मध्य प्रदेश में नौ सीट पर भाजपा की जीत, दो महानगर कांग्रेस के खाते में

Thu, Jul 21 , 2022, 12:15 PM

Source : Uni India

भोपाल, 21 जुलाई (वार्ता)। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (assembly elections) के पहले मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय निर्वाचन में भारतीय जनता पार्टी के इस बार 16 में से मात्र नौ पर ही सिमट कर रह जाने के परिणामों ने पार्टी को अपनी रणनीति के बारे में विचार करने पर मजबूर कर दिया है।
राज्य के दो बड़े शहर ग्वालियर और जबलपुर की नगर सरकार की कमान कांग्रेस के हाथों में जाने से पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। वहीं दूसरी ओर नगरीय निकाय निर्वाचन (urban body elections) के परिणामों ने राज्य में आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की दस्तक से भी भाजपा के खेेमे में चिंताओं को बल मिल सकता है।
राज्य में साल 2014 में हुए नगरीय निकाय निर्वाचन में सभी 16 नगर निगम भाजपा के खाते में गईं थीं। करीब आठ साल बाद हुए नगरीय निकाय निर्वाचन के बाद अब राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों के अलावा सागर, रतलाम, उज्जैन, खंडवा, सतना, देवास और बुरहानपुर में ही अपनी नगर सरकार बचा पाई है। पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान ग्वालियर-चंबल अंचल में हुआ है, जहां की ग्वालियर और मुरैना दोनों ही नगर निगम कांग्रेस (Municipal Congress) के खाते में चली गई हैं। वहीं महाकौशल की जबलपुर एवं कटनी और विंध्य की रीवा एवं सिंगरौली भी पार्टी के हाथों से फिसल गईं हैं।
पार्टी के लिए जबलपुर, कटनी और सिंगरौली के नतीजे चौंकाने वाले रहे। अरसे से भाजपा के गढ़ रहे जबलपुर में इस बार भाजपा के महापौर प्रत्याशी डॉ जितेंद्र जामदार जहां कांग्रेस के जगत बहादुर सिंह से मात खा गए, वहीं कटनी में भाजपा की ही बागी प्रत्याशी प्रीती सूरी ने पार्टी की आधिकारिक प्रत्याशी ज्योति दीक्षित को पटखनी दे दी। एक समय में किन्नर महापौर कमला मौसी के निर्वाचन की बदौलत देश भर में सुर्खियां बटोरने वाले कटनी में इस बार पहली बार कोई निर्दलीय प्रत्याशी महापौर पद पर काबिज हुई है।
वहीं सिंगरौली में पार्टी आम आदमी पार्टी की लहर को रोकने में नाकामयाब साबित हुई। यहां से आप प्रत्याशी रानी अग्रवाल भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को क्रमश: दूसरे और तीसरे पायदान पर धकेलने में कामयाब रहीं। पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने यहां श्रीमती अग्रवाल के पक्ष में प्रचार भी किया था।
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय निर्वाचन के परिणाम श्री ओवैसी के लिए भी आशा की किरण साबित हुए हैं। राज्य के मुस्लिमबहुल खंडवा और बुरहानपुर के अलावा जबलपुर में भी एआईएमआईएम के पार्षद प्रत्याशी नगर निगम में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गए हैं।
हालांकि भाजपा अपेक्षाकृत छोटे शहरों में अपनी पैठ बनाए रखने में अब भी कामयाब रही है। पिछले नगरीय निकाय निर्वाचन में 98 नगर पालिकाओं के चुनाव में भाजपा 54 सीटों पर थी, लेकिन इस वर्ष 76 नगर पालिकाओं में से 65 सीटों पर पार्टी ने बढ़त बनाई है। वहीं 2014 में 264 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 154 सीटों पर विजयी हुई थी, इस वर्ष 255 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा ने 231 सीटों पर बढ़त बनाई है।
कल आए दूसरे चरण के परिणामों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नगर पालिका और नगर परिषद में भाजपा ने जीत का ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है। कांग्रेस की जीत अधूरी है, महापौर अगर कांग्रेस का है भी तो भी पार्षदों का बहुमत भाजपा के साथ खड़ा है। महापौर के चुनावों में भाजपा 9 सीट जीती है, लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत के चुनावों में कांग्रेस साफ हो गई है।
वहीं कांग्रेस की जीत से उत्साहित पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल की ओर से पुलिस-पैसे और प्रशासन के दुरूपयोग के बाद भी कांग्रेस शून्य से पांच नगरनिगम तक पहुंची है। उन्होंने दावा किया कि 14 महीने बाद प्रदेश की जनता प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाएगी।
हालांकि राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि भाजपा भले ही अपनी जीत का जश्न मना रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव के पहले आए इन परिणामों के बाद भाजपा के रणनीतिकारों को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है।

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