नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत की गयी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर केंद्र सरकार (Central Government) से जवाब तलब किया।
पीठ ने श्रीमती अंगमो की याचिका पर उनके अधिवक्ता कपिल सिब्बल और केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद आदेश पारित किया। पीठ ने कहा, "नोटिस जारी करें।" इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने पीठ के समक्ष कहा कि याचिका पर्यावरणविद् वांगचुक की हिरासत की आलोचना करती है। पीठ के समक्ष दलील देते हुए उन्होंने कहा, "हम हिरासत के खिलाफ हैं।"
इस पर केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि श्री वांगचुक को हिरासत के आधार बताये गये हैं। श्रीमती अंगमो ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत अपने पति की हिरासत को चुनौती दी है। इस मामले में श्रीमती अंगमो ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में अपने पति की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया है।
उन्होंने याचिका में अपने पति पर एनएसए लगाने पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि उनकी ‘गिरफ्तारी अवैध और नियमों का उल्लंघन है।’ उन्होंने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के बाद उनके पति से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि श्री वांगचुक को गिरफ्तार करने के बाद राजस्थान की जोधपुर केन्दीय जेल में रखा गया है। लद्दाख में अलग राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद उन्हें 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। इस प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गयी थी।
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Mon, Oct 06 , 2025, 12:33 PM