Astrology: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, किसी भी शुभ मुहूर्त को निर्धारित करने से पहले नक्षत्र देखा जाता है। क्योंकि 27 नक्षत्रों में से कुछ नक्षत्र शुभ होते हैं। इसलिए उस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल अधिक मिलता है। रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) 27 नक्षत्रों में सबसे शुभ नक्षत्र है। इस नक्षत्र को धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सबसे शुभ माना जाता है। लेकिन रोहिणी नक्षत्र इतना खास क्यों है? इसके पीछे धार्मिक और पौराणिक मान्यताएँ हैं। रोहिणी नक्षत्र भगवान कृष्ण (Shri Krishna) से जुड़ा है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए रोहिणी नक्षत्र को प्रेम, सौंदर्य और मातृत्व का प्रतीक माना जाता है। जब भी यह नक्षत्र कृष्णाष्टमी के दिन पड़ता है, उस दिन की गई पूजा का महत्व बढ़ जाता है।
चंद्रमा 27 नक्षत्रों का स्वामी है। लेकिन रोहिणी नक्षत्र को चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी माना जाता है। इसी कारण इस नक्षत्र पर चंद्रमा की विशेष कृपा होती है। मान्यता के अनुसार, इस नक्षत्र की पूजा करने से चंद्रमा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मानसिक शांति भी मिलती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि में आता है। इसका स्वामी ग्रह चंद्रमा है। चंद्रमा मन, भावनाओं और मातृत्व का प्रतिनिधित्व करता है। जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होता है, तो सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इसलिए इस नक्षत्र का महत्व अधिक होता है। इस नक्षत्र में किए गए अनुष्ठानों का फल लंबे समय तक प्राप्त होता है। इसलिए, विवाह, गृह प्रवेश आदि पर इन्हें करना शुभ होता है।
रोहिणी नक्षत्र में कैसे करें पूजा?
रोहिणी नक्षत्र की पूजा के कुछ विशेष नियम हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान कृष्ण, माता रोहिणी और चंद्रमा की पूजा करें। उन्हें फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। इस दिन 'ॐ रोहिणीयै नमः' या भगवान कृष्ण के मंत्र का जाप करें। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से अधिक पुण्य मिलता है।



Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Fri, Aug 15 , 2025, 09:15 PM