अलवर। महिला क्रिकेट विश्वकप (Women Cricket World Cup) में अंतिम दो मैचों में अचानक शामिल होकर भारत को जीत दिलाने वाली शेफाली वर्मा (Shefali Verma) ने गुरुवार को अपने गांव कोटपूतली बहरोड जिले के दहमी गांव में अपने परिवार के साथ कुलदेवी मनसा माता (Mansa Mata) की पूजा अर्चना की। उसके बाद माता को 56 भोग का प्रसाद का भोग लगाया। शेफाली ने जीत के बाद मिले पदक को अपनी कुलदेवी के चरणों में रखकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान शेफाली वर्मा ने देश की लाखों युवतियों को संदेश देते हुए कहा कि उनको खुद पर विश्वास करना होगा और कठोर मेहनत करनी होगी। वह हमेशा अपने देश के लिए खेलती हैं। शेफाली की बदौलत भारत ने फाइनल जीत कर इतिहास रच दिया। कोटपूतली बहरोड जिले के दहमी गांव की रहने वाली शेफाली वर्मा का परिवार वर्षों पहले गांव से हरियाणा के रोहतक में स्थानांतरित हो गया था। गांव में उनके परिवार के चाचा-ताऊ एवं अन्य लोग अब भी रहते हैं। वह हमेशा त्योहार शादी विवाह के मौके पर गांव में आती रहती हैं।
विश्व कप में शेफाली को फ़ाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच का अवार्ड मिला। टीम को वर्ल्ड कप दिलवाले में शेफाली की अहम भूमिका रही। गुरुवार को शेफाली पूरे परिवार के साथ अपनी कुलदेवी के दर्शन करने के लिए पहुंची। शेफाली के परिवार ने माता को चांदी का छत्र, हार, चांदी की पाइजेब, सोने की लांग, चुटकी, नए नोटों की माला, लाल रंग की साड़ी, श्रीफल और मुकुट भेंट किया। इस दौरान शेफाली के साथ मां परवीन एवं पिता संजीव वर्मा, भाई, ताऊ, ताई चचेरे भाई-बहन सहित पूरा परिवार मौजूद था। शेफाली ने वहां लोगों को अपने हाथों से खाना खिलाया। इस दौरान गांव में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। शैफाली ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को हराने के बाद उनकी टीम में जबरदस्त आत्मविश्वास आया। क्योंकि हमेशा ऑस्ट्रेलिया उनको हराकर जाती थी। दक्षिण अफ्रीका ने कई बार टीम इंडिया को हराया है। इसलिए किसी भी टीम को उन्होंने हल्के में नहीं लिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास कर रहा था।
शेफाली ने एक सवाल के जवाब में कहा, "यह हर निर्भीक खिलाड़ी की कहानी है। मैं भी निर्भीक खिलाड़ी हूं और हमेशा अपनी टीम की सोचती हूं। कभी मैंने अपने बारे में नहीं सोचा और मेरी टीम को जो चाहिए वह मैं देती हूं। फिर चाहे मैं जल्दी आउट हो जाऊं। उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसलिए मैं अलग दिखती हूं। मेरे परिवार ने भी मुझे यही सिखाया है कि हमेशा अलग दिखना है और खुद के लिए ही नहीं सोचकर पूरी टीम के लिए सोचना है। मेरा देश भारत मेरे लिए सबसे पहले है। मैं अपने आपको नहीं रखती हूं।"
शेफाली ने खास बातचीत में बताया कि उसका बीता एक वर्ष खासा कठिनाई भरा रहा। वह हमेशा से ही मनसा माता का आशीर्वाद लेने आती रही है। उन्होंने कहा कि एक वर्ष में अपने आप पर बहुत काम किया। अपने शरीर एवं अपने फिजिकल और अपने खेल पर खास ध्यान दिया। शेफाली ने सब चीजों को त्याग दिया था और केवल अपना खेल बेहतर करने का प्रयास कर रही थी। किसी भी चीज पर ध्यान नहीं दिया और सबके आशीर्वाद और कठोर मेहनत देखकर माता रानी ने मुझे आशीर्वाद दिया व भारतीय टीम में पहुंचाया। उसने कहा कि मेरा परिवार और मैं साधारण इंसान हैं। जब मैं अपने गांव लौटी तो पूरे रोहतक के लोगों ने उनका स्वागत किया। शेफाली ने देश की लाखों लड़कियों को संदेश देते हुए कहा कि जो लड़कियां खेल को चुनती हैं। वो लोग हार्ड वर्क करें और खुद पर विश्वास करें। सच्ची मेहनत हमेशा रंग लाएगी। फिर चाहे कोई भी फील्ड हो। सभी को अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए।
शेफाली वर्मा को सेमीफाइनल से पहले प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली थी लेकिन फार्म में चल रही है। प्रतिका रावल चोटिल हो गई थी जिसके बाद शेफाली को टीम में शामिल किया गया ।उन्होंने सेमीफाइनल से पहले दो अभ्यास सत्रों में हिस्सा लिया था और उसके बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के साथ खेले गए फाइनल में 52 रन से भारतीय टीम को जीत दिलवाई। साथ ही शेफाली ने 36 रन देकर दो विकेट लिए थे। शेफाली ने मैच 15 साल की उम्र में क्रिकेट में डेब्यू किया था। वो परिवार के साथ हरियाणा के रोहतक जिले की रहती है और 2019 के टी20 वर्ल्ड कप से पहले शेफाली की टीम इंडिया में एंट्री हुई थी।



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Thu, Nov 13 , 2025, 09:28 PM