New turn in Maharashtra politics: महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़उद्धव ठाकरे की बड़ी चाल

Thu, Aug 01 , 2024, 11:07 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

New turn in Maharashtra politics: आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra politics) में कई बड़े घटनाक्रम (Big developments) होने वाले हैं। क्योंकि पिछले साढ़े चार साल में जो घटनाक्रम हुआ है उसका प्रतिबिंब अब आगामी विधानसभा चुनाव (Upcoming assembly elections) में देखने को मिलेगा. महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले चार साल में हुए हर घटनाक्रम पर महाराष्ट्र की जनता आगामी विधानसभा चुनाव में वोट के जरिए प्रतिक्रिया देने वाली है. राज्य में हाल ही में लोकसभा चुनाव हुए थे. इस चुनाव में जनता का सबसे ज्यादा वोट महाविकास अघाड़ी के पक्ष में पड़ा. हालाँकि, लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच छह महीने का समय होता है. इसलिए सत्ताधारी दल नागरिकों के मन में घर बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री मेरी प्यारी बहना योजना (Chief Minister Meri Pyari Behna Yojana) की भी घोषणा की गई है. इसी बीच उद्धव बाला साहेब ठाकरे (Uddhav Balasaheb Thackeray) की पार्टी शिवसेना से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने सियासी रणनीति बनानी शुरू कर दी है.

शायद उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि दो साल पहले उद्धव ठाकरे की पार्टी में क्या हुआ था. उद्धव ठाकरे की पार्टी में बड़ी टूट हो गई. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के विद्रोह के आह्वान के बाद शिवसेना पार्टी दो गुटों में बंट गई. उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री पद भी चला गया. इसके बाद शिवसेना में फूट का मामला केंद्रीय चुनाव आयोग के पास गया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अंतिम सुनवाई अभी भी पूरी नहीं हुई है. लेकिन चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे को शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दे दिया है. चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे के गुट को एक अलग पार्टी के रूप में मान्यता दे दी है. उनकी पार्टी का नाम शिव सेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे पार्टी रखा गया है. साथ ही लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी को मशाल चुनाव चिन्ह दिया गया था. अब इस चुनाव चिन्ह को लेकर उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग से अहम मांग की है.

चुनाव में अगर दो उम्मीदवारों का चुनाव चिह्न एक-दूसरे से मिलता-जुलता हो तो मतदाता भ्रमित हो जाते हैं.अत: मतदाता अपने इच्छित उम्मीदवार को वोट नहीं दे सकता. लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवादी शरद पवार गुट के उम्मीदवारों का चुनाव चिह्न तुरही बजाता एक व्यक्ति था. कुछ उम्मीदवारों के पास तुरही चिन्ह थे. कुछ संकेत थे. शरद पवार गुट ने दावा किया कि इससे उनके उम्मीदवारों को नुकसान हुआ है. इसके चलते चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और कहा कि वह अब किसी भी उम्मीदवार को तुरही बजाते हुए व्यक्ति के चुनाव चिन्ह जैसा चुनाव चिन्ह नहीं देगा. ऐसी ही गुज़ारिश उद्धव ठाकरे की पार्टी ने भी चुनाव आयोग से की है.

चुनाव आयोग को ठाकरे गुट की चिट्ठी
विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में उद्धव ठाकरे ने काफी देर तक सोचा है. उद्धव ठाकरे की पार्टी ने यह सोचकर चुनाव आयोग को पत्र भेजा है कि अगर किसी और का चुनाव चिन्ह हमारी पार्टी के चुनाव चिन्ह से मिलता जुलता होगा तो हमें झटका लग सकता है. ठाकरे गुट मशाल चुनाव चिन्ह पर ही विधानसभा चुनाव लड़ेगा. उद्धव ठाकरे ने कहा है कि हमने अपना बनाया टॉर्च चुनाव आयोग को दे दिया है. उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि मतपत्र में मशाल जैसा कोई चिन्ह न रखा जाए.

ठाकरे समूह ने चुनाव आयोग से कहा है कि हम आगामी विधानसभा चुनाव में मशाल चुनाव चिह्न पर लड़ेंगे. ठाकरे समूह ने चुनाव आयोग को एक पत्र भेजा है. इस पत्र में ठाकरे समूह ने एक अहम मांग की है. हमारे द्वारा बनाए गए टॉर्च आइकन को स्वीकृत करें. आइए हम मशाल की छवि को धनुष और बाण के रूप में स्वीकार करें. उद्धव ठाकरे ने यह भी अनुरोध किया है कि मतपत्र में मशाल जैसा कोई चिन्ह न रखा जाए.

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