गांधीनगर,15 फरवरी (वार्ता)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने बुधवार को यहां कहा कि एक उत्कृष्ट विधायक वही होता है जो उत्कृष्ट गुणवत्तापूर्ण चर्चा और संवाद में भाग लेता है और सदन की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि सदस्यों को तथ्यों के साथ अपनी बात रखनी चाहिए क्योंकि निराधार आरोपों पर आधारित तर्क लोकतंत्र को कमज़ोर करते हैं। श्री बिरला ने गांधीनगर (Gandhinagar) में गुजरात विधानसभा (gujarat assembly) के सदस्यों के लिए आयोजित संसदीय कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद यह विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष शंकरभाई चौधरी और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। लोकसभा अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि गुजरात की 15वीं विधानसभा युवा शक्ति और अनुभव का अनूठा मेल है। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि विधानसभा में 82 नवनिर्वाचित सदस्य हैं और 15 महिलाएं निर्वाचित हुई हैं जिनमें से आठ पहली बार सदस्य बनी हैं। उन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उन पर मतदाताओं की समस्याओं के समाधान की बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए विधानमंडलों में चर्चा और संवाद होना चाहिए और चर्चा का स्तर उच्चतम स्तर का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाओं में चर्चा और संवाद का स्तर जितना ऊंचा होगा, क़ानून उतने ही बेहतर बनेंगे। सदन में सार्थक चर्चा करने के लिए यह आवश्यक है कि सदस्यों को नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी हो। इसलिए सदन को चर्चा और संवाद का एक प्रभावी केन्द्र बनना चाहिए ताकि हमारा लोकतंत्र मज़बूत बने। श्री बिरला ने पीठासीन अधिकारियों की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि पीठासीन अधिकारी का यह दायित्व है कि वह सदन की गरिमा बढ़ाने की दिशा में कार्य करें। सदनों में चर्चा के स्तर में गिरावट और सदन की गरिमा में गिरावट हमारे लिए चिंता का विषय है। एक उत्कृष्ट विधायक वही होता है जो उत्कृष्ट गुणवत्तापूर्ण चर्चा और संवाद में भाग लेता है और सदन की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। सदस्यों को तथ्यों के साथ अपनी बात रखनी चाहिए क्योंकि निराधार आरोपों पर आधारित तर्क लोकतंत्र को कमज़ोर करते हैं। उन्होंने लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विपक्ष की भूमिका सकारात्मक, रचनात्मक और शासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली चाहिए, लेकिन जिस तरह सुनियोजित तरीके से सदनों की कार्यवाही में बाधा डालकर सदनों का कार्य स्थगित करने की परंपरा डाली जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। सदन में चर्चा, वाद-विवाद, असहमति हो, लेकिन सदन में गतिरोध कभी नहीं होना चाहिए। उन्होंने सदस्यों से सदन के नियमों और प्रक्रियाओं और विगत वर्षों के वाद-विवाद का अध्ययन करने का आग्रह किया। श्री बिरला ने कहा कि सदस्य नियमों, प्रक्रियाओं और पिछले वर्षों में हुए वाद-विवाद से जितने अधिक परिचित होंगे, उनके भाषण उतने ही समृद्ध होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि नारे लगाने और विधानसभा की कार्यवाही में बाधा डालने से कोई भी श्रेष्ठ विधायक नहीं बन सकता। वन नेशन, वन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप काम चल रहा है ताकि सभी राज्यों की विधानसभाओं और उनके द्वारा पारित कानूनों पर हुए वाद-विवाद और चर्चा को एक मंच पर लाया जा सके। उन्होंने इस संदर्भ में विधानमंडलों की दक्षता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग और शोध कार्य को मजबूत करने पर बल दिया। भारत की जी-20 अध्यक्षता के बारे में उन्होंने कहा कि यह भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।



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Wed, Feb 15 , 2023, 06:42 AM