Electoral Bonds: चुनावी बांड क्या है; इसकी शुरुआत कब हुई, इसका उद्देश्य क्या था?

Thu, Feb 15 , 2024, 12:32 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Electoral Bond Scheme: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) की घोषणा से पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनावी बांड को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bond Scheme) को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया।

चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "काले धन (black money) पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन करना उचित नहीं है। चुनावी बॉन्ड योजना सूचना के अधिकार और सूचना की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।" 

चुनावी बांड क्या है?
भारत सरकार ने 2017 में चुनावी बांड योजना की घोषणा की। इस योजना को सरकार ने 29 जनवरी 2018 को कानूनी तौर पर लागू कर दिया था। सीधे शब्दों में कहें तो चुनावी बांड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय साधन है।

यह एक वचन पत्र (promissory note) है जिसे भारत में कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को दान दे सकता है।

चुनावी बांड पर प्राप्तकर्ता का नाम नहीं होता है। इस योजना के तहत भारतीय स्टेट बैंक की चयनित शाखाओं से रु. 1,000, रु. 10,000 रु. 1 लाख, रु. 10 लाख और रु. 1 करोड़ रुपये तक के किसी भी मूल्यवर्ग के चुनावी बांड खरीदे जा सकते हैं।

चुनावी बांड की अवधि केवल 15 दिनों की होती है, जिसके दौरान इनका उपयोग जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को दान देने के लिए किया जा सकता है। चुनावी बांड के माध्यम से चंदा केवल उन राजनीतिक दलों को दिया जा सकता है जिन्हें पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिले हों। इस योजना के तहत, चुनावी बांड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों में 10 दिनों की अवधि के लिए खरीद के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं।

चुनावी बांड कैसे काम करते हैं?
चुनावी बांड का उपयोग करना बहुत आसान है। इन बांड की राशि रु. 1,000 रुपये जैसे गुणकों में पेश किए जाते हैं। 1,000, 10,000, 100,000 और यह 1 करोड़ भी हो सकता है। ये आपको एसबीआई की कुछ शाखाओं में मिल जाते हैं। कोई भी केवाईसी-सक्षम दानदाता ऐसे बांड खरीद सकता है और फिर किसी भी राजनीतिक दल को दान दे सकता है। इसके बाद राजनीतिक दल इसे नकदी में बदल सकते हैं। 

चुनावी बांड किसे मिलता है?
यह बांड देश के सभी पंजीकृत राजनीतिक दलों को मिलता है, लेकिन शर्त यह है कि पार्टी को पिछले आम चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत या उससे अधिक वोट मिलना चाहिए। ऐसी पंजीकृत पार्टी चुनावी बांड के माध्यम से दान प्राप्त करने की हकदार होगी।

सरकार के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड के जरिए काले धन पर लगाम लगेगी और चुनाव में चंदे के तौर पर दी गई रकम का हिसाब-किताब किया जा सकेगा। इससे चुनाव कोष में सुधार होगा। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि चुनावी बांड योजना पारदर्शी है। 

यह योजना कब शुरू हुई?
2017 में, केंद्र सरकार ने वित्त विधेयक के माध्यम से संसद में चुनावी बॉन्ड योजना पेश की। संसद की मंजूरी के बाद 29 जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना की अधिसूचना जारी कर दी गई। इससे राजनीतिक दलों को चंदा मिलता है। 

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