गुरु अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं

Sat, Jul 01 , 2023, 06:51 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

हिंदू धर्म में आषाढ़ माह की पूर्णिमा का दिन वर्ष के सबसे शुभ दिनों में से एक है। इसी दिन को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह उत्सव 3 जुलाई 2023, सोमवार के दिन मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा वाले दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और बुधादित्य राजयोग बन रहा है. इन शुभ योग में गुरुओं दीक्षा लेना (take initiation) शुभफलदायी होगा। गुरु की चरण वंदना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. जीवन के कष्ट दूर होंगे.सफलता की राह आसान होगी। ब्रह्म योग - 02 जुलाई 2023, रात 07.26 - 03 जुलाई 2023 दोपहर 03.45 इंद्र योग - 03 जुलाई 2023, दोपहर 03.45 - 04 जुलाई 2023, सुबह 11.50 बुधादित्य योग - 24 जून को बुध का मिथुन राशि में प्रवेश होगा. सूर्य पहले से ही मिथुन राशि में विराजमान हैं. ऐसे में इन ग्रहों की युति से बुधादित्य राजयोग बन रहा है।  ऋषि वेद व्यास का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था। वेद व्यास को कई पुराणों, वेदों और महाभारत जैसे कुछ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू ग्रंथों का रचियता होने का श्रेय प्राप्त है। गुरु पूर्णिमा वेद व्यास के सम्मान में मनाई जाती है, वे प्राचीन भारत के सबसे सम्मानित गुरुओं में से एक है। आधुनिक शोधों में भी यह बात सिद्ध होती है कि वेद व्यास ने हिन्दू संस्कृति के चारों वेदों की संरचना की, महाकाव्य महाभारत की रचना की, कई पुराणों के साथ-साथ हिंदू सभ्यता की पवित्र विद्याशैली के विशाल विश्वकोशों की नींव रखी। जिस दिन भगवान शिव ने आदि गुरु या मूल गुरु के रूप में सप्त ऋषियों को ज्ञान दिया था, जो सभी वेदों के दृष्टा थे। योग सूत्र में प्रणव या ओम के रूप में ईश्वर को योग का आदि गुरु कहा गया है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने इसी दिन सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था, जो इस पवित्र दिन की महत्ता को चिन्हित करता है। गुरु पूर्णिमा हमारे अज्ञान को दूर करने वाले शिक्षकों के सम्मान में मनाई जाती है। प्राचीन काल से ही शिष्यों के जीवन में गुरु का विशेष स्थान रहा है। हिंदू धर्म की सभी पवित्र पुस्तकें गुरुओं के महत्व और एक गुरु और उनके शिष्य (शिष्य) के बीच के असाधारण बंधन को दर्शाती हैं। एक सदियों पुराना संस्कृत वाक्यांश माता पिता गुरु दैवम कहता है कि पहला स्थान माता के लिए, दूसरा पिता के लिए, तीसरा गुरु के लिए और आगे भगवान के लिए आरक्षित है। इस प्रकार, हिंदू परंपरा में शिक्षकों को देवताओं से ऊंचा स्थान दिया गया है। गुरु पूर्णिमा मुख्य रूप से दुनिया भर में हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध समुदायों द्वारा गुरुओं या शिक्षकों के सम्मान में मनाई जाती है। भारत में, गुरु दैनिक जीवन में एक सम्मानित स्थान रखते हैं, क्योंकि वे अपने शिष्यों को ज्ञान और शिक्षा प्रदान करते हैं। किसी व्यक्ति के जीवन में गुरु की उपस्थिति उन्हें सही दिशा की ओर लेकर जाने का काम करती है, ताकि वह एक सैद्धांतिक जीवन जी सके। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी गुरु पूर्णिमा के दिन का सम्मान करते हैं, क्योंकि भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश इसी दिन दिया था। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र दिन पर, जहां भारत में लोग इस त्योहार को अत्यधिक धार्मिक महत्व देते हैं, इसीलिए हमने यहां इस शुभ दिन को पूरे दिल से विधि-विधान के साथ मनाने के सर्वोत्तम तरीकों का वर्णन किया हैं।  अपने गुरुओं का आभार व्यक्त करने वाला दिन है। आमतौर पर यह आभार हमारे देवताओं जैसे गुरुओं की पूजा और कृतज्ञता व्यक्त करके मनाई जाती है। मठों और आश्रमों में, शिष्य अपने शिक्षकों के सम्मान में प्रार्थना करते हैं। लेकिन अगर आप यह जानना चाहते है कि गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें? या गुरु पूर्णिमा पर क्या करना चाहिए, तो हम आपको बता दें कि इस दिन, व्यक्ति को गुरु के सिद्धांत और शिक्षाओं का पालन करने के लिए खुद को समर्पित करना चाहिए और उनके दिए ज्ञान को अभ्यास में लाना चाहिए। हिन्दू संस्कृति में गुरु पूर्णिमा के साथ ही विष्णु पूजा को भी महत्व दिया जाता है। इस दिन विष्णु सहत्रनाम का पाठ करना चाहिए जिसमे भगवान विष्णु के हज़ार नाम वर्णित है। इस शुभ दिन पर अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने की कोशिश करें और अपनी ऊर्जा को सही दिशा दें। गुरु शब्द को इस तरह समझें कि गु संस्कृत का मूल शब्द है जिसका अर्थ है अज्ञान या अंधकार और रू उस व्यक्ति को दर्शाता है जो उस अंधकार को दूर करता है। इससे आप समझ सकते हैं कि गुरु वह व्यक्ति है, जो आपके जीवन से अज्ञान को मिटाता है, इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु के प्रति अपना सारा सम्मान प्रकट करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। यह दिन आप अकादमिक और आध्यात्मिक दोनों शिक्षकों को समर्पित कर सकते है। इसके अलावा, यह शुभ दिन ध्यान के लिए सबसे अच्छा माना जाता है और साथ ही योग साधनाओं के लिए भी यह दिन अति उत्तम माना गया है। आप इस दिन से अपनी दिनचर्या को अधिक बेहतर, सैद्धांतिक और अनुशासित बनाने का प्रण ले सकते हैं। सबसे पहले आप गुरु को नमन करें। यदि आपके गुरु आपके पास हैं, तो उन्हें तिलक लगाएं और आरती करें। यदि गुरु आपके पास नहीं हैं, तो गुरु के चित्र पर माल्यार्पण करें। गुरु पूर्णिमा पूजा में आप गुरु के द्वारा दिए गए मंत्र का जाप जरूर करें। गुरु पूर्णिमा के इस दिन से जुड़ी का बड़ा महत्व है। तो इस दिन भगवान विष्णु की प्रार्थना करने का सबसे अच्छा तरीका विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना है जो भगवान विष्णु के एक हजार नाम की सूची हैं।

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

गुरु की महिमा को संस्कृत श्लोक के माध्यम से व्यक्त किया गया है। यह श्लोक कहता है कि गुरु का स्थान देवों में भी सर्वोपरि है। गुरु ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। वे स्वयं परम ब्रह्म हैं और हम उन गुरु को प्रणाम करते हैं।
वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों (principles of vedic astrology) के अनुसार, आप एक अभ्यस्त और ऊर्जावान गुरु यंत्र की पूजा भी कर सकते हैं, खासकर यदि बृहस्पति ग्रह एक या अधिक ग्रहों के साथ आपकी जन्म कुंडली में मौजूद हों। यह आपकी कुंडली में गुरु या भगवान बृहस्पति के अच्छे प्रभावों को मजबूत करने में आपकी मदद करेगा।
यदि आपकी जन्म कुंडली में गुरु अपनी नीच राशि यानी मकर राशि में है, तो आपको नियमित रूप से किसी गुरु यंत्र की पूजा करनी चाहिए। आपकी जन्म कुंडली में बृहस्पति – राहु, बृहस्पति – केतु या बृहस्पति – शनि की युति होने पर भी गुरु यंत्र की पूजा  करना आपके लिए अनुकूल है। यदि गुरु आपकी कुण्डली में नीच भाव में अर्थात छठे, आठवें या बारहवें भाव में है तो आपको किसी ऊर्जावान गुरु यंत्र की पूजा करनी चाहिए। गुरु ग्रह के दुष्प्रभावों से बचने के लिए पुखराज भी पहना जा सकता है। धन-दौलत, व्यापार, नौकरी, संतान या स्वास्थ्य संबंधी किसी भी तरह की समस्या आपको नहीं होगी।

ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री
ज्योतिष सेवा केन्द्र 
09594318403/9820819501
panditatulshastri@gmail.com

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