नयी दिल्ली। दिल्ली के शहरी विकास मंत्री आशीष सूद (Ashish Sood) ने कहा है कि सरकार राजधानी को कूड़े के पहाड़ों (garbage mountains) से मुक्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सूद ने गुरुवार को भलस्वा लैंडफिल साइट (Bhalswa landfill site) का निरीक्षण कर वहाँ चल रहे बायो-माइनिंग, कचरा प्रोसेसिंग और धूल प्रदूषण नियंत्रण के कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि 17 सितंबर को भी उन्होंने निरीक्षण की थी और उसमें पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए सम्बंधित अधिकारियों को कुछ दिशा निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा कि भलस्वा लैंडफिल साइट पर लगभग 4000 टन नया कूड़ा प्रतिदिन आता है जिसके निस्तारण के साथ-साथ पुराने कूड़े को भी वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण के निर्देश दिए।
उन्होंने बताया कि भलस्वा साइट पर कूड़ा डालने वाली गाड़ियों के प्रतिदिन 800 से ज्यादा चक्कर लगाते हैं जिसमे 7000 लीटर डीजल की खपत होती है इससे भी वायु प्रदूषण हो रहा है । इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि यहां 16 ट्रोमल मशीन कूड़ा निस्तारण के काम में लगी हुई है इसके चलने से धूल उड़ती है। शहरी विकास मंत्री ने कहा कि धूल प्रदूषण को कम करने के लिए निगम के अधिकारियों तथा कूड़ा प्रोसेस करने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों को भलस्वा साइट पर तत्काल छह एंटी स्मोग गन और 12 स्प्रिंकलर लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को प्रदूषण के दृष्टिकोण से 'हॉटस्पॉट' घोषित किया जाय ताकि यहाँ विशेष निगरानी रखी जा सके। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारी इस पूरे क्षेत्र का ड्रोन सर्वे कराये और बचे हुए कूड़े का भी अलग से असेसमेंट करा कर इसकी रिपोर्ट 10 दिन के भीतर प्रस्तुत करें।
उन्होंने बताया कि भलस्वा लैंडफिल साइट पर करोल बाग जोन, एसपी जोन तथा नरेला जोन आदि मिलाकर 23 वार्डों का कूड़ा आता है। यहां पर दिल्ली का सबसे ज्यादा कूड़ा आता है। भलस्वा लैंडफिल साइट से आसपास के कई इलाकों जैसे बादली, जहांगीर पूरी, मॉडल टाउन, शालीमार बाग और आदर्श नगर में प्रदूषण का असर सबसे ज्यादा है। उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि नया कचरा आने के साथ-साथ प्रतिदिन उसका निपटान भी हो, जिससे नया "कूड़े का पहाड़" न बने। सूद ने कहा कि दिल्ली सरकार की प्राथमिकता स्वच्छ और स्वस्थ दिल्ली है। लैंडफिल साइटों के वैज्ञानिक प्रबंधन, कूड़े को अलग करना और रीसाइक्लिंग पर विशेष जोर दिया जा रहा है ताकि आने वाले समय में दिल्ली को 'लैंडफिल-मुक्त' बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की समस्या केवल राजधानी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके लिए आसपास के राज्यों का भी योगदान है। नरेला, खरखौदा और सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। भलस्वा लैंडफिल साइट अपने आप में एक बड़ा प्रदूषण स्रोत है।



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Thu, Nov 13 , 2025, 07:17 PM