मुंबई: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) के कार्यक्रम की घोषणा हो चुकी है और ऐसा देखा जा रहा है कि राजनीतिक दलों (political parties) के बीच सियासत भी तेज हो गई है। ऐसा लगता है कि आम नागरिक राजनीति से ऊब चुके हैं। देखा जाए तो पिछले कुछ चुनावों में 'नोटा(NOTA)' पर भारी वोटिंग हुई है। इसलिए, इस साल भी लोगों द्वारा नोटा को अधिक वोट देने की संभावना है क्योंकि वे राज्य में कई पार्टियों और राजनीति द्वारा दिए गए नापसंद उम्मीदवारों से तंग आ चुके हैं।
देश में लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा हो चुकी है। हर पार्टी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। इसमें फिलहाल हिंसा, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति जारी है। दरअसल, आम मतदाता इन सब राजनीति से ऊब चुका है।
राज्य भर में कई जगहों पर कुछ पार्टियों ने जो उम्मीदवार उतारे हैं, वे आम लोगों को पसंद नहीं आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देखने में आ रहा है कि आम लोग राजनीतिक पार्टियों की राजनीति से ऊब चुके हैं। आम मतदाताओं ने अपनी-अपनी राय बना ली है।
'नोटा' का मत बढ़ने की संभावना
ख़राब राजनीति और निम्न-स्तरीय आरोपों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, कई मतदाता चुनावों से निराश हैं। इससे पता चलता है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों से ईवीएम मशीन (EVM machines) पर नोट बटन का इस्तेमाल बढ़ रहा है। पिछले साल 4 लाख 88 हजार से ज्यादा मतदाताओं ने उम्मीदवार को चुनने के बजाय 'नोटा' को चुना था। चुनाव कार्यालय के विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल लोकसभा चुनाव में भी 'नोटा' का इस्तेमाल बढ़ेगा।
'नोटा' के कारण मतदाताओं को उम्मीदवारों को अस्वीकार करने का अधिकार मिल गया है। चुनाव आयोग के पिछले दो साल के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में 'नोटा' का इस्तेमाल बढ़ा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 48 निर्वाचन क्षेत्रों में 4 लाख 88 हजार 766 मतदाताओं ने 'नोटा' का इस्तेमाल किया।
पिछली लोकसभा के आंकड़े क्या कहते हैं?
- 2019 लोकसभा चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों के मतदाता शहरी इलाकों के मतदाताओं से ज्यादा 'नोटा' का इस्तेमाल करते हैं।
- 2019 के लोकसभा चुनाव में पालघर में मतदाताओं ने सबसे ज्यादा 'नोटा' का इस्तेमाल किया।
- इस विधानसभा क्षेत्र के 29 हजार 479 वोटर्स ने 'नोटा' बटन दबाया था।
- 2019 के लोकसभा चुनाव में गढ़चिरौली-चिमूर में 24 हजार 488 मतदाताओं ने 'नोटा' विकल्प को प्राथमिकता दी।
- 2019 में राज्य में चार चरणों में लोकसभा चुनाव हुए थे।
- वोटों का गणित देखें तो राज्य में बीजेपी को 27.76 फीसदी (1 करोड़ 49 लाख से ज्यादा) वोट मिले।
-शिवसेना को 23.3 फीसदी (1 करोड़ 25 लाख 89 हजार से ज्यादा) वोट मिले।
- तीसरे स्थान पर कांग्रेस को 16.3 फीसदी (87 लाख 92 हजार से ज्यादा), जबकि एनसीपी को 15.5 फीसदी (83 लाख 87 हजार से ज्यादा) वोट मिले।
- अन्य को 14.6 फीसदी (78 लाख 65 हजार से ज्यादा) और 'नोटा' (4 लाख 88 हजार से ज्यादा) वोट मिले।
- हाल ही में हुए अंधेरी पॉट इलेक्शन में भी नोटा साढ़े आठ हजार से ज्यादा वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहा था।
राज्य के 48 लोकसभा क्षेत्रों में करीब पांच लाख मतदाताओं ने 'नोटा' को प्राथमिकता दी थी। लेकिन पिछले चुनावों के दौरान राज्य की राजनीति वैसी नहीं थी जैसी अब है। लेकिन आम नागरिक मौजूदा राजनीति से तंग आ चुके हैं। निर्दलीय सहित किसी भी दल के उम्मीदवार को अपना वोट देने की वर्तमान मानसिकता नहीं है। मतदाताओं की इस सर्वदलीय नाराजगी को राजनीतिक दलों के लिए खतरे की चेतावनी माना जा रहा है। इसलिए संभावना है कि इस साल भी बड़ी संख्या में नोटों पर मतदान होगा।
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Tue, Apr 02 , 2024, 04:12 AM