महागौरी

Sun, Oct 02 , 2022, 09:49 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥

पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी से मां महागौरी के महिमा का वर्णन
 नवरात्रि का आठवां दिन है और इस दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। मां श्वेतांबर धारी यानी सफेद कपड़े पहने हुए हैं और बैल की सवारी करती हैं। मां की चार भुजाएं हैं और मां का स्वरूप आनंद और खुशियां प्रदान करने वाला माना जाता है। यही वजह है कि मां को शांभवी नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि आठवें दिन यदि मां महागौरी की विधि विधान से पूजा की जाए, यज्ञ आहुति दी जाए, कन्या भोज किया जाए, जरूरतमंदों की सेवा की जाए, तो इससे व्यक्ति की बुद्धि प्रखर होती है, बुध ग्रह मजबूत होता है, आर्थिक और मानसिक परेशानियां दूर होती हैं और मां का आशीर्वाद जीवन में सदैव के लिए बना रहता है।
माँ महागौरी की पूजा का महत्व
मां का स्वरूप इतना गोरा है कि उसकी तुलना शंख, चंद्रमा और चमेली के फूल से की जाती है। महागौरी शब्द का शाब्दिक अर्थ निकाले तो महा मतलब महान और गौरी का अर्थ होता है सफेद। कहते हैं मां की पूजा करने से मां अपने भक्तों को आशीर्वाद तो देती ही हैं साथ ही उनके जीवन से सभी प्रकार का भाय और दुख भी दूर करती हैं। इसके अलावा मां अपने भक्तों को जो ज्ञान देती है उससे व्यक्ति जीवन में निरंतर आगे बढ़ता है, सफलता प्राप्त करता है और अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। मां महागौरी को देवी पार्वती का 16 वर्षीय अविवाहित रूप माना गया है। इसके अलावा मां को गिरी पर्वत की बेटी भी कहा जाता है। केवल अपनी दृष्टि मात्र से मां बुरी शक्तियों को परास्त करने की क्षमता रखती हैं। इसके साथ ही महागौरी देवी सुंदरता का भी प्रतिनिधित्व करती है और व्यक्ति की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।
पौराणिक मान्यताएँ
पौराणिक मान्याताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए गर्मी, सर्दी और बरसात का बिना परवाह किए कठोर तप किया था जिसके कारण उनका रंग काला हो गया था। उसके बाद शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया जिसके बाद देवी का रंग गोरा हो गया। तब से उन्हें महागौरी कहा जाने लगा।
ज्योतिषीय विश्लेषण
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


ज्योतिष सेवा केन्द्र
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री
09594318403/09820819501
email.panditatulshastri@gmail.com
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