vaishakh purnima pinda daan: हिंदू धर्म में वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन पितरों को समर्पित है और इस दिन तर्पण और पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा (Worship of Lord Vishnu and Moon) के लिए बहुत शुभ माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि यह भगवान गौतम बुद्ध की जयंती है। यह दिन बौद्ध धर्म में बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है। हिंदू धर्म में यह नरसिंह जयंती के बाद आने वाली वर्ष की दूसरी पूर्णिमा है। पूर्णिमा के दिन कोई भी महत्वपूर्ण कार्य करने से आपके जीवन में प्रगति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन गंगा स्नान और दान करना बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य और दान को अक्षय फल देने वाला माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पूर्णिमा के दिन दान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन दान करने से आपके महत्वपूर्ण कार्यों में प्रगति होती है।
पंचांग के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि 11 मई, रविवार को रात्रि 8:01 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 12 मई, सोमवार को रात्रि 10:25 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार वैशाख पूर्णिमा का पर्व 12 मई, सोमवार को मनाया जाएगा। चंद्रोदय का समय 12 मई को शाम 6:57 बजे होगा।
वैशाख पूर्णिमा पर तर्पण कैसे करें?
तर्पण का अर्थ है संतुष्टि देना। वैशाख पूर्णिमा के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए उन्हें जल अर्पित किया जाता है। इसकी सरल विधि इस प्रकार है। सुबह उठकर किसी पवित्र नदी, सरोवर या घर पर ही स्नान करें। यदि संभव हो तो पानी में गंगाजल मिलाएं।
स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
तर्पण करने के लिए तांबे का बर्तन या कोई अन्य पवित्र बर्तन लें। इसमें शुद्ध जल, काले तिल, जौ और सफेद फूल डालें।
अपने हाथों में कुश (एक प्रकार की घास) और जल लेकर अपने पूर्वजों की याद में तर्पण करने का संकल्प लें।
अपने पिता, दादा और परदादा को तीन बार जल अर्पित करें।
इसके अलावा अपनी मां, दादा और परदादा को भी तीन बार जल अर्पित करें।
इसके अलावा परिवार के अन्य मृतक सदस्यों और सभी ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों को भी जल से तर्पण करें।
जलांजलि देते समय अपने पितरों को स्मरण करें तथा निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:- “ॐ पितृभ्यः नमः” तथा “ॐ तत् सत् ब्रह्मणे नमः” तर्पण करते समय मन शांत रखें तथा अपने पितरों के प्रति आदर व कृतज्ञता का भाव रखें। उससे आशीर्वाद और मोक्ष मांगें।
वैशाख पूर्णिमा पर ऐसे करें पिंडदान….
पिंडदान का अर्थ है पितरों को भोजन की एक गेंद अर्पित करना। यह तर्पण वैशाख की पूर्णिमा के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किया जाता है। इसकी विधि इस प्रकार है।
पिंडदान के लिए किसी पवित्र स्थान जैसे नदी का किनारा या घर में कोई पवित्र स्थान चुनें।
आटे के लिए चावल का आटा, जौ का आटा या गेहूं का आटा प्रयोग किया जाता है। इसे पानी या दूध में गूंथ लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें।
तर्पण करने के बाद पितरों का स्मरण करते हुए प्रत्येक पूर्वज के नाम से पिंड बनाएं।
पिण्डों को कुशा के आसन पर रखें और उस पर गंगाजल, दूध, शहद और काले तिल चढ़ाएं।
श्रद्धापूर्वक पितरों को भोजन अर्पित करने की भावना रखें तथा पितरों के आशीर्वाद एवं मोक्ष के लिए प्रार्थना करें।
पिंडदान के बाद पिंड को किसी पवित्र नदी या सरोवर में विसर्जित कर दें। यदि आस-पास कोई नदी या झील न हो तो इसे पीपल के पेड़ के नीचे भी रखा जा सकता है।
वैशाख पूर्णिमा का महत्व...
वैशाख पूर्णिमा आध्यात्मिक उन्नति, दान और भगवान विष्णु और बुद्ध का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन है। वैशाख पूर्णिमा के दिन दान का भी विशेष महत्व है। अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, पानी, फल आदि दान करें। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग सत्यनारायण की कथा सुनते हैं। पशु-पक्षियों को पानी और अनाज देने से भी पितर प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि इस प्रकार वैशाख पूर्णिमा पर तर्पण और पिंडदान करने से पितर तृप्त होते हैं तथा उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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Tue, May 13 , 2025, 09:15 PM