Opposition Unite: यूपी में विपक्षी एकता का असर (effect of opposition unity) बीजेपी के रंग में भंग करता नहीं दिख रहा है. विपक्षी एकता के नाम पर संभावित पार्टियों का मत प्रतिशत बीजेपी का लगभग आधा है. इसलिए पीएम मोदी को हराने की संभावना यूपी के 80 लोकसभा सीटों (Lok Sabha seats) पर नहीं के बराबर दिखाई पड़ती है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) यूपी में विपक्षी एकता कायम करने वाली पार्टियों की प्रमुख घटक दल है. इसके नेता अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पटना में होने वाली मीटिंग में शामिल होने पहुंचे थे.
मीटिंग में शामिल होने वाले दलों के लिहाज से देखा जाय तो यूपी में समाजवादी पार्टी के अलावा कांग्रेस और आरएलडी के गठबंधन की संभावना जताई जा रही है. वैसे आरएलडी नेता जयंत चौधरी (RLD leader Jayant Chaudhary) पटना में होने वाली विपक्षी एकता की मीटिंग से 23 जून को अनुपस्थित रहे थे. जयंत चौधरी ने नहीं आने की वजह निजी बताया था.
कैसे हरा पाएंगे पीएम मोदी को यूपी में ?
साल 2019 के लोकसभा चुनाव के मत प्रतिशत के हिसाब से इन तीनों घटक दलों के मत प्रतिशत को देखें तो ये तकरीबन 26 फीसदी के आंकड़े को छूने में कामयाब रहा है .समाजवादी पार्टी का मत प्रतिशत साल 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 18 फीसदी कांग्रेस 6.36 फीसदी,आरएलडी 1.67 और जेडीयू .01 फीसदी रहा था. पिछले लोकसभा चुनाव में बीएसपी और समाजवादी पार्टी मिलकर बीजेपी के खिलाफ यूपी में चुनाव लड़ने मैदान में उतरी थे.
बीएसपी पिछले लोकसभा चुनाव में 19.3 फीसदी वोट पाकर बीजेपी के बाद नंबर दो की हैसियत पर थी. लेकिन इस बार बीएसपी के नेता मायावती को विपक्षी एकता की मीटिंग में आमंत्रित नहीं किया गया था. ज़ाहिर है यूपी में मायावती के विपक्षी एकता की हिस्सा नहीं होने पर विपक्षी एकता की ताकत पहले से और कमजोर दिख रही है और बीजेपी कई गुणा ज्यादा ताकतवर.
दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए यूपी क्यों है अहम ?
बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव में 49.6 फीसदी मत पाने में सफल रही थी. बीजेपी के मत प्रतिशत को देखा जाय तो ये लगभग कुल मत प्रतिशत का आधा है. इसलिए बीजेपी के मत प्रतिशत के आसपास भी विपक्षी एकता की ताकत दिखाई नहीं पड़ती हैं. साल 2019 में बीजेपी 62 और इसके घटक दल 2 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रहे थे.
बीजेपी का मत प्रतिशत साल 2014 की तुलना में तकरीबन 7 फीसदी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बढ़ा था. लेकिन बीएसपी और एसपी के बीच सीटों के तालमेल की वजह से लोकसभा सीटें साल 2014 की तुलना में बीजेपी को कम मिली थी. बीजेपी साल 2014 में 71 और उसकी घटक दल दो सीटें जीतने में सफल रही थी. यानि एनडीए साल 2014 में 73 सीटें जीतकर विपक्ष का सूपड़ा साफ करने में सफल रही थी वहीं साल 2019 में एनडीए 64 सीटें जीतने में सफल हो पाया था. इस चुनाव में एनडीए के मतप्रतिशत में 7 फीसदी इजाफा होने के बावजूद एनडीए को 9 सीटों का नुकसान हुआ था.
मायावती के बगैर विपक्ष बीजेपी के आस-पास भी नहीं ?
यूपी में विपक्ष बीएसपी के बगैर एनडीए के आसपास भी नजर नहीं आ रही है. साल 2019 के मत प्रतिशत के हिसाब से समाजवादी पार्टी ,कांग्रेस और आरएडी के गठबंधन के लिए बीजेपी के मत प्रतिशत को पाटना एक गंभीर चुनौती जान पड़ता है. वैसे बीएसपी विपक्षी एकता से बाहर है लेकिन उसके मत प्रतिशत को साथ कर भी दिया जाय तब भी पूरी विपक्षी पार्टियों का मत 45 फीसदी के आसपास पहुंच पाता है. ज़ाहिर है बीजेपी के मत प्रतिशत 49.36 के सामने विपक्षी पार्टियां पिछले चुनाव में मिलने वाली वोटों के लिहाज से बौनी दिख रही हैं.
वैसे आरएलडी विपक्षी एकता का हिस्सा बनेगी या नहीं इस पर भी कयास लगाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि जयंत चौधरी वेस्ट यूपी में मनमाफिक सीटें अखिलेश यादव से चाहते हैं लेकिन अखिलेश तकरीबन एक दर्जन सीटें आरएलडी को देने के पक्ष में नहीं हैं. ऐसे में अगर आरएलडी भी बीएसपी की तर्ज पर विपक्षी एकता की कवायद से बाहर हो जाती है तो यूपी में विपक्षी एकता की ताकत काफी कमजोर दिखने का अनुमान है.
15 सीटों पर सिमट गईं थी विपक्षी पार्टियां
यूपी में विपक्षी एकता का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिलेश यादव साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी और आरएलडी का साथ लेकर खासा असर डालने में नाकामयाब रहे थे. विपक्षी पार्टियां 15 सीटों पर ही सिमट गई थी. ज़ाहिर है इस बार अखिलेश यादव के लिए चुनौतियां पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई हैं. बीजेपी यूपी में विपक्षी दलों की एकता की परवाह क्यों नहीं कर रही है.
बीजेपी ने यूपी में अपना लक्ष्य 80 सीटों का रखा है. वोट शेयर के हिसाब से बीजेपी विपक्षी दलों की तुलना में कहीं आगे दिखाई पड़ रही है. यूपी में पीएम मोदी के अलावा योगी भी अपना असर रखते हैं. इसलिए कहा जा रहा है कि पीएम मोदी और सीएम योगी के प्रभाव की वजह से बीजेपी यूपी में कहीं ज्यादा असरदार रहने वाली है. इतना ही नहीं बीजेपी के साथ लाभार्थी वर्ग का बड़ा समुह पिछले दस सालों में जुड़ गया है.
राम मंदिर को लेकर भी बीजेपी में उत्साह
वहीं राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर भी बीजेपी कहीं ज्यादा आशान्वित और उत्साहित है. बीजेपी यूपी में साल



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Wed, Jun 28 , 2023, 11:36 AM