शिवपाल को डिप्टी स्पीकर बनाने की अटकलों से सपा में बेचैनी

Mon, Apr 04 , 2022, 01:47 AM

Source : Uni India

इटावा 04 मार्च (वार्ता)। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Praspa) अध्यक्ष शिवपाल सिंह (Shivpal Singh) यादव के विधानसभा का डिप्टी स्पीकर बनाये जाने की अटकलों से समाजवादी पार्टी (सपा) में बेचैनी दिखने लगी है।
राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के विधायक चाचा को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के पद से नवाज सकती है। पिछले कुछ दिनो से भाजपा के नेताओं से संपर्क बढ़ा रहे शिवपाल इस पद को स्वीकार करने के लिए तैयार है, यह सवाल भी बड़ा बना हुआ है। खुद के बारे में तरह तरह की अटकलों पर सफाई देने के बजाय शिवपाल सिर्फ यह कह कर खामोश हो जा रहे है कि वक्त आने पर बतायेगे। उनकी यही अदा सपा खेमे को बेचैन किये हुये है। विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी को अगर शिवपाल स्वीकार करते हैं तो वह सदन में अपने भतीजे व नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बगल में बैठेंगे । विधानसभा उपाध्यक्ष की सीट सदन में ठीक नेता प्रतिपक्ष के बगल में ही होती है। पीएसपीएल प्रमुख शिवपाल यादव इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट से लगातार छठी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। हमेशा की ही तरह इस दफा भी शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी के सिंबल साइकिल के चुनाव चिन्ह से निर्वाचित हुए है। 10 मार्च को मतगणना मे जब समाजवादी गठबंधन सत्ता (Power) के करीब नही पहुंचा तो शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे अखिलेश यादव की कार्यशैली पर सवाल उठाना शुरू कर दिया । जिससे अखिलेश यादव से दूरियां बढ़ती जा रही हैं। सपा उन्हें अपना विधायक से ज्यादा सहयोगी दल प्रसपा का अध्यक्ष मानती है । होली के अवसर पर मुलायम रामगोपाल अखिलेश यादव के साथ सैफई मे होली खेलने वाले शिवपाल 26 मार्च के बाद यह कह कर बिफर गये कि उन्हे सपा की बैठक मे नही बुलाया गया लेकिन जब 29 मार्च को बुलाया गया तो शिवपाल ने बैठक मे शामिल होने के बाद भर्थना मे भागवत सुनना पसंद किया । इसी बीच 30 मार्च को शिवपाल ने शपथ ग्रहण के साथ ही का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुलाकात तो की ही नवरात्रि के पहले दिन सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फालो करने से उनके भाजपा के साथ जाने के संकेत मिल रहे हैं। इससे पहले उन्हें राज्यसभा में भेजे जाने व उनकी सीट जसवंत नगर पर उपचुनाव में बेटे आदित्य यादव को उतारने की अटकलें जोरों पर थी। राजनैतिक पंडित ऐसा बता रहे है कि भाजपा के रणनीतिकारों के पास राज्यसभा के अलावा उपाध्यक्ष बनाने का भी विकल्प है। विधानसभा में इस बार अखिलेश यादव ने बतौर नेता प्रतिपक्ष आक्रामक तेवर के संकेत दे दिए हैं। ऐसे में विधानसभा उपाध्यक्ष के तौर पर शिवपाल को बिठा भाजपा सपा प्रमुख पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना कर बढ़त हासिल करने की कोशिश करेगी।
सपा विधायक शिवपाल यादव के लिए भाजपा उसी तरह की रणनीति अपना सकती है, जैसी उसने तत्कालीन सपा विधायक नितिन अग्रवाल को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने के लिए अपनाई थी। इसमें वह कामयाब भी हुई। नितिन अग्रवाल सपा विधायक थे और राजनीतिक मतभेद के चलते भाजपा के साथ चले गए थे।
जानकार ऐसा बताते है कि संसदीय परंपरा के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष सत्ता पक्ष का व उपाध्यक्ष विपक्ष का होता है। इसलिए तकनीकी तौर पर सपा विधायक नितिन अग्रवाल को भाजपा ने विपक्ष का प्रत्याशी मानते हुए उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित करवा दिया था। इसके लिए सपा की इच्छा नहीं थी। वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पाई। अब नितिन अग्रवाल भाजपा से चुनाव जीत कर योगी सरकार में आबकारी मंत्री हैं। अब इतिहास जल्द खुद को दोहराए तो हैरत नहीं।
शिवपाल के भाजपा मे शामिल होने की अटकलो के बीच भाजपा के ही प्रमुख कददावरो की बातो को अगर माने तो वो ऐसी कोई जरूरत महसूस नही करते है। शिवपाल के भाजपा मे शामिल होने की अटकलो के बीच उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बाद उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के कटाक्ष ने भी कई तरह से सवाल खडे किये है ।
शिवपाल के भाजपा मे शामिल होने के मुददे पर केशव प्रसाद मौर्य के नो बैकेेसी वाले बयान के बाद उच्च शिक्षा मंत्री कहना कि भाजपा को अब किसी भी पार्टनर की जरूरत नही है । कुछ ऐसे सवाल है जो कही ना कही शिवपाल के भाजपा मे शामिल होने के मिशन को पतीला लगाते हुए दिख रहे है ।

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