तिरुपति। वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता और टीटीडी (TTD) के पूर्व अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी (Bhumana Karunakar Reddy) ने रविवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू (Chief Minister N Chandrababu Naidu) पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने ज़मीन की अदला-बदली की आड़ में तिरूपति मंदिर (TTD) की बेहद कीमती संपत्ति ओबेरॉय होटल्स को सौंपने की "साजिश" रची है।
तिरुपति स्थित अपने आवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए श्री रेड्डी ने खुलासा किया कि तिरुपति शहरी क्षेत्र में लगभग 1,500 करोड़ रुपये मूल्य की टीटीडी की 20 एकड़ बेशकीमती ज़मीन को ग्रामीण इलाकों में स्थित पर्यटन विभाग की कम कीमत वाली ज़मीन से बदला जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे टीटीडी को 1,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि 7 मई को टीटीडी की एक विशेष बैठक भूमि विनिमय के एकमात्र एजेंडे के साथ बुलाई गई थी और एक महीने के भीतर 07 अगस्त को सरकार ने सौदे को मंजूरी देते हुए एक सरकारी आदेश जारी कर दिया।
उन्होंने कड़ी आलोचना करते हुए कहा "एजेंडा पत्रों में जानबूझकर भूमि मूल्यांकन का उल्लेख नहीं किया गया और यहां तक कि टीटीडी संपत्ति को भक्तों द्वारा मंदिर को दान की गई 'इनाम भूमि' के रूप में संदर्भित किया गया जिससे यह साजिश और भी संदिग्ध हो गई।
श्री रेड्डी ने विनिमय को अंजाम देने के लिए "जल्दी-जल्दी मोहरे बदलने" के लिए चंद्रबाबू नायडू और टीटीडी अध्यक्ष बी.आर. नायडू की आलोचना की।
उन्होंने कहा, "सरकार का असली इरादा यह जगह ओबेरॉय होटल्स को सौंपना है, जिससे वे पवित्र तिरुमाला पहाड़ियों के और भी करीब एक आलीशान होटल बना सकें, जो पहले प्रस्तावित जगह से भी ज़्यादा नज़दीक है, जिसका चंद्रबाबू नायडू ने खुद कभी विरोध किया था। वही चंद्रबाबू नायडू, जिन्होंने कभी ओबेरॉय को अस्वीकार कर दिया था, अब उन्हें भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के द्वार पर एक प्रमुख स्थान दे रहे हैं। यह विकास नहीं, दिनदहाड़े लूट है।"
टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष ने आगे पूछा कि जब सरकार के पास रेनीगुंटा, हवाई अड्डे के पास और ग्रामीण तिरुपति में सार्वजनिक भूमि के विशाल क्षेत्र उपलब्ध हैं, तो उसने मंदिरों की भूमि का विनिमय क्यों किया? उन्होंने कहा, "केवल भगवान की अमूल्य भूमि को ही क्यों निशाना बनाया जाए? इससे साबित होता है कि यह लूट का एक पूर्व-नियोजित कृत्य है।" इसे हिंदू धर्म पर सीधा हमला बताते हुए रेड्डी ने कहा, "जो लोग भगवान वेंकटेश्वर की पवित्रता की रक्षा करने का दावा करते थे वे अब पर्यटन के नाम पर मंदिरों की भूमि की नीलामी कर रहे हैं। क्या सनातन धर्म की रक्षा इसी तरह की जाती है?" उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी खतरनाक मिसाल राजनेताओं को राज्य भर में मंदिरों की भूमि का निजी और व्यावसायिक लाभ के लिए दोहन करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
चंद्रबाबू नायडू, उपमुख्यमंत्री के. पवन कल्याण और टीटीडी के अध्यक्ष बी.आर. नायडू को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराते हुए रेड्डी ने सरकारी आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की और दुनिया भर के भक्तों से इस विश्वासघात का विरोध करने का आग्रह किया। रेड्डी ने कहा " यह सिर्फ भूमि के बारे में नहीं है, बल्कि यह दुनिया भर में वेंकटेश्वर स्वामी के भक्तों की आस्था, विश्वास और गरिमा का सवाल है।"



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