लोकसभा चुनाव के लिए MVA का खास फार्मूला
MVA Seat sharing Formula: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi) का सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है. इस फॉर्मूले के तहत ठाकरे गुट (Thackeray group) को लड्डू और कांग्रेस को डच्चू दिया गया है. सूत्रों से मिली जानकारियों के मुताबिक कुल 48 सीटों में से ठाकरे गुट 21, एनसीपी 19 सीटों पर और कांग्रेस 8 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जाहिर सी बात है कि कांग्रेस की ओर से असंतोष के स्वर बाहर आएंगे. क्योंकि खबर यह भी है कि पांच से छह सीटें ऐसी हैं, जिनमें आम सहमति नहीं हो पाई है.
इसलिए इन पांच-छह सीटों पर अदला-बदली हो सकती है और अनुमान है कि कांग्रेस को 10 सीटों पर राजी कर लिया जाएगा. दरअसल कुछ वक्त पहले हुए महाराष्ट्र में विधानसभा के उपचुनावों (assembly by-elections) में और विधानपरिषद के चुनावों में महाविकास आघाड़ी के संयुक्त उम्मीदवारों को बीजेपी के खिलाफ मिली सफलता ने यह साफ संदेश दिया है कि अगर सत्ता में वापस आने का सपना देखना है तो तीनों को एकत्र होना ही पड़ेगा. अलग-अलग रह कर यह फिलहाल नामुमकिन है.
मुंबई की 6 सीटों में से 4 पर ठाकरे गुट, 1 पर कांग्रेस, 1 पर NCP लड़ेगी चुनाव
मुंबई की बात की जाए तो इसके छह में से चार सीटों पर ठाकरे गुट, एक पर कांग्रेस और एक सीट पर एनसीपी चुनाव लड़ेगी. दूसरी तरफ बीजेपी भी तीसरी बार सत्ता स्थापित करने के लिए अपना पूरा जोर लगाने वाली है. बीजेपी ने इस बार अपनी रणनीति में काफी फेरबदल किया है.
2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2024 में सीन बहुत अलग है
2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2014 के लोकसभा चुनाव में सीन बहुत अलग है. पिछली बार बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन था. इसबार भी बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन है, लेकिन यह एकनाथ शिंदे की शिवसेना है. ठाकरे गुट महाविकास आघाड़ी के साथ है. यानी हिंदुत्व का वोट महाराष्ट्र में बंट चुका है. पिछली बार 48 में से बीजेपी को 23 सीटों पर जीत मिली थी. 18 सीटों पर शिवसेना ने जीत हासिल की थी. एनसीपी को 4 सीटों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस और एमआईएम को 1-1 सीटों पर जीत मिली थी.
BJP का लक्ष्य 48 में से 45 सीटों पर जीत का
बीजेपी ने इस बार 48 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है. ऐसे में साफ है कि बीजेपी की नजर ठाकरे गुट की सीटों पर होगी. दूसरी तरफ ठाकरे गुट की सीटों पर कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन हासिल होगा. इस बार जो नई चीज दिखाई दे रही है, वो यह कि ठाकरे गुट को बड़ी तादाद में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भी लोग समर्थन करने आगे आ रहे हैं. ऐसा पहले कम ही हुआ है.
इस बार हर पार्टी के लिए अलग-अलग है चुनौती
यह चुनाव हर पार्टी के लिए अपने-अपने नजरिए से खास है. ठाकरे गुट को अपना दम-खम वापस लाना है, वरना अस्तित्व का संकट है. बीजेपी को हिंदुत्व के वोट को बंटने से बचाना है. बीजेपी को यह साबित करना है कि पीएम मोदी का नाम महाराष्ट्र में भी चलता है और ठाकरे गुट का यह दावा पूरी तरह सही नहीं है कि महाराष्ट्र आकर बीजेपी को बालासाहेब ठाकरे का नाम लिए बिना गुजारा नहीं है. अगर बालासाहेब ठाकरे का नाम इतना ही जरूरी है तो चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान दे ही दिया है. देखना यह है कि यह वोटरों के दिल में कितना उतर पाया है.
एनसीपी के लिए यह चुनाव इसलिए जरूरी है क्योंकि शरद पवार को बार-बार देश के सबसे बड़े नेताओं में से एक के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाता रहा है. लेकिन सवाल यह है कि एनसीपी को महाराष्ट्र में ही बस कुछ इलाकों तक ही सीमित है. पहले वह महाराष्ट्र भर में अपना दबदबा तो कायम करे. कांग्रेस के लिए यह सोचने वाला सवाल है कि क्या वह इस बार एनसीपी और ठाकरे गुट की ताकत को पाकर कुछ कर के दिखाएगी या महाराष्ट्र में धीरे-धीरे लुप्त हो जाएगी?
Source : Hamara Mahanagar Desk - Post By : vidya Thu, Mar 16, 2023, 11:22