आयोग हुआ सख्त
पश्चिम बंगाल: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes) ने देशभर में ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) पर समीक्षा बैठक शुरू किया है. इस समीक्षा के पीछे कारण ये जांचना है कि क्या देशभर में ओबीसी वर्ग को दिए जाने वाले संवैधानिक अधिकार को पूरी तरह पालन किया जा रहा है या नहीं. जांच के दौरान इस बीच केंद्रीय ओबीसी आयोग (Central OBC Commission) के सामने एक चौकाने तथ्य सामने आया है. इस क्रम में 25 फरवरी को पिछड़ा वर्ग आयोग ने बंगाल के आला अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में बंगाल के चीफ सेक्रेटरी (Chief Secretary of Bengal) भी मौजूद थे. समीक्षा और जांच के दौरान आयोग को पता चला कि बंगाल में कुल 179 जातियां ओबीसी में हैं. 179 ओबीसी जातियों की पूरी सूची जब केंद्रीय ओबीसी आयोग ने देखा तो पता चला कि सूबे में कुल 118 जातियां मुस्लिम ओबीसी से हैं जबकि लिस्ट में हिंदू ओबीसी की संख्या महज 61 है.
जब आयोग ने ये जानना चाहा कि मुस्लिम ओबीसी जातियों को तय करने का आधार क्या है तो पता चला कि बंगाल में कार्यरत सीआरआई (CRI) जातिगत सर्वे करके राज्य के ओबीसी कमीशन को देता है और ओबीसी कमीशन ही सरकार को ये लिस्ट देती है. जब आयोग ने जानना चाहा कि राज्य में जाति तय करने का मानक या आधार क्या रखा गया है तो पता चला आदमी का व्यवसाय देखकर उसकी जाति तय कर दी गई है ना कि उसके पूर्वजों या कुल खानदान के आधार पर.
पिछली जाति में पहले 108 जातियां
जांच के दौरान आयोग ने पाया कि साल 2011 के पहले बंगाल में महज 108 जातियां ही पिछड़ी जाति के दायरे में आती थी जिसमें 53 मुस्लिम वर्ग के ओबीसी और 55 हिंदू ओबीसी वर्ग से आती थी. लेकिन 2011 के बाद राज्य के ओबीसी जातियों की सूची में भारी बदलाव आया और इसमें ओबीसी अतिरिक्त जातियों के 71 जातियों को जोड़ा गया जिसमें से 65 ओबीसी जातियां मुस्लिम समाज से जोड़ी गई जबकि मात्र 6 ओबीसी जातियां ही हिंदू समाज की जोड़ी गई. यहां आयोग ने जांच में ये भी पाया कि पश्चिम बंगाल की कुल जनसंख्या में हिंदुओं की कुल आबादी 70.5% है जबकि कुल आबादी के 27% मुस्लिम बंगाल में रहते हैं.
बंगाल में OBC की 2 कैटेगरी
जांच के दौरान राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने ये भी पाया कि बंगाल में ओबीसी को 2 कैटेगरी में बांटा गया है. जिसमे से A कैटेगरी के अति पिछड़ा वर्ग में 81 जातियों में से 73 जातियां मुस्लिम ओबीसी हैं जबकि मात्र 8 जातियां ही हिंदू ओबीसी वर्ग की हैं. वहीं ओबीसी वर्ग के हैं B कैटेगरी बैकवर्ड कम्युनिटी के 98 जातियों में से 45 मुस्लिम ओबीसी हैं 53 हिंदू ओबीसी वर्ग के लोग आते हैं. हालांकि केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने बंगाल में मेडिकल कॉलेज और ऊंच शिक्षण संस्थानों के नामांकन में ओबीसी वर्ग को दिए जा रहे रिप्रेजेंटेशन पर संतोष व्यक्त किया है जहां ओवरऑल पिछड़ों को तय आरक्षण के मानकों को पूरा किया गया है.
91.5 % लाभ मुस्लिम ओबीसी को
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का कहना है की उसने जांच में ये पाया है कि राज्य सरकार की नौकरियों में भर्ती में A कैटेगरी के ओबीसी वर्ग के नियुक्ति में 91.5 % लाभ मुस्लिम ओबीसी को मिला है जबकि हिन्दू ओबीसी को मात्र 8.5% ही फायदा मिल पा रहा है. वहीं B कैटेगरी वर्ग के ओबीसी को भर्ती में मिलने वाले फायदों में 54% हिंदू ओबीसी थे और 45.9% मुस्लिम ओबीसी जातियों के लोगों को फायदा हुआ है.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग सख्त
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर का स्पष्ट मानना है कि ओबीसी वर्ग के लाभार्थियों में मुस्लिम वर्ग की बहुलता उन्हें खास फायदा पहुंचाने के हिसाब से बनाई गई व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि जब हमने जानना चाहा कि बंगाल की सीआरआई और राज्य की सरकार कहां से लाती हैं ये जातियों की सूची तो पता चला कि लोगों के काम के आधार पर ही उनकी जातियां तय कर देते हैं, इसे उनके पूर्वजों के आधार पर नहीं बनाया है.
अधिकांश मुस्लिम ओबीसी हिंदू से ही मुस्लिम बने
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का कहना है कि पश्चिम बंगाल के कुचविहार में भाटिया मुस्लिम बांग्लादेश से आए हैं. जिनको ओबीसी वर्ग के A कैटोगरी में रखा गया है. राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के सामने बंगाल पिछड़ा आयोग ने तर्क दिया कि बंगाल में ओबीसी कैटेगरी में फायदा उठाने वाले अधिकांश मुस्लिम ओबीसी हिंदू से ही मुस्लिम बने हैं. इस बाबत हंसराज आयोग का कहना है कि उन्होंने तर्क दिया है लेकिन साक्ष्य नहीं दिया. केंद्रीय पिछड़ा आयोग का कहना है कि बंगाल ओबीसी वर्ग में बांग्लादेशी घुसपैठियों और उनके आश्रितों को लाकर मिक्स किया गया है.
बंगाल में ममता दीदी की तुष्टिकरण राजनीति
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का मानना है कि तुष्टिकरण की नीति के कारण जानबूझकर बंगाल में ये सब काम किया गया है. जहां कुल आबादी के 34 प्रतिशत ओबीसी हैं. आयोग का कहना है कि बंगाल के मेडिकल कॉलेज में 90 प्रतिशत मेडिकल स्टूडेंट मुस्लिम ओबीसी कैटेगरी के हैं. राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने बंगाल सरकार और राज्य पिछड़ा आयोग को कहा है कि राज्य की ओबीसी सूची गलत बना है जो असली ओबीसी जनता के साथ अन्याय है. आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया है जल्द से जल्द राज्य की पिछड़ा वर्ग की सूची को दुरुस्त किया जाय. इस क्रम में पश्चिम बंगाल सरकार से पिछले 12/13 सालों का रिक्रूटमेंट डिटेल मांगा है.



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Sun, Jun 11 , 2023, 12:03 PM