Uddhav vs Shinde: लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना गुटों में रार! बागी तेवर अपना रहे सांसदों और विधायकों पर नजर

Wed, May 31, 2023, 10:22

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मुंबई. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) दावा कर रही है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई वाली शिवसेना के अधिकांश विधायक और सांसद महाराष्ट्र में 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों (Lok Sabha and Assembly elections in Maharashtra) से पहले ‘मूल पार्टी के पाले में लौटना चाहते हैं’ और उनमें ‘अशांति’ बढ़ रही है. शिवसेना (यूबीटी) के सांसद विनायक राउत (Vinayak Raut) ने सोमवार को दावा किया कि ‘शिंदे गुट में शामिल होने वाले हमारे कुल 40 विधायकों में से 22 विधायक उद्धव सेना में लौटने की योजना बना रहे हैं. और, हमारे 13 में से 9 सांसद जो शिंदे के साथ बागी हो गए थे, वे भी इसी राह पर चलना चाहते हैं.
हाल ही में, उद्धव और उनके कई सहयोगियों ने भी इसी तरह के दावे किए थे, जिसमें कहा गया था कि मूल पार्टी छोड़ने वाले नेता अपने दल-बदल का ‘पछतावा’ कर रहे हैं. पार्टी ने कहा कि शिवसेना के सांसदों एवं विधायकों ने ठाकरे परिवार को ‘धोखा देकर’ भाजपा से हाथ मिला लिया, लेकिन एक ही साल में उनका मोहभंग हो गया और उनके अलग होने की बात होने लगी है. सीएम शिंदे ने उद्धव सेना के दावों को उनकी ‘कल्पना’ और ‘बनी-बनाई सोच बताकर सिरे से खारिज कर दिया है.
शिंदे गुट के मंत्री दीपक केसरकर ने कहा, ‘कई विधायक और सांसद जो उद्धव ठाकरे के साथ बने हुए हैं, वास्तव में पाला बदलने के लिए सही मौके का इंतजार कर रहे हैं. वे उद्धव सेना छोड़ देंगे और 2024 के चुनाव से पहले शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो जाएंगे.’ शिंदे सेना के एक अन्य मंत्री ने यहां तक ​​दावा किया कि ‘इस तरह के पलायन के बाद, केवल उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे ही शिवसेना (यूबीटी) में रहे जाएंगे.’
इन दावों और प्रतिदावों के बीच, यह बात बनी हुई है कि शिंदे सेना के नेताओं में एक कथित बेचैनी शुरुआत से ही रही है. इसके कई नेता, जिनमें मंत्री भी शामिल हैं, अक्सर शिकायत करते हैं कि भाजपा के साथ गठबंधन सरकार में रहने के बावजूद उनके साथ सही व्यवहार नहीं हो रहा है. शिंजे गुट के विधायकों और सांसदों के बीच यह एक आम बात रही है कि केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार होने और राज्य में सहयोगी दल होने पर भी उनकी भूमिका पहले स्तर पर ना होकर दूसरे दर्जे की है.
गौरतलब है कि ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 2019 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ लिया था और उसने महाराष्ट्र में सरकार गठित करने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ हाथ मिलाया था. शिवसेना में पिछले साल फूट पड़ने के बाद शिंदे के गुट ने भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था और इसके बाद वह मुख्यमंत्री बन गए थे.

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