Dark Dining: पिछले कुछ सालों में, दुनिया भर में एक अनोखा डाइनिंग ट्रेंड लोकप्रिय हुआ है। इस ट्रेंड को डार्क डाइनिंग कहते हैं। इसमें लोग रेस्टोरेंट में आँखों पर पट्टी बाँधकर खाना खाते हैं। इस अनुभव के पीछे का विचार सरल लेकिन प्रभावशाली है। आइए जानें कि इसकी शुरुआत सबसे पहले किस देश में हुई और इसकी वजह क्या थी।
डार्क डाइनिंग क्या है?
यह एक ऐसा रेस्टोरेंट अनुभव है जहाँ खाने वाले अपने खाने को देख नहीं सकते। इसका उद्देश्य खाने के रंग और रूप पर ध्यान दिए बिना, केवल उसके स्वाद, बनावट, सुगंध और स्पर्श पर ध्यान केंद्रित करना है।
जब हमारी आँखें कुछ नहीं देख पातीं, तो हमारा दिमाग बाकी इंद्रियों पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित करता है। इसलिए, जाने-पहचाने खाने का स्वाद भी बिल्कुल अलग हो सकता है।
बिना देखे खाने से लोगों के एक-दूसरे के साथ बातचीत करने का तरीका बदल जाता है। जब लोग एक-दूसरे को नहीं देख पाते, तो बातचीत ज़्यादा खुली, गर्मजोशी भरी और व्यक्तिगत लगती है। इसीलिए डार्क डाइनिंग को सिर्फ़ खाना नहीं, बल्कि एक भावनात्मक अनुभव माना जाता है।
खाना कौन परोसता है?
डार्क डाइनिंग रेस्टोरेंट में, कर्मचारी या तो दृष्टिबाधित होते हैं या फिर दृष्टिबाधित। चूँकि उन्हें पहले से ही दृष्टिबाधित वातावरण में नेविगेट करने का प्रशिक्षण दिया जाता है, इसलिए वे सुरक्षित और आत्मविश्वास से भोजन करने वालों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। यह व्यवस्था भोजन के अनुभव को अलग बनाती है और दृष्टिबाधित या दृष्टिबाधित लोगों के लिए रोज़गार के अवसर भी पैदा करती है।
डार्क डाइनिंग की शुरुआत कहाँ से हुई?
डार्क डाइनिंग की शुरुआत यूरोप में हुई। यह विचार सबसे पहले 1993 में फ्रांस में "डायलॉग इन द डार्क" नामक एक जागरूकता प्रदर्शनी के दौरान आया। इसी से प्रेरित होकर, 1999 में स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में दुनिया का पहला "डाइनिंग इन द डार्क" रेस्टोरेंट खोला गया। इसके बाद, 2004 में पेरिस में भी ऐसा ही एक रेस्टोरेंट खोला गया, और भारत में भोपाल और बेंगलुरु में भी ऐसे रेस्टोरेंट हैं।
इसकी शुरुआत क्यों हुई?
डार्क डाइनिंग की शुरुआत सिर्फ़ एक नया और आधुनिक रेस्टोरेंट अनुभव प्रदान करने के लिए नहीं की गई थी। इसकी अवधारणा एक गहरे सामाजिक संदेश में निहित है। जॉर्ज स्पीलमैन नाम के एक दृष्टिबाधित स्विस पादरी ने अपने मेहमानों को आँखों पर पट्टी बाँधकर भोजन परोसा ताकि वे समझ सकें कि दृष्टिबाधित लोग दुनिया का अनुभव कैसे करते हैं। मेहमानों को यह अनुभव बहुत पसंद आया और अंततः यह विचार डार्क डाइनिंग के रूप में विकसित हुआ।
इसका उद्देश्य दृष्टिबाधित लोगों के प्रति सहानुभूति पैदा करना और यह दिखाना है कि अंधापन किसी की क्षमताओं को सीमित नहीं करता। इस पहल ने दृष्टिबाधित लोगों के लिए रोज़गार के नए अवसर भी पैदा किए हैं।



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Sat, Nov 08 , 2025, 10:00 AM