बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती की पूजा से मन को मिलती है शांत

Sat, Feb 05 , 2022, 10:47 AM

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माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का अवतरण हुआ। बसंत पंचमी का त्योहार बसंत ऋतु की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। इसे श्री पंचमी नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है। माता सरस्वती की उपासना से मन शांत होता है और वाणी में निखार आता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य भी जुड़े हुए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में। मां सरस्वती की उत्पत्ति मां दुर्गा के पांचवें रूप स्कंदमाता से हुई। श्वेत वस्त्र, हाथों में वीणा, ग्रंथ धारण किए हुए मां सरस्वती जगत में ज्ञान की वर्षा करती हैं। मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने मां सरस्वती को वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन आपकी आराधना की जाएगी, तभी से इस दिन मां सरस्वती की पूजा की परंपरा आरंभ हुई। विद्यार्थी मां सरस्वती की आराधना भक्ति भाव के साथ करते हैं। इस दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं। इस त्योहार पर काले और लाल रंग के वस्त्र धारण न करें। बसंत पंचमी के दिन ही माता शबरी के जूठे बेर प्रभु श्रीराम ने खाए थे। बसंत पंचमी के दिन ही पृथ्वी राज चौहान ने शब्दभेदी बाण चलाकर मोहम्मद गौरी का वध किया था। बसंत पंचमी के दिन ही राजा भोज का जन्मदिवस मनाया जाता था। राजा भोज इस दिन जनता के लिए बहुत बड़े भोज का आयोजन कराते थे, जिसमें 40 दिनों तक पूरी प्रजा भोजन करती थी। बसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा वीर हकीकत राय के बलिदान का स्मरण करने से जुड़ी हुई है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा में वाद्य यंत्र और किताबें रखें। बच्चों को भी पूजा में शामिल करें। बच्चों को पुस्तकें उपहार में दें। अगर बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा कर हल्दी को एक कपड़े में बांधकर बच्चे की भुजा पर बांध दें। 

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