चंडीगढ़, 04 अप्रैल (वार्ता)। चंडीगढ़ के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब कांग्रेस (Congress) आमने-सामने आ गई है। हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की तरफ से विधानसभा में चंडीगढ़ को लेकर पास किए गए प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जाहिर की गई और विधायक दल ने एकमत से कहा कि चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी थी, है और रहेगी।
उल्लेखनीय है कि पंजाब विधानसभा में पारित प्रस्ताव जिसमें चंडीगढ़ (Chandigarh) को पंजाब को सौंपने की मांग की गई। जिसमें भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने समर्थन किया था। पंजाब विधानसभा के प्रस्ताव पारित करने के बाद हरियाणा ने भी चंडीगढ़ के मुद्दे पर विधानसभा का एक विशेष सत्र मंगलवार (05 अप्रैल) को बुलाया है। हुड्डा ने अपनी पार्टी के विधायक दल की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि प्रदेश के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति (President) तक से मुलाकात की जाएगी। साथ ही एक बार फिर प्रधानमंत्री से मिलने का समय भी मांगा जाएगा।
उन्होंने कहा कि पंजाब के साथ हरियाणा के तीन मसलों को लेकर विवाद है। पहला सतुलज यमुना जोड़ नहर (एसवाईएल) का पानी, दूसरा हिंदी भाषी क्षेत्र और तीसरा राजधानी। हमारी प्राथमिकता है कि सबसे पहले उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के फैसले के मुताबिक हरियाणा को एसवाईएल का पानी मिले। उसके बाद बाकी मसलों पर भी बातचीत हो।
हुड्डा ने कहा कि विधायक दल की बैठक में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) में हरियाणा और पंजाब की स्थाई सदस्यता खत्म किए जाने का भी विरोध किया गया। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में पहले सदस्य(पावर) पंजाब से और सदस्य(सिंचाई) हरियाणा से होते थे, लेकिन संशोधित नियम में यह अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। संशोधित नियमों के मुताबिक अब सदस्य किसी भी राज्य से हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो बोर्ड में हरियाणा के हित सुरक्षित नहीं रह पाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में प्रदेशहित में जो भी प्रस्ताव लाया जाएगा, कांग्रेस उसका पुरजोर तरीके से समर्थन करेगी लेकिन, अगर कहीं भी हरियाणा का अहित दिखाई दिया तो उसपर विरोध भी दर्ज करवाया जाएगा क्योंकि पंजाब सरकार (Punjab Government) ने विधानसभा में जो प्रस्ताव पास किया है वह हरियाणा के अधिकारों के विरुद्ध है और पूर्णतः असंवैधानिक है। हुड्डा ने इसे राजनीतिक जुमला करार दिया है। उनका कहना है कि प्रदेशहित में अगर कोई भी कुर्बानी देनी पड़ी तो वो उसके लिए तैयार हैं। सिर्फ राजनीतिक दल (political party)ही नहीं बल्कि हर हरियाणवी इस मसले पर एकजुट है।



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Mon, Apr 04 , 2022, 08:14 AM