Early live-in relationship: १९ साल के लड़की के लिव-इन रिलेशनशिप में रहने पर भड़के डॉक्टर; जानिए कारण!

Tue, Oct 07 , 2025, 09:50 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Early live-in relationship: हमारे समाज में अक्सर ऐसी खबरें सामने आती हैं कि युवा लड़कियाँ असमंजस की स्थिति में कुछ फ़ैसले ले लेती हैं और इसका असर उनके स्वास्थ्य पर लंबे समय तक रहता है। ज़िंदगी की शुरुआत में ही वे उचित मार्गदर्शन के बजाय अस्थायी समाधान ढूँढ़ने लगती हैं। ये उपाय समस्या का समाधान तो करते दिखते हैं, लेकिन शरीर के अंदर गहरे जाकर ये बहुत बड़ा नुकसान पहुँचा सकते हैं।

अक्सर ये बातें छुप-छुपकर होती हैं, क्योंकि लड़कियाँ समाज, घर या दोस्तों-परिवार के सामने इस बारे में बात करने से हिचकिचाती हैं। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे फ़ैसले भविष्य में मातृत्व, मानसिक स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। अनजाने में की गई छोटी-छोटी गलतियाँ भी बड़ा असर डाल सकती हैं। इसलिए इस बारे में जागरूकता ज़रूरी है और वास्तविक जानकारी प्राप्त करना बेहद ज़रूरी है।

अनजाने में किए गए ज़रूरी उपाय
युवा लड़कियाँ अक्सर जल्दबाज़ी में दवाइयों की किट का सहारा लेती हैं। बाहर से देखने पर यह आसान लगता है, लेकिन इसके पीछे छिपे खतरों पर ध्यान नहीं दिया जाता। डॉ. शैफाली दधीचि कहती हैं कि ऐसी किट के इस्तेमाल से शरीर की प्राकृतिक प्रक्रियाएँ बाधित होती हैं। इससे भविष्य में गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है। आपातकालीन उपाय के रूप में उठाया गया यह कदम दीर्घकालिक समस्याओं का कारण बन सकता है।

योनि स्वास्थ्य पर प्रभाव
डॉक्टरों के अनुसार, ऐसी दवाओं का इस्तेमाल योनि स्वास्थ्य को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। योनि में संक्रमण, लगातार स्राव, दर्द या सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ये समस्याएं आगे चलकर स्थायी बीमारियों का रूप ले सकती हैं। इससे लड़कियों के आत्मविश्वास पर असर पड़ता है और उनके समग्र स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम होते हैं।

गर्भाशय के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी किट का लगातार इस्तेमाल गर्भाशय के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इससे गर्भाशय या गर्भ कमज़ोर हो जाता है और भविष्य में बच्चे को जन्म देने की क्षमता कम हो सकती है। गर्भाशय की दीवार को होने वाला नुकसान स्थायी हो सकता है। इसका सीधा असर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। इसलिए, ऐसी दवाओं का इस्तेमाल कभी भी अकेले नहीं करना चाहिए।

हार्मोनल असंतुलन का डर
आजकल, कई युवतियाँ ई-पिल्स या इसी तरह की गोलियों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करती हैं। लेकिन डॉ. शैफाली के अनुसार, ऐसी गोलियाँ शरीर में हार्मोन्स को बिगाड़ देती हैं। अनियमित मासिक धर्म, मूड स्विंग, पेट दर्द और पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हार्मोनल असंतुलन महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

उचित मार्गदर्शन और सुरक्षा
ऐसी स्थिति में सबसे ज़रूरी है किसी योग्य डॉक्टर से सलाह लेना। छिपने या शॉर्टकट ढूँढ़ने के बजाय, किसी विशेषज्ञ के पास जाना ही एकमात्र सही रास्ता है। डॉक्टर का कहना है कि इतनी कम उम्र में ज़िंदगी बदलने वाले फ़ैसले लेने के बजाय अपने करियर और अपनी सेहत पर ध्यान देना ज़्यादा ज़रूरी है। इससे न सिर्फ़ आपका वर्तमान, बल्कि भविष्य का मातृत्व भी सुरक्षित रहता है।

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