Court Release: सुप्रीम कोर्ट ने 22 वर्षों से जेल में बंद एक व्यक्ति को रिहा किया!

Tue, Oct 07 , 2025, 09:48 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बहन के प्रेमी की हत्या के जुर्म में करीब 22 वर्षों से आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक व्यक्ति को तत्काल रिहा करने का मंगलवार को निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन (K. Vinod Chandran) की पीठ ने यह आदेश पारित किया। पीठ ने याचिकाकर्ता अनिलकुमार उर्फ लपेटु रामशकल शर्मा को उसकी इस दलील से सहमति जताते हुए यह राहत दी कि दिशानिर्देशों के अनुसार उसे 22 साल बाद रिहा किया जाना चाहिए था, क्योंकि उसका अपराध पारिवारिक प्रतिष्ठा को बनाए रखना था।

पीठ ने दलीलें सुनने के बाद कहा, "स्पष्ट रूप से यह अपराध पारिवारिक प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए किया गया है, जिसका अर्थ इन परिस्थितियों में परिवार के नाम को कलंकित करना हो सकता है।" पीठ ने हालांकि कहा कि यह क्षमा योग्य नहीं है, फिर भी अपीलकर्ता के पास लगभग 22 वर्षों की कैद के बाद छूट का एक वैध मामला है। शीर्ष अदालत ने अपीलकर्ता की रिहाई की याचिका स्वीकार करते हुए इस तथ्य पर भी गौर दिया कि अपराध की तारीख को उसकी आयु केवल 18 वर्ष ही थी। पीठ ने गौर किया कि रिट याचिका के साथ संलग्न हिरासत प्रमाणपत्र से संकेत मिलता है कि अपीलकर्ता 30 सितंबर, 2024 तक 20 वर्ष 07 महीने और 08 दिन से हिरासत में है।

पीठ ने कहा, "अपीलकर्ता अब लगभग 22 वर्षों से हिरासत में है। बाईस वर्ष में सिर्फ तीन महीने से कम है। हम अपीलकर्ता के इस तर्क को सही पाते हैं कि जिस श्रेणी के तहत छूट पर विचार किया जाना चाहिए था, वह 15 मार्च, 2010 के सरकारी प्रस्ताव के तहत 3(बी) थी।" शीर्ष अदालत ने उसे तत्काल रिहा करने का आदेश देते हुए महसूस किया कि तीन महीने और जेल में रहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इससे न तो पीड़ित के परिवार को सांत्वना मिलेगी और न ही आरोपी को अतिरिक्त पश्चाताप होगा। इससे पहले अपीलकर्ता ने 20 वर्ष की सजा काटने के बाद समयपूर्व रिहाई की मांग की थी।

महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों ने मुंबई की निचली अदालत से इस संबंध में राय मांगी थी, जिसने उसे दोषी ठहराया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की इस राय के आधार पर कि अपीलकर्ता द्वारा किया गया कृत्य समयपूर्व रिहाई के लिए बनाए गए 2010 के दिशानिर्देशों की श्रेणी 4(डी) के दायरे में आता है, सरकार ने अपने गृह विभाग के माध्यम से 24 वर्ष बाद उसकी रिहाई का निर्देश दिया। अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि वह धारा 3(बी) के तहत जो व्यक्तिगत रूप से या किसी गिरोह द्वारा पूर्व-नियोजित तरीके से किए गए अपराध या पारिवारिक प्रतिष्ठा से उत्पन्न हत्या को संदर्भित करता है।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups