Parivartan Praman Patra Released: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भाकपा-माले ने जारी किया परिवर्तन संकल्प पत्र!

Mon, Oct 27 , 2025, 07:55 AM

Source : Uni India

पटना: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा-माले) के संस्थापक नेताओं में शामिल राम नरेश राम के 15वें स्मृति दिवस पर रविवार को बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी ने परिवर्तन संकल्प पत्र जारी किया। पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भाकपा-माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा) की महासचिव मीना तिवारी, आरा के सांसद सुदामा प्रसाद तथा प्रभात कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से पार्टी के नेताओं के साथ यह पत्र जारी किया।

इस परिवर्तन संकल्प पत्र में लिखा गया है कि बीते दो दशकों से राज्य सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा)- जनता दल यूनाइटेड (जदयू) सरकार से राज्य को मुक्त करने का समय आ गया है। विकास के नाम पर विनाश, सुशासन के नाम पर अपराध, लूट एवं अराजकता, चौपट हो चुकी शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था, गरीबी का दुष्चक्र, ऐतिहासिक पिछड़ापन और पलायन, दलितों एवं महिलाओं के खिलाफ हिंसा, चरम बेरोजगारी और पलायन आज के बिहार का सच है । छात्र-नौजवान रोजगार और भविष्य की तलाश में पलायन कर रहे हैं, किसान कर्ज और लागत के बोझ तले दबे हैं, और महिलाएं कर्जदारी और असुरक्षा के दोहरे संकट में जी रही हैं और यह सरकार बिहार को विनाश की ओर धकेल चुकी है।

इस संकल्प पत्र में कहा गया है कि महागठबंधन की सरकार के दौरान हुए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण ने बिहार की भयावह स्थिति उजागर किया है और करीब 95 लाख परिवार महागरीबी रेखा के नीचे पाए गए। इन परिवारों को नीतीश कुमार ने दो-दोलाख रुपये सहायता देने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक एक आदमी को भी यह पूरी राशि मिली नहीं मिली । इस संबंध में पार्टी ने दो लाख रुपये सहायता राशि, आरक्षण का दायरा 65 प्रतिशत करने, सामंती हिंसा पर रोक लगाने, गरीबों के वास-आवास आदि सवालों पर ‘हक दो-वादा निभाओ’ अभियान की शुरूआत की और राज्य के प्रखंड मुख्यालयों पर धारावाहिक आंदोलन चलाए।

इस संकल्प में पत्र में विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने पर माले के विधायकों ने अपने पांच साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखा। यह बिहार की राजनीति मे भाकपा-माले की पारदर्शिता, सुचिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसमे कहा गया है कि देश में बड़े पैमाने पर बने इंडिया गठबंधन को आकार देने और उसे धरातल पर मजबूत करने के अभियान को भाकपा(माले) ने पूरी ताकत से चलाया है, इसके पीछे भाजपा- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के फासीवादी निजाम को हराना लोकतंत्र और संविधान को बचाने की सोच और शर्त है।

इसमें लिखा है कि “भाकपा(माले) का यह संकल्प है कि “हम गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों, वंचित तबकों, किसानों, मजदूरों, छात्रों और नौजवानों की आवाज बनकर सत्ता की हर अन्यायपूर्ण दीवार को चुनौती देंगे। यह चुनाव हमारे लिए सिर्फ सत्ता बदलने का अवसर नहीं, बल्कि बिहार की दिशा और दशा बदलने का ऐतिहासिक मौका है। यह संकल्प पत्र बिहार के मेहनतकश, भूमिहीन, किसान, मजदूर, महिला, युवा, दलित, वंचित, अल्पसंख्यक और आदिवासी समाज के अधिकारों और सम्मान की गारंटी का दस्तावेज है।“

इस संकल्प के मुख्य विन्दुओं में हर भूमिहीन और बेघर परिवार को ग्रामीण क्षेत्रों में पांच डिसमिल, शहरी इलाकों में तीनो डिसमिल जमीन और पक्का मकान, बंदीपाध्याय आयोग की सिफारिशें लागू कर 21 लाख एकड़ जमीन का वितरण, गैर-मजरूआ और सरकारी जमीनों पर बसे गरीबों को पर्चा और दखल-दिहानी की गारंटी, बिना पुनर्वास किसी गरीब को उजाड़ने पर रोक, सभी फसलों की सरकारी खरीद और उचित दाम की गारंटी, किसानों और ग्रामीण मजदूरों के कर्ज माफ,खेती के लिए मुफ्त बिजली, हर खेत तक पानी और नहरों का आधुनिकीकरण, बटाईदारों को पहचान-पत्र, हक की गारंटी और बेदखली पर रोक, एपीएमसी एक्ट की बहाली, कृषि बाजार समितियों को पुनः सक्रिय करना, कृषि आधारित उद्योग-धंधों पर जोर, वंचित समुदायों को कुल 65 प्रतिशत आरक्षण और इसे 9वीं अनुसूची में दर्ज कराने की पहल, बिजली, राशन और पेंशन जैसी बुनियादी जरूरतों की गारंटी,दलित-गरीबों पर हिंसा, पुलिसिया ज्यादती और भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई, 1500 रु. वृद्धावस्था पेंशन करना , दो लाख रुपए तक के सभी कर्जो की माफी, सभी आशा, ममता, रसोइया, जीविका, सफाईकर्मी और नियोजन कर्मियों को न्यूनतम मानदेय व सरकारी दर्जा, मनरेगा में 200 दिन काम, 600 रु. दैनिक मजदूरी, पुरानी पेंशन योजना बहाली, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए निदेशालय एवं राज्यवार सहायता केंद्र, सभी रिक्त पदों पर तत्काल बहाली, बेरोजगारों को 3000 रूपये मासिक भत्ता, समान शिक्षा प्रणाली और निजी शिक्षा पर नियंत्रण, पेपर लीक पर सख्त कानून और छात्रवृत्ति राशि में वृद्धि, हर प्रखंड में महिला कॉलेज और छात्राओं के लिए मुफ्त शिक्षा,पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की पहल, सभी महिलाओं को 2500 रूपये मासिक सम्मान राशि, हिंसा, उत्पीड़न और ऑनर क्राइम पर सख्त रोक, कार्यस्थलों पर विशाखा गाइडलाइन का पालन और महिला हॉस्टल की व्यवस्था, माइक्रोफाइनेंस शोषण पर नियंत्रण और गरीब महिलाओं के कर्ज माफ करना, स्वरोजगार के लिए ब्याजमुक्त ऋण और मातृत्व अवकाश की गारंटी, अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा, वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और सच्चर कमेटी की सिफारिशों पर अमल, आदिवासियों को वनाधिकार, पेसा कानून के तहत स्वशासन और विस्थापन से सुरक्षा,बाढ़-सुखाड़ नियंत्रण के लिए टिकाऊ समाधान और अवैध खनन पर रोक शामिल हैं।

इस संकल्प में स्वास्थ्य सेवाओं में 40 प्रतिशत रिक्तियों की बहाली, सभी के लिए मुफ्त इलाज, जांच और दवा, हर पंचायत में डॉक्टर और दवा के साथ सुसज्जित स्वास्थ्य केंद्र, हर गांव में शुद्ध पेयजल और सफाई व्यवस्था, छोटे दुकानदार, स्टार्टअप और विकलांग जनफुटपाथ दुकानदारों की आजीविका की सुरक्षा औरवेंडिंग जोन की गारंटी, छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स को आसान कर्ज व मार्गदर्शन सहायता, सभी विकलांग जनों को 3000 मासिक पेंशन और मुफ्त राशन, शराबबंदी कानून की समीक्षा और न्यायपूर्ण नीति, संविधान विरोधी या संघीय ढांचे के खिलाफ किसी कानून को बिहार में लागू नहीं होने देना भी शामिल है। इसे कहा गया है कि भाकपा-माले का यह संकल्प पत्र न्याय, समानता और लोकतंत्र पर आधारित बिहार के निर्माण की गारंटी का दस्तावेज है।

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