पुणे: महाराष्ट्र में दो विधानसभा सीटों (assembly seats) के लिए काउंटिंग शुरू है. 26 फरवरी को वोटिंग हुई थी. आज (2 मार्च, गुरुवार) अगले कुछ घंटों में रिजल्ट आ जाएगा. पुणे की कसबा और चिंचवड इन दोनों ही सीटें बीजेपी के हाथों में थीं. लेकिन अब तक हुई काउंटिंग में बीजेपी कसबा की सीट पर चार से पांच हजार मतों से पिछड़ चुकी है. चिंचवड़ की सीट (Chinchwad seat) पर जरूर पांच हजार मतों से आगे है. यानी जैसा कि एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया था, बीजेपी कसबा की सीट गंवा सकती है. अब तक आधे मतों की गिनती हो चुकी है.
कुल बीस राउंड की काउंटिंग में से बारह राउंड के वोटों की गिनती के बाद पुणे की कसबा सीट से महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi) के संयुक्त उम्मीदवार कांग्रेस के रवींद्र धंगेगर 45638 मत लेकर बीजेपी के हेमंत रासने से आगे चल रहे हैं. हेमंत रासने 40761 मतों के साथ कांग्रेस के धंगेकर से पीछे चल रहे हैं. चिंचवड़ सीट की बात करें तो यहां बीजेपी की अश्विनी जगताप 35935 मतों के साथ महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार एनसीपी के नाना काटे से पांच हजार से ज्यादा मतों से आगे है. नाना काटे को अब तक 28421 मत मिले हैं. निर्दलीय उम्मीदवार राहुल कलाटे को अब तक 11426 वोट मिले हैं.
कसबा में मविआ की एकता रंग ला रही, चिंचवड में फूट का दिख रहा असर
अगर चिंचवड़ में शिवसेना के बागी उम्मीदवार राहुल कलाटे (Rahul Kalate) खड़े नहीं होते और महाविकास आघाड़ी के वोटों में सेंध नहीं लगती तो चिंचवड़ की सीट पर भी बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बज सकती थी. निर्दलीय उम्मीदवार राहुल कलाटे के 11426 मतों को अगर नाना काटे के 28421 के मतों में जोड़ दें तो बीजेपी की अश्विनी जगताप के 35935मतों से यह काफी ज्यादा वोट हो जाते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हो सका और महाविकास आघाड़ी में फूट ने बीजेपी को चिंचवड़ सीट में निकल जाने का मौका दे दिया.
कुल मिलाकर कसबा और चिंचवड की सीट का संदेश यह है कि…
इस तरह कुल मिलाकर देखें तो कसबा की सीट जो बीजेपी का मजबूत किला मानी जाती थी. यहां पिछले 28 सालों से बीजेपी को कोई नहीं हिला पाया था, अब कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर बीजेपी के उम्मीदवार को भारी अंतर से पीछे कर चुके हैं. कसबा में 30 फीसदी वोट ब्राह्मण समाज के हैं. दिवंगत मुक्ता तिलक के निधन के बाद उनके परिवार को टिकट ना देकर बीजेपी ने गैर ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट दिया.
BJP के लिए लगातार खतरे की घंटी
सवाल है कि क्या ब्राह्मण समाज (Brahmin society) ने खुल कर नाराजगी जताई? दरअसल नाराजगी नहीं, उदासीनता दिखाई. अगर नाराजगी दिखाई होती तो सिर्फ इस मुद्दे पर ( मुक्ता तिलक के परिवार को टिकट क्यों नहीं?)हिंदू महासंघ के उम्मीदवार आनंद दवे बीजेपी का वोट काटने के लिए ही खड़े हुए थे, लेकिन उन्हें अब तक सिर्फ 121 वोट मिले हैं.
चिंचवड़ की बात करें तो दिवंगत लक्ष्मण जगताप की पत्नी अश्विनी जगताप को सहानुभूति का फायदा तब नहीं मिल पाता अगर मविआ में फूट नहीं होती. ऐसे में बीजेपी के लिए यह 2024 के चुनाव के लिए टेंशन की बात है. अगर 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी संयुक्त रूप से बीजेपी को टक्कर देगी तो बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी. बता दें कि इससे पहले विधानपरिषद की पांच सीटों के चुनाव में भी बीजेपी ने अमरावती और नागपुर की सीट गंवा दी. ये दोनों सीटें विदर्भ रीजन की हैं. विदर्भ से ही नितिन गडकरी, देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले आते हैं.



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Thu, Mar 02 , 2023, 11:40 AM