मुंबई: उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता अंबादास दानवे (Ambadas Danve) ने गुरुवार को छत्रपति संभाजीनगर में मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पुत्र पार्थ पवार के पुणे भूमि सौदे की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। दानवे ने कल अपने ‘एक्स’ एक पोस्ट में कहा, “ भारतीय जनता पार्टी को इस मामले की जानकारी पहले से थी और उन्होंने इस पर एक फाइल तैयार कर रखी थी। इसलिए अगर कुछ भी गलत हुआ, तो पार्थ को एक मिनट में गिरफ्तार किया जा सकता था। राजनीतिक हस्तियों को नियंत्रित करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाना एक आपराधिक मानसिकता है। ”
दानवे ने आरोप लगाया कि फडणवीस उपमुख्यमंत्री के पुत्र को बचा रहे हैं, जो 300 करोड़ रुपये के विवादास्पद पुणे भूमि सौदे के केंद्र में है और उपमुख्यमंत्री और उनके बेटे पार्थ को बचाने के लिए सब कुछ किया जा रहा है। इस बीच, श्री पवार ने आज पुणे में मीडिया से कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अंजलि दमानिया की मांग के बाद वह इस्तीफा देने के बारे में निर्णय लेने के लिए अपनी अंतरात्मा की आवाज का उपयोग करेंगे। इससे पहले शिवसेना (यूबीटी) के नेता दानवे ने कहा कि भूमि सौदे पर विवाद शुरू होने के बाद, उपमुख्यमंत्री पवार ने फडणवीस सरकार से इस्तीफा देने और उसे बाहर से समर्थन देने की पेशकश की थी।
दानवे ने मीडियाकर्मियों से कहा, “ मैंने सुना है कि ‘वर्षा’ (दक्षिण मुंबई में मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास) में एक बैठक के दौरान, श्री पवार ने गुस्से में सरकार से बाहर निकलने और बाहर से समर्थन देने की पेशकश की।” पुणे के मुंधवा क्षेत्र में दलितों के लिए आरक्षित 40 एकड़ सरकारी भूमि का सौदा, जिसे 300 करोड़ रुपये में पार्थ पवार के स्वामित्व वाली अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को दिया गया था, अनियमितताओं के आरोपों के बाद रद्द कर दिया गया जबकि इसका वास्तविक बाजार मूल्य 1,800 करोड़ रुपये है।
पिछले सप्ताह उपमुख्यमंत्री पवार ने घोषणा किया था कि उनके पुत्र पार्थ की कंपनी द्वारा निष्पादित बिक्री विलेख को रद्द कर दिया गया है। उन्होंने कहा था कि पार्थ को यह जानकारी नहीं थी कि उनकी कंपनी द्वारा खरीदी गयी जमीन सरकारी है। दानवे ने कहा कि मुख्यमंत्री के सीधे हस्तक्षेप के बिना पार्थ को इस मामले में नहीं बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य के राजस्व विभाग के रुख और भूमि सौदे में स्टाम्प शुल्क के भुगतान के बारे में राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के रुख में विरोधाभास है।
गौरतलब है कि बुधवार को श्री बावनकुले ने कहा था कि वह पार्थ से जुड़ी एक फर्म को जारी किये गये 42 करोड़ रुपये के दोहरे स्टांप शुल्क के भुगतान की मांग वाले नोटिस पर स्पष्टीकरण मांगेंगे, क्योंकि भूमि सौदे को रद्द किया जा चुका है। दानवे ने कहा, “स्टांप शुल्क का भुगतान न किए जाने के मामले में कार्रवाई लंबित है। अधिकारियों का कहना है कि लेनदेन रद्द करने के लिए भी शुल्क का भुगतान होना चाहिए।” उन्होंने आरोप लगाया कि स्टांप शुल्क पर भाजपा नेता और राजस्व मंत्री बावनकुले का रुख पूरी तरह से गलत है।



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