Court Custodial Death: मध्यप्रदेश में पुलिस हिरासत में मौत, आरोपी पुलिसकर्मियों को सात अक्टूबर तक गिरफ्तार करने का आदेश!

Fri, Sep 26 , 2025, 06:27 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने एक युवक की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मृत्यु से जुड़े अदालती अवमानना मामले (court case) में चेतावनी देते हुए आरोपियों पुलिस अधिकारियों को सात अक्टूबर तक गिरफ्तार करने का शुक्रवार को आदेश दिया।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने मृतक युवक देवा पारधी की माँ की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
पीठ ने कहा कि हिरासत में हुई मौत के लिए कथित रूप से ज़िम्मेदार दो पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर वह केंद्रीय जाँच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) और मध्य प्रदेश के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय करेगा।

अदालत ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए सात अक्टूबर तक का समय दिया। पीठ ने संबंधित पक्षों को चेतावनी देते हुए कहा, "देश के शीर्ष न्यायालय के निर्देशों का पालन करें। पालन नहीं होने की स्थिति में हम जानते हैं कि पालन कैसे करवाया जाता है। हम न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत आरोप तय करेंगे और उसके परिणाम भुगतने होंगे। हम आपको एक अवसर दे रहे हैं। हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। हम अभी आरोप तय करने में जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं।"

पीठ ने आगे कहा, "आगामी अवकाश (Supreme Court ) को देखते हुए हम निर्देश देते हैं कि प्रतिवादी इस न्यायालय के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें और सात अक्टूबर, 2025 को या उससे पहले अनुपालन की सूचना दें। यदि आदेश का अनुपालन होता है तो याचिकाकर्ता के वकील इसका इस अदालत के समक्ष उसके बारे में उल्लेख कर सकते हैं और मामले को आगामी आठ अक्टूबर को सूचीबद्ध किया जाएगा।" अदालत ने कहा, "यदि अनुपालन (अदालती आदेश का) नहीं होता है तो प्रतिवादी संख्या -एक (राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह)) और प्रतिवादी संख्या तीन (सीबीआई के जाँच अधिकारी) न्यायालय में उपस्थित होंगे।"

पीठ ने कहा, "यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि राज्य सरकार और डीजीपी न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के लिए कदम उठाने हेतु सीबीआई को सभी जरूरी जानकारी प्रदान करेंगे।" शीर्ष अदालत ने मंगलवार और गुरुवार को इस मामले में सीबीआई और मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी। पीठ ने गुरुवार को राज्य सरकार से सवाल किया था, "अधिकारी (पुलिस) इतने महीनों से ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं औ आप चुप हैं।"

याचिका में शीर्ष अदालत के 15 मई के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया था, जिसमें मामले को मध्य प्रदेश पुलिस से जाँच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दी गई थी। पीठ को बुधवार को बताया गया था कि दोनों पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। शीर्ष अदालत ने यह देखते हुए कि पुलिस अधिकारी अप्रैल से फरार थे, आगे राज्य सरकार के वकील से गुरुवार को पूछा, "कल निलंबित क्यों किया गया? आप कहते हैं कि वे अप्रैल से फरार हैं। इसका मतलब है कि आप उन्हें बचा रहे हैं। अब यह वास्तव में अवमानना है।"

पीठ ने वकील से आगे पूछा, "आप अप्रैल से ही उनकी तलाश कर रहे हैं। आपने उन्हें निलंबित क्यों नहीं किया? इसका क्या मतलब है? आपकी सारी कोशिशें दिखावा हैं।"
सीबीआई के वकील ने दलील दी कि वे पुलिस अधिकारियों के वित्तीय लेन-देन का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। पीठ को बताया गया था कि पुलिस अधिकारियों के वाहनों पर हाईवे टोल पर नज़र रखी जा रही है। केंद्रीय एजेंसी सीबीआई के वकील ने कहा था कि सोशल मीडिया अकाउंट्स की जाँच की गई है और गिरफ्तारी के लिए नकद इनाम की भी घोषणा की गई है, लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला है।
याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि स्थानीय पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की और युवा की मौत की जाँच को प्रभावित किया।

शीर्ष अदालत ने सीबीआई के वकील से पुलिस अधिकारियों की अग्रिम ज़मानत की सुनवाई के बारे में भी पूछा था। पीठ ने कहा था, "क्या आपने उस वकील से बात की है जो उसकी ओर से पेश हुआ था? क्या राज्य अग्रिम ज़मानत में शामिल नहीं था? सरकारी वकील ने क्या सलाह दी थी? वे उसे गिरफ्तार कर सकते थे।"

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