नई दिल्ली. हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प लिमिटेड (Housing Development Finance Corp Ltd) यानी एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक (HDFC and HDFC Bank) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने शुक्रवार को दोनों संस्थानों के बीच मर्जर को 1 जुलाई से मंजूरी दे दी. जिसके बाद मार्केट कैप के लिहाज से एचडीएफसी दुनिया का जेपी मॉर्गन, आईसीबीसी और बैंक ऑफ अमेरिका (ICBC and Bank of America) के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा. मौजूदा समय में एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक का ज्वाइंट मार्केट कैप 14.73 लाख करोड़ रुपये है. 13 जुलाई तक एचडीएफसी के सभी शेयर और वारंट होल्डर एचडीएफसी बैंक के शेयरों के लिए एलिजिबल होंगे.
एचडीएफसी के नॉन कंवर्टेबल डिबेंचर (एनसीडी) को एचडीएफसी बैंक के नाम पर ट्रांसफर करने की तारीख 12 जुलाई तय की गई है. जबकि एचडीएफसी के कमर्शियल लेटर्स 7 जुलाई से एचडीएफसी बैंक में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे. खास बात ये है कि एचडीएफसी बैंक उन शेयरधारकों को प्रत्येक 25 इक्विटी शेयरों के बदले में 42 नए इक्विटी शेयर जारी करेगा. इस मर्जर को लेकर सबसे बड़े सवाल यही है कि आखिर देश के फाइनेंशियल सेक्टर को इस मर्जर का क्या फायदा मिलेगा .आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं.
आखिर क्यों लिया गया मर्जर का फैसला?
इस मर्जर के लिए तीन प्रमुख कारण दिखाई दे रहे हैं. आरबीआई ने सीआरआर और एसएलआर आवश्यकता को 27 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया और तीसरा, सिस्टम में हाई लिक्विडिटी होना रहा. एक सूत्र के मुताबिक इन तीनों के अलावा एक और कारण भी था, कि एचडीएफसी लिमिटेड में नेतृत्व 70 के करीब पहुंच रहा था, और उत्तराधिकार के उभरते सवाल को देखते हुए, यह महसूस किया गया कि एचडीएफसी बैंक के साथ मर्जर से बेहतर तालमेल लाभ मिलेगा. पुरी ने 26 अक्टूबर, 2020 को 26 वर्षों तक पद पर बने रहने के बाद इस्तीफा दे दिया था.
क्या इस मर्जर का कोई मतलब बनता है?
आरबीआई द्वारा नाॅन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज के लिए रेगुलेटरी सख्ती करने के साथ, विशेष रूप से एनपीए मान्यता मानदंडों के संबंध में, और नियमों को लगभग बैंकों के समान बनाने की वजह से एचडीएफसी लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक को अलग-अलग रखने के फसले पर सवाल खड़े हो रहे थे. इसके अलावा, एसबीआई के नेतृत्व में बैंकों और नए जमाने की फिनटेक कंपनियों ने होम लोन सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा तेज कर दी है.
हालांकि, व्यापार-संबंधी तालमेल को मर्जर के बिना भी ऑपरेट किया जा सकता था. मैनेज्मेंट का दावा है कि यूनिट की बैलेंस शीट का बढ़ा हुआ साइज उसे अपनी कंप्टीटिवनेस बढ़ाने और शेयरहोल्डर वैल्यू बनाने में सक्षम बनाएगा. एचडीएफसी लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2023 में 16,239 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया. एचडीएफसी बैंक का मुनाफा 44,108 करोड़ रुपये देखने को मिला था.
क्या मर्जर से एचडीएफसी बैंक को फायदा होगा?
यह मर्जर एचडीएफसी लिमिटेड के लिए अधिक फायदेमंद होगा क्योंकि इसका बिजनेस कम प्रॉफिटेबल है. इस मर्जर से कंपनी के प्रोडक्ट की पैठ मार्केट में बढ़ सकती है और फंडिंग कॉस्ट में भी कमी आने की उम्मीद है. वहीं, एचडीएफसी बैंक को मॉर्गेज पोर्टफोलियो के माध्यम से एक अद्वितीय लाभ मिलेगा, जिससे इसे सेमी अर्बन और रूरल इलाकों में डिस्ट्रीब्यूशन में एक बड़ी छलांग मिलेगी.
ज्वाइंट यूनिट में पर्याप्त तालमेल से प्रॉफिट हासिल करने में सफल होगी, जो सभी बेनिफिशरीज और शेयरहोल्डर्स के लिए अच्छा होगा. वैसे मर्जर के बाद बनी यूनिट में कुछ लागत तालमेल देखने को मिलेगा, लेकिन यह देखना मुश्किल है कि विलय के बाद बनी यूनिट को अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में कैसे मदद मिलेगी. एचडीएफसी बैंक अपनी डिजिटल इनिशिएटिव के संकट से घिरा हुआ है, और इसकी रिटेल बैंकिंग के कई हिस्से फिनटेक कंपनियों के दबाव में हैं.
एचडीएफसी को अपने मॉर्गेज बिजनेस में पब्लिक सेक्टर के बैंकों के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है. एक विश्लेषक ने कहा, मैनेजमेंट के पास शॉर्ट टर्म चैलैंजेस का सामना करने और टॉप पर आने के सभी सॉर्स मौजूद है. विलय का एक और फायदा यह है कि एचडीएफसी के लिए उधार लेने की लागत कम हो जाएगी. जब ऐसा होता है, तो ज्वाइंट यूनिट को कॉस्ट एफिशिएंसी के मामले में बेनिफिट होगा और और शेयरधारकों के लिए वैल्यू में इजाफा होगा.
शेयरहोल्डर्स को मर्जर से क्या फायदा होगा?
मर्जर के हिस्से के रूप में, एचडीएफसी लिमिटेड के प्रत्येक 25 शेयरों के लिए एचडीएफसी बैंक के 42 शेयर दिए जाएंगे. दोनों के मिलने के बाद एचडीएफसी बैंक का 100 फीसदी स्वामित्व पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास होगा, और एचडीएफसी लिमिटेड के मौजूदा शेयरधारकों के पास 41 फीसदी हिस्सेदारी होगी. बैंक में. बैंक में विदेशी हिस्सेदारी करीब 8 फीसदी है और इसके बढ़ने की संभावना है. 30 जून को एचडीएफसी के शेयर 1.51 फीसदी बढ़कर 2821.50 रुपये पर बंद हुए.
फाइनेंशयिल सेक्टर पर क्या होगा असर?
इस मर्जर के बाद एचडीएफसी बैंक और एसबीआई के बीच मुकाबला और भी तीखा होने की उम्मीद है. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अनुसार, एचडीएफसी बैंक का लक्ष्य 15 फीसदी वार्षिक वृद्धि प्रदर्शित करते हुए पांच वर्षों में अपनी बैलेंस शीट को दोगुना करना है. वहीं एचडीएफसी बैंक आने वाले तीन सालों में अपनी ब्रांचों को दोगुना करने की योजना भी बना रहा है. बैंक तीन से चार सालों में तकनीकी स्टैक को बदलने की योजना बना रहा है. आने वाले महीनों में बैंकिंग सेक्टर में और अधिक मजबूती देखने की उम्मीद है. एक्सिस बैंक ने हाल ही में 12,325 करोड़ रुपये में भारत में सिटीबैंक के रिटेल कारोबार का अधिग्रहण किया है, और सरकार ने निजीकरण के लिए आईडीबीआई बैंक को ब्लॉक में डाल दिया है. स्टैंडर्ड एंड पूअर्स की रैंकिंग के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी शीर्ष स्थिति बरकरार रखी हुई है, इसकी संपत्ति साल-दर-साल 2.64 प्रतिशत बढ़कर 725.08 बिलियन डॉलर हो गJP



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Sat, Jul 01 , 2023, 02:32 AM