Five Assembly Seats in Nawada: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) के दूसरे और अंतिम चरण में 11 नवंबर को होने वाले मतदान में नवादा जिले की पांच सीटों में से नवादा में पूर्व विधायक कौशल यादव (MLA Kaushal Yadav) और गोविंदपुर से उनकी पत्नी पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव (MLA Purnima Yadav) फिर चुनाव लड़ रही हैं और उनके सामने सीट पर फिर से कब्जा करने की चुनौती है। नवादा जिले की पांच विधानसभा सीटें (Five Assembly Seats in Nawada) नवादा, गोविंदपुर, हिसुआ, रजौली (सुरक्षित) और वारसिलीगंज है। नवादा, गोविंदपुर और रजौली (सुरक्षित) में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), वारसिलीगंज में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हिसुआ में कांग्रेस का कब्जा है।
बिहार की वीआईपी सीटों में शुमार नवादा से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने बाहुबली पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी और विधायक विभा देवी को उम्मीदवार बनाया है। राजद की विधायक विभा देवी अब जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के खेमे में आ गयी हैं। राजद ने यहां पूर्व विधायक कौशल यादव पर भरोसा दिखाया है।
इस सीट पर तीन दशक से पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव और पूर्व विधायक कौशल यादव के परिवार का ही कब्जा रहा है। वर्ष 1990 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर कृष्णा प्रसाद इस सीट पर निर्वाचित हुये थे। हालांकि सड़क हादसे में श्री प्रसाद के निधन के बाद उनके छोटे भाई राजबल्लभ यादव ने उनकी विरासत संभाली। श्री यादव ने वर्ष 1995 में निर्दलीय जीत हासिल की। इसके बाद वर्ष 2000 में राजद के टिकट पर राजबल्लभ यादव निर्वाचित हुये। अगले तीन चुनाव फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और वर्ष 2010 में कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव से राजबल्लभ यादव को शिकस्त खानी पड़ी। वर्ष 2015 में राजद की टिकट पर राजबल्लभ यादव ने फिर जीत हासिल की। 2018 में राजबल्लभ को दुष्कर्म के मामले उम्रकैद की सजा मिलने के बाद सदस्यता चली गयी। श्री यादव की विधानसभा सदस्यता समाप्त होने के बाद 2019 में हुए उपचुनाव में जदयू के उम्मीदवार कौशल यादव ने जीत हासिल की थी। वर्ष 2020 के चुनाव में राजद की प्रत्याशी विभा देवी ने जदयू के कौशल यादव को पराजित कर दिया। नवादा सीट से जहां कौशल यादव फिर से जीतने की कोशिश में जी-जान से जुटे हैं वहीं विधायक विभा देवी फिर से जीत का सेहरा अपने नाम करने और अपने परिवार की परंपरागत सीट को फिर से वापस पाने की जुगत में है। नवादा सीट पर कुल 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में जोर आजमा रहे हैं।
गोविंदपुर सीट से राजद ने विधायक मोहम्मद कामरान को बेटिकट कर पूर्व विधायक कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव को मैदान में उतारा है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने यहां भाजपा जिलाध्यक्ष अनिल मेहता की पत्नी विनिता मेहता को उम्मीदवार बनाया है। वहीं राजद से बगावत कर विधायक मोहम्मद कामरान निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में उतर आये हैं और मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र का चुनाव काफी रोचक हो गया है।वर्ष 2020 के चुनाव में राजद के उम्मीदवार मोहम्मद कामरान ने जदयू की तत्कालीन विधायक पूर्णिमा यादव को पराजित कर दिया था। पूर्णिमा यादव पर परिवार की पारंपरिक सीट वापसी की चुनौती है, दूसरी तरफ, मोहम्मद कामरान यहां दूसरी बार जीत की आस में हैं।इस सीट पर राजद के मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण में टकराहट जैसी स्थिति बन गई है। इस टकराहट का फायदा विनिता मेहता उठाने की भरपूर कोशिश कर रही हैं। गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र से लंबे समय से कौशल यादव के परिवार का ही डंका बजता रहा है। वर्ष 1969 में कौशल यादव के पिता जुगल किशोर यादव के किले को उनके परिवार के सदस्य ही संभालते रहे हैं। पूर्व विधायक कौशल यादव खुद यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं, जबकि उनकी मां गायत्री देवी चार बार यहां की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं। पिछले 40 साल में कौशल यादव के कुनबे का मजबूत किला सिर्फ एक बार वर्ष 1995 में हिल सका है।
वर्ष 1995 में के. बी. प्रसाद ने जीत हासिल की थी। फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में एक अनोखी स्थिति उत्पन्न हो गयी। गोविंदपुर सीट पर राजद की तत्कालीन विधायक गायत्री देवी चुनाव लड़ रही थीं लेकिन जब उनके पुत्र कौशल यादव ने उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की तो सारे लोग हैरान रह गये। बिहार में पहली बार कोई पुत्र अपनी मां को राजनीतिक चुनौती दे रहा था। कौशल यादव अपनी मां गायत्री देवी को पराजित करनिर्दलीय विधायक बने। गोविंदपुर विधानसभा सीट पर 09 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं।अब देखना दिलचस्प होगा कि पूर्णिमा अपना परंपरागत सीट पर काबिज हो पाती हैं या फिर चूक जाती हैं. यह भी दिलचस्प होगा कि मोहम्मद कामरान अपनी जीत दोहरा पाते हैं या फिर एक सीमित वोट पाकर सिमट जाते हैं. देखना यह भी दिलचस्प होगा कि पूर्णिमा और कामरान की लड़ाई का फायदा विनिता ले जाती है या फिर निराशा हाथ लगती है।
हिसुआ सीट से कांग्रेस ने पूर्व मंत्री आदित्य सिंह की पुत्रवधू और विधायक नीतू कुमारी को चुनावी दंगल में उतारा है, वहीं भाजपा ने यहां पूर्व विधायक अनिल सिंह को पार्टी का ‘कमल’ फिर से खिलाने की जिम्मेवारी दी है। वर्ष 2020 में कांग्रेस की प्रत्याशी नीतू कुमारी ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगा चुके तत्कालीन विधायक अनिल सिंह को मात दे दी थी। हिसुआ में शत्रुध्न शरण सिंह का नाम आज भी श्रद्धा से लिया जाता है। उन्होंने अपने जिले में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया था। नवादा को जिला का दर्जा दिलाने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाता है। इस क्षेत्र से सर्वाधिक छह बार आदित्य सिंह क्षेत्र ने प्रतिनिधित्व किया है। हिसुआ सीट पर 14 उम्मीवार चुनावी रण में डटे हैं। इस चुनाव में अनिल सिंह के समक्ष वापसी की चुनौती है, जबकि नीतू कुमारी के लिए जीत दोहराने की चुनौती है। देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी अखाड़े में कौन बाजी मारता है।
रजौली (सुरक्षित) सीट से राजद ने जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष पिंकी भारती को उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 2020 में प्रकाशवीर राजद के टिकट पर यहां निर्वाचित हुए थे। हाल ही में प्रकाशवीर ने राजद से इस्तीफा दे दिया था और जदयू के खेमे में चले गये थे। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें जदयू से टिकट मिल जाएगा, हालांकि राजग में सीटों में तालमेल के तहत यह सीट लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)के खाते में चली गई। इससे प्रकाशवीर जदयू के टिकट से वंचित रह गये।विधायक प्रकाश वीर अब ,राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेज प्रताप यादव की पार्टी जन शक्ति जनता दल के टिकट पर चुनावी रणभूमि में उतर आये हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने यहां विमल राजवंशी को उम्मीदवार बनाया है।वर्ष 2020 में राजद के उम्मीदवार प्रकाशवीर ने भाजपा उम्मीदवार पूर्व विधायक कन्हैया कुमार चुनावी अखाड़े में मात दे दी थी। इस सीट पर 11 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। प्रकाश वीर अपने पुराने वोट बैंक के आधार पर चुनाव मैदान में हैं. जबकि पिंकी भारती को राजद समीकरण का भरोसा है,वहीं विमल राजवंशी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के वोट बैंक की आस है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी अखाड़े में कौन अपनी वीरता दिखा कर जीत हासिल कर पाता है।
वारसिलीगंज सीट से भाजपा के टिकट पर बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी और विधायक अरूणा देवी चुनावी संग्राम में फिर से मोर्चा संभाल रही है। राजद ने यहां बाहुबली अशोक मेहता की पत्नी अनिता देवी पर दांव लगाया है। दो बाहुबलियों की पत्नियों के चुनावी संग्राम में उतर जाने से इस सीट पर होने वाला चुनाव रोचक हो गया है। अरूणा देवी वारिसलीगंज सीट का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। वर्ष 2000 के सियासी दंगल में अरुणा देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर जीत हासिल की। इसके बाद फरवरी 2005 के चुनाव अरूणा देवी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट पर निर्वाचित हुयी। हालांकि अक्टूबर 2005 और वर्ष 2010 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2015 में भाजपा के टिकट पर अरुणा देवी ने जदयू प्रत्याशी और पूर्व विधायक प्रदीप कुमार को पराजित कर वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र में पहली बार भाजपा का ‘कमल’ खिलाया। वर्ष 2020 में भाजपा की उम्मीदवार अरूणा देवी ने कांग्रेस उम्मीदवार सतीश कुमार को पराजित किया था।पूर्व विधायक प्रदीप कुमार की पत्नी निर्दलीय उम्मीदवार आरती सिन्हा तीसरे नंबर पर रही थी।इस सीट पर नौ प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं।



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Sat, Nov 08 , 2025, 01:06 PM