भीलवाड़ा। राजस्थान में भीलवाड़ा में कुछ दिन पहले तक आसमान छू रहे टमाटर के दाम अचानक जमीन पर आने किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। जिले में टमाटर के दाम घटकर दो रुपये किलोग्राम से भी कम रह गए हैं। किसानों का कहना है इससे उत्पादन लागत निकलना तो दूर, उन्हें तोड़ने और परिवहन का खर्च ही नहीं निकल रहा है। स्थिति यह है कि किसान टमाटर खेतों (Farmers Tomatoes Fields)में ही में ही नष्ट करवा रहे हैं। अचानक दाम गिरने का कारण बंपर आवक होना बताया जा रहा है।
भीलवाड़ा कृषि उपज मण्डी में थोक विक्रेता मथुरालाल ढीबरिया (Wholesaler Mathuralal Dhibaria) ने सोमवार को बताया कि भीलवाड़ा जिले के मंगरोप, मेजा, झोंपडिय़ा, कोदूकोटा, नंदराय इलाके के साथ ही मध्यप्रदेश और अन्य क्षेत्रों से बड़ी मात्रा में टमाटर की आवक हो रही है। ऐसे में 25 किलोग्राम का कैरेट मात्र 40 से 50 रुपए के बीच बिक रहा है, जिससे किसानों को मण्डी में लाने तक का भाड़ा भी नहीं मिल पा रहा है।
प्रत्येक कैरेट में 24 से 25 किलोग्राम टमाटर होते हैं। कुछ समय पूर्व टमाटर के दाम 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे, जिससे किसानों को फायदा हुआ था, लेकिन इस वर्ष टमाटर का रकबा बढ़ा। मौसम अनुकूल रहा और मावठा नहीं गिरा साथ ही पाला भी नहीं पड़ा। इससे हर जगह टमाटर का उत्पादन भरपूर हुआ। जिले में मेजा, कोदूकोटा, नंदराय, मंगरोप, कीरों की झोंपड़ियों के साथ ही अन्य गांवों से टमाटर की आवक बढ़ी है वहीं मध्यप्रदेश से भी टमाटर आ रहे हैं। ऐसे में टमाटर के दाम गिर गए हैं। थोक मण्डी में जहां दो रुपए किलोग्राम से भी कम में टमाटर बिक रहे हैं, जबकि खेरिज में यही टमाटर 15 से 20 रुपए प्रति किलो में बेचे जा रहे हैं।
भाव नहीं मिलने से टमाटर खेतों में ही सड़ रहा है, तो किसान मवेशियों को भी खिला रहे हैं। झोंपड़िया गांव के कालुसिंह, भगवान रेगर और मंगरोप के रामलाल पूर्बिया ने टमाटर के दाम देखकर खेतों में टमाटरों को नष्ट करवा दिया। ऐसे कई और किसान हैं, जो टमाटर की कीमत नहीं मिलने से परेशान है और कर्ज में डूबते नजर आ रहे हैं।
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