Maharashtra Politics: शरद पवार और सुप्रिया सुले पैदल! शिंदे की तरह पूरी पार्टी ले उड़े अजित

Sun, Jul 02 , 2023, 04:37 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर दिलचस्प हो गई है. अजित पवार (Ajit Pawar) ने एक बार फिर शरद पवार के साथ खेल कर दिया है. वह एकनाथ शिंदे सरकार (Eknath Shinde Govt.) में शामिल हो गए हैं. उन्हें डिप्टी सीएम (Deputy CM) का पद दिया गया है. एनसीपी चीफ शरद पवार इस राजनीतिक उठापटक के बीच पुणे में हैं. कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता. अजित पवार के एनसीपी से किनारा करने के बाद साफ है कि बीजेपी ने महा विकास अघाड़ी (शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन) को ध्वस्त कर दिया है.
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को तोड़ने की यह पहली कोशिश नहीं थी. मसलन, अजित पवार पहले से ही बीजेपी का टार्गेट रहे हैं. नवंबर 2019 में एक सुबह अचानक तब की बीजेपी सरकार में अजित डिप्टी सीएम बन बैठे थे. मानो अब उनका सपना साकार हो गया है. एक बार फिर वह डिप्टी सीएम बन गए हैं. इस बार वह एनसीपी के 40 विधायक साथ लेकर आए हैं. उनके साथ आए विधायकों में आठ को मंत्रिमंडल में शामिल (join the cabinet) किया गया है. अजित पवार के साथ एनसीपी के तीन सांसद और 6 एमएलसी भी आए हैं.

अजित पवार डिप्टी, 8 को मिला मंत्री पद
एकनाथ शिंदे कैबिनेट में मंत्री के तौर पर अजित पवार, छगन भुजबल, दिलीप वालसे पाटिल, हसन मुश्रीफ, रामराजे निंबालकर, धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे, संजय बनसोडे, धर्मराव बाबा अत्राम और अनिल भाईदास पाटिल शामिल हुए हैं. अजित पवार शिंदे सरकार में देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी पद शेयर करेंगे. इस बीच एनसीपी प्रवक्ता महेश भारत तपासे ने कहा है कि आज के शपथग्रहण को किसी तरह की मान्यता नहीं है.

एनसीपी के 53 एमएलए, अजित पवार को 40 का साथ!
खबर है कि अजित पवार को 40 एनसीपी विधायकों का साथ है. राज्य विधानसभा में पार्टी के 53 विधायक हैं. बीजेपी और शिंदे वाली शिवसेना ने अजित पवार को साथ लाने की कई कोशिशें की. जानकार कहते हैं कि अगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए महाराष्ट्र मुश्किल साबित हो रहा था. ऐसे में एनसीपी का साथ बीजेपी गठबंधन के लिए अहम् था. कुछ महीने पहले गृह मंत्री अमित शाह मुंबई गए थे, तब भी अजित पवार के एनसीपी से किनारा करने की बात सामने आई थी.

अपना ही घर नहीं बचा सके शरद पवार
शरद पवार विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में हैं. हालांकि, उनके भतीजे अजित पवार ने ही उनसे किनारा कर लिया. दावे के मुताबिक पार्टी के एक तिहाई विधायक साथ और ले गए. साफ है कि इस खेल की पूरी स्क्रिप्ट इस कदर लिखी गई है, ताकि एनसीपी विधायकों पर दलबदल कानून भी लागू न हो. अगर अजित पवार के पास 36 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है तो इस स्थिति में दल बदल कानून लागू नहीं होगा.

एनसीपी के सिंबल पर अजित ने किया दावा
एनसीपी के पास अभी भी ऑप्शन है कि वे बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए आगे बढ़े. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि इससे तभी बचा जा सकता है जब मूल पार्टी का विलय हो. मसलन, अजित पवार को अपनी मूल पार्टी एनसीपी का विलय करना होगा. इसके लिए अजित पवार के पास एनसीपी का सिंबल होना चाहिए. अब इस चीज को साबित करने के लिए अजित पवार को चुनाव आयोग जाना होगा. अगर एनसीपी बागियों को अयोग्य ठहराने के लिए आगे बढ़ती है, तो इस स्थिति में बागी गुट को अयोग्यता का सामना करना होगा. इस बीच अजित पवार पार्टी के सिंबल पर दावा भी किया है.

एकनाथ शिंदे ने यूं किया उद्धव के साथ खेल
शिवसेना के खिलाफ शिंदे के विद्रोह पर भी काफी उठापटक देखा गया था. आखिर में पता चला कि उन्होंने शिवसेना के 35 विधायक तोड़ लिए और सात स्वतंत्र विधायकों को भी साथ ले आए. इसके बाद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) का कुनबा धीरे-धीरे खाली हो गया. शिंदे गुट में विधायकों का आना जारी रहा. बाद में पता चला कि एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर ही दावा बोल दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. अभी मामला पूरी तौर पर खत्म तो नहीं हुआ है, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया है कि शिवसेना पर अब उद्धव ठाकरे का अधिकार नहीं रह गया है.

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