकरे, औवेसी, जारांगे, प्रकाश अंबेडकर शामिल हैं. सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन के घटक दलों बीजेपी, एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के बीच जोरदार मंथन चल रहा है और उम्मीद है कि जल्द ही इन पार्टियों के बीच सीट बंटवारा हो जाएगा.

महा विकास अघाड़ी के घटक दलों कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी (Uddhav Thackeray Shiv Sena and Sharad Pawar NCP) के बीच सीटों का बंटवारा अभी तक नहीं हो पाया है. वहां भी चर्चा अंतिम चरण में है और संभावना है कि दिवाली से एक सप्ताह के भीतर सीट आवंटन का मामला सुलझ जाएगा. इस बीच शरद पवार ने कहा है कि महाविकास अघाड़ी में 200 सीटों पर सहमति बनी है. वहीं, चर्चा है कि बीजेपी करीब 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है. पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति अब तक 100 नामों पर चर्चा कर चुकी है. ये वो नाम हैं जो 2019 में सामने आए थे. 2019 में बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं. विपक्षी दल एनसीपी (then United) ने 54 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं. अब शिवसेना और एनसीपी दो फाड़ हो गए हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाताओं की भूमिका क्या होगी क्योंकि एक-एक समूह दोनों मोर्चों पर है. फिलहाल दोनों गठबंधनों को छोटे दलों ने टेंशन दे दी है.

राज ठाकरे का स्वबल नारा -
लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे बीजेपी के साथ थे, लेकिन इस बार उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने कई जगहों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है और संकेत दिया है कि वह आगामी चुनाव अपने दम पर लड़ेगी. मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने घोषणा की है कि वह बिना किसी गठबंधन के अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हम पूरे जोश के साथ चुनाव लड़ेंगे. चुनाव के बाद उनकी पार्टी सत्ता में आयेगी. सभी राजनीतिक दलों (Political parties) में मनसे सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. 2006 में गठित, एमएनएस ने 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए 2014 और 2019 के चुनावों में एक-एक सीट जीती। 2019 में पार्टी को 2.25 फीसदी और 2014 में 3.15 फीसदी वोट मिले. चूंकि उनकी राजनीतिक जड़ें उद्धव की शिव सेना से जुड़ी हैं, इसलिए माना जा रहा है कि ठाकरे गदा लेकर शिव सेना के वोटों की ओर बढ़ेंगे.

औवेसी के कारण महाविकास अघाड़ी के वोट बैंक को झटका -
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी AIMIM भी महाराष्ट्र में धमाल मचा सकती है. ओवैसी की पार्टी मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ रही है। 2019 में एमआईएम ने 44 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से दो विधायक जीते और पार्टी को 1.34 फीसदी वोट मिले. इससे पहले 2014 में एमआईएम के दो विधायक जीते थे और उन्हें 0.93 फीसदी वोट मिले थे. इस बार एमआईएम मराठा आंदोलन के कार्यकर्ता मनोज जारांगे के साथ गठबंधन कर सकती है, जिन्होंने चुनाव लड़ने की घोषणा की है.

महायुति को झटका देने की तैयारी में मनोज जारांगे -
मनोज जारांगे मराठा समुदाय और खासकर युवा मराठों के बीच लोकप्रिय हैं। उन्होंने मौजूदा सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. मराठों के बीच लोकप्रिय होने के कारण मनोज जारांगे मराठवाड़ा के चुनावी समीकरण को बिगाड़ सकते हैं. राज्य की कुल आबादी में मराठाओं की हिस्सेदारी 32 फीसदी है. 2019 के चुनाव में मराठा समुदाय का बहुमत एनडीए के पक्ष में था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में मराठा समुदाय एनडीए गठबंधन से असंतुष्ट था. इससे राज्य में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को नुकसान उठाना पड़ा.


2019 में एनडीए ने मराठवाड़ा की सभी सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार इस इलाके में बीजेपी के कई दिग्गज चुनाव हार गए. माना जा रहा है कि जारांगे के चुनावी मैदान में उतरने से एनडीए के वोट बैंक को झटका लग सकता है. जारांगे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. अब सवाल सिर्फ मराठों का नहीं है. अब हम मुसलमानों, दलितों और किसानों को एकजुट करेंगे और महागठबंधन सरकार को उखाड़ फेंकेंगे.' इस बीच एमआईएम नेता इम्तियाज जलील ने मनोज जारांगे के साथ गठबंधन के संकेत दिए हैं. जलील मंगलवार शाम को जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव गए और जारांगे से मुलाकात की. अगर यह गठबंधन हुआ तो दोनों बड़े गठबंधनों (NDA and India) को नुकसान हो सकता है.

प्रकाश अंबेडकर भी खींच सकते हैं कई वोट -
मनोज जारांगे की भूमिका बनेगी महागठबंधन के लिए खतरा वहीं संविधान निर्माता डाॅ. बाबा साहेब अंबेडकर के परपोते प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी महाविकास अघाड़ी की राह में रोड़ा बन सकती है. लोकसभा चुनाव में अंबेडकर भारत अघाड़ी से दोस्ती करना चाहते थे, लेकिन सीट बंटवारे पर सहमति न बन पाने के कारण ये दोस्ती टूट गई.

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