Lok Sabha Election 2024: क्या फेल हो गया अखिलेश यादव का 'MY' फॉर्मूला? 2024 चुनाव के लिए अब चली ये नई चाल

Tue, Jun 20 , 2023, 10:31 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Akhilesh Yadav Plan for 2024 Election: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Eleciton 2024) के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है और सियासी बिसात (political board) बिछने लगी है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार तीसरी बार सत्ता पर कब्जा करने की कोशिश में जुटी हैं, वहीं विपक्षी दल एकजुट होकर एनडीए को सत्ता से बाहर करने के लिए प्लान बना रहे हैं. 23 जून को बिहार की राजधानी पटना (capital of Bihar) में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक होने वाली है. इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बीजेपी को हराने के लिए एक नया फॉर्मूला पेश किया है, जबकि इससे पहले वो एमवाई (MY) फॉर्मूला के जरिए कई चुनावों में जीत दर्ज की है.
क्या है अखिलेश यादव का पीडीए फॉर्मूला?
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने हाल ही में पीडीए का फॉर्मूला दिया था और कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को अगले साल के आम चुनावों में 'पीडीए' से हराया जाएगा, जिसे उन्होंने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक के रूप में परिभाषित किया. इसके साथ ही उन्होंने यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को हराने का प्लान भी बताया और कहा कि अगर बड़े राष्ट्रीय दलों ने हमें समर्थन दिया तो सभी 80 लोकसभा सीटों पर बीजेपी हार जाएगी.
क्या फेल हो गया अखिलेश का MY फॉर्मूला?
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के पीडीए फॉर्मूले के साथ ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या उनका एमवाई (MY) फॉर्मूला फेल हो गया है. या उन्होंने मान लिया है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में उनके लिए मुस्लिम और यादव (MY) वोट बैंक के सहारे भारतीय जनता पार्टी (BJP) को टक्कर देना मुश्किल है. बता दें कि अब तक अखिलेश यादव कई चुनावों में मुस्लिम और यादव वोट के दम पर जीत दर्ज कर चुके हैं, लेकिन अब उन्होंने बीजेपी को मात देने के लिए नया प्लान बनाया है.
अखिलेश यादव को क्यों पड़ी PDA की जरूरत?
आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में हार के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को 2024 के चुनाव में भी हार का डर सताने लगा है और. वजह है कि अखिलेश अब पीडीए फॉर्मूला लेकर आए हैं और पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपनी तरफ करना चाहते हैं. लोकसभा उपचुनावों में हार के बाद अखिलेश समझ गए हैं कि बीजेपी के खिलाफ जीत दर्ज करने के लिए सिर्फ यादव और मुस्लिम वोट बैंक काफी नहीं है.
चुनावों में पीडीए का कितना असर?
उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों में पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की अहम भूमिका रही है. अनुमानित आंकड़ों के अनुसार यूपी में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी की जनसंख्या करीब 41 फीसदी है, जिसमें करीब 10 फीसदी यादव वोटर्स हैं. अगर दलित की बात करें तो इनकी संख्या करीब 21 फीसदी है, जबकि अल्पसंख्यकों की आबादी करीब 20 फीसदी होने का अनुमान है. यानी उत्तर प्रदेश में कुल आबादी का 82 प्रतिशत हिस्सा पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों यानी पीडीए (PDA) का है.

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