-भावना वर्मा (Bhavana Verma) , चीफ एवं एपॉइंटेड एक्चुअरी – इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस (Chief & Appointed Actuary – IndiaFirst Life Insurance)
जीवन बीमा की दुनिया में "एक्चुरियल' सिद्धांतों और तकनीकों की भूमिका सबसे अहम होती है। बीमा उत्पादों का डिजाइन, उनकी कीमत, वैल्यूएशन और देनदारियों का आकलन ये सभी बेहद लंबी अवधि तक के जोखिमों का पूर्वानुमान लगाने पर आधारित होते हैं। एक्चुअरी पिछले डेटा, विशेषज्ञ राय और ग्राहकों के
व्यवहार की लगातार निगरानी के आधार पर “एक्चुरियल कंट्रोल साइकिल” के माध्यम से प्रॉडक्ट को डिजाइन करते हैं, उनमें सुधार करते हैं और उन्हें समय के साथ मजबूत बनाते रहते हैं।
लंबी अवधि वाले किसी भी बीमा उत्पाद और उसके प्रीमियम निर्धारण के लिए एक्चुअरी उन्नत सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग करते हैं। इनके आधार पर वे क्लैम, पॉलिसीधारकों के व्यवहार, खर्चों, निवेश से संभावित रिटर्न और महंगाई सहित कई आर्थिक व परिचालन कारकों का अनुमान लगाते हैं। इस आकलन में अनुभव के साथ आए डेटा, उद्योग के रुझान और भविष्य की संभावनाओं का संतुलित मिश्रण शामिल होता है। इसके अलावा, संभावित उतार-चढ़ावों के प्रभाव को समझने के लिए व्यापक सेंसिटिविटी टेस्ट किए जाते हैं। इससे रणनीतिक फैसले और जोखिम के आकलन के आधार पर उत्पाद तैयार किए जा सकें।
जीवन बीमा में मृत्युदर सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है। कई बाजारों में एक्चुरियल संस्थाएं समय-समय पर बीमित व्यक्तियों की मृत्यु से जुड़ी स्टडी जारी करती हैं, जो दावों के अनुमान की बुनियाद बनाती हैं।
बीमा कंपनियों और री-इंश्योरर्स के पास मॉर्बिडिटी (बीमारी आधारित दावों) से जुड़े अहम डेटा भी होते हैं।
यह उत्पादों के डिजाइन में मदद करता है।
ग्राहकों की बदलती जरूरतें, बढ़ते डेटा और डिजिटलीकरण के दौर में एक्चुरियों की विशेषज्ञता नवीन व्यक्तिगत और एम्बेडेड उत्पादों का रास्ता खोल रही है। मशीन लर्निंग और प्रेडिक्टिव मॉडलिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के जरिए अब जोखिम-वर्गीकरण ज्यादा सटीक बनाया जा सका है। इन सभी आधारों से
तय प्रीमियम ग्राहकों की वास्तविक जोखिम प्रोफाइल को बेहतर ढंग से दर्शा पाते हैं। मसलन, कई पॉलिसियों में फिटनेस ट्रैकर्स और वेलनेस प्रोग्राम जोड़कर स्वस्थ व्यवहार दिखाने वाले ग्राहकों को छूट दी जाती है।
री-इंश्योरर्स के वैश्विक डेटा-सपोर्ट से कंपनियां ऐसे उत्पाद भी पेश कर पा रही हैं, जिनके प्रीमियम ग्राहकों की जीवन-शैली और स्वास्थ्य जोखिम को मापने वाले सेल्फ-लर्निंग मॉडलों पर आधारित होते हैं। इसके अलावा, एक्चुरिज डेटा साइंस का इस्तेमाल कर फ्रॉड डिटेक्शन और प्रीमियम रिन्यूअल व्यवहार का भी मॉडल बनाते हैं। इससे उत्पाद की लाभप्रदता और मूल्य निर्धारण और बेहतर होता है।
चूंकि जीवन बीमा लंबी अवधि के लिए होता है। इसलिए प्रीमियम तय होने के बाद भी हर उत्पाद के लिए लगातार जोखिम प्रबंधन जरूरी होता है। इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण है “ऐसेट-लायबिलिटी मैनेजमेंट”, जिसमें एक्चुरिज यह सलाह देते हैं कि किस उत्पाद को किन वित्तीय जोखिमों से बचाने के लिए किस तरह
के निवेश और जोखिम-प्रबंधन उपकरण (जैसे ब्याज दर डेरिवेटिव) उपयोग किए जाएं।
लाइफ इंश्योरेंस मूल रूप से जोखिम का कारोबार है। इसी वजह से दुनियाभर में बीमा कंपनियों के लिए पूंजी और प्रावधान से जुड़ी सख्त मानक लागू होते हैं। एक्चुरिज इन सभी मानकों का पालन सुनिश्चित
Internal
करते हैं—वे सांख्यिकीय आकलन (डिटरमिनिस्टिक और स्टाकेस्टिक दोनों) करके यह तय करते हैं कि लंबे समय के लिए पॉलिसीधारकों की सुरक्षा हेतु कितनी देनदारियों का प्रावधान जरूरी है। एक्चुरिज ने बीमा कंपनियों को रिस्क-बेस्ड कैपिटल फ्रेमवर्क और आईएफआरएस 17 जैसे आधुनिक अकाउंट मानकों की ओर बढ़ाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। रिस्क-बेस्ड कैपिटल मॉडल यह तय करते हैं कि किसी कंपनी को किस जोखिम के अनुपात में कितनी पूंजी रखनी चाहिए ताकि महामारी जैसी अत्यधिक परिस्थितियों में भी कंपनी टिकाऊ रहे। नया आईएफआरएस 17 मानक जीवन बीमा के लंबी अवधि में मुनाफे की वास्तविक तस्वीर पेश करने में मदद करता है। इस तरह एक्चुरिज वित्तीय रिपोर्टिंग को सटीक, पारदर्शी और ग्राहक-हितैषी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कुल मिलाकर लाइफ इंश्योरेंस के हर पहलू में एक्चुरियल तकनीकों का उपयोग होता है। एक्चुरियल इनसाइट्स ही बीमा कंपनियों के रणनीतिक फैसलों और उनके वित्तीय ढांचे के केंद्र में रहते हैं।



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