कोलकाता। दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ पहले टेस्ट से एक दिन पहले शुभमन गिल (Shubman Gill) ने भारतीय क्रिकेट फ़ॉलोअर्स (Indian cricket followers) को तब डरा दिया जब उन्होंने कहा कि आख़िरी स्थान एक स्पेशलिस्ट स्पिनर और एक ऑलराउंडर के बीच तय होगा। यह 'फिर से वही कहानी' वाला क्षण था। क्या वाकई वे कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) की जगह पर चर्चा कर रहे थे?
थोड़ी सहानुभूति के बाद ऐसा लगा कि शायद यह बात तीसरे सीमर की जरूरत को देखते हुए कही गई होगी। यानी यह कि वास्तव में भारत को नंबर 9 पर अक्षर पटेल की बल्लेबाज़ी की चाहत नहीं थी।
टेस्ट की सुबह जब पिच का नज़ारा सामने आया तो साफ हो गया कि तीसरे तेज गेंदबाज की जरूरत नहीं थी। यानी डर सच साबित हो रहा था। भारत के पास नंबर 8 तक बल्लेबाज़ी होने के बावजूद कुलदीप की जगह पर खतरा मंडरा रहा था। लेकिन टॉस के समय गिल ने बताया कि टीम कुलदीप या स्पिन-बॉलिंग ऑलराउंडर से बढ़कर कुलदीप और स्पिन-बॉलिंग ऑलराउंडर के कॉम्बिनेशन पर पहुंच चुकी है, तो मानो राहत की एक बड़ी सांस सबने ली। भारत एक नए साहसी प्रयोग में उतर रहा था। वॉशिंगटन सुंदर को शीर्षक्रम बल्लेबाज के रूप में आजमाकर एक चौथे स्पिनर अक्षर को XI में जगह देने के लिए, जबकि रवींद्र जडेजा तो हमेशा की तरह मौजूद थे ही।
जो खिलाड़ी बाहर हुए हैं, वे खुद भी एक तरह का प्रयोग ही रहे हैं। बी साई सुदर्शन 1980 के दशक के अंत में डब्ल्यूवी रमन के बाद ऐसे पहले स्पेशलिस्ट बल्लेबाज हैं जिन्होंने 40 से नीचे की फर्स्ट-क्लास औसत के साथ भारत के लिए टेस्ट खेले हैं। उन्होंने इंग्लैंड में डेब्यू किया, एक टेस्ट के बाद बाहर हुए, लेकिन उसके बाद खेले गए सात टेस्ट में से पांच में शामिल रहे। इस दौरान 30.33 की औसत के साथ वह इस अवधि में खेले गए भारतीय विशेषज्ञ बल्लेबाज़ों में सबसे कम औसत वाले रहे।
हम चोट की संभावना को लगभग ख़ारिज कर सकते हैं क्योंकि भारत ने साई सुदर्शन की जगह किसी अन्य विशेषज्ञ बल्लेबाज, जैसे देवदत्त पडीक्कल को नहीं चुना। उनकी जगह एक ऑलराउंडर लाए जाने का मतलब है कि भारत एक ऐसा प्रयोग शुरू कर रहा है जो अनोखा तो है, पर अव्यावहारिक नहीं। विशेषज्ञ पहले भी कह चुके हैं कि वॉशिंगटन में इतना कौशल है कि वह ऊपरी क्रम में बैटिंग कर सकते हैं।
भारत ने तय किया है कि इसे आजमाने का सही समय यही है क्योंकि इन परिस्थितियों में अगर प्रयोग असफल भी होता है तो उनकी कमी को कवर करने वाले खिलाड़ी मौजूद हैं। अक्षर, जिनकी बल्लेबाज़ी औसत 35.88 है, नंबर 8 पर एक मजबूत विकल्प हैं। लेकिन अगर वॉशिंगटन शीर्षक्रम बल्लेबाज के रूप में विकसित हो जाते हैं, तो इसका फायदा बेहद बड़ा होगा। भारत की टीम संयोजन के लिए यह लचीलापन अद्भुत साबित हो सकता है।
साई सुदर्शन, जिन्होंने पिछली पारी में 87 रन बनाए थे को यह फैसला शायद थोड़ा कठोर लग सकता है। ख़ासतौर पर इसलिए कि उन्हें इंग्लैंड में नंबर 3 पर तैयार किया गया था। लेकिन यह भारतीय क्रिकेट की हकीकत है, ख़ासकर भारत में। यहां प्रतिभा इतनी ज़्यादा है कि हर किसी को XI में रखना संभव ही नहीं।



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Fri, Nov 14 , 2025, 06:42 PM