Chanakya Niti: क्या घर में तुलसी सूख रही है? चाणक्य के अनुसार ये दो संकेत बताते हैं मुश्किल समय का आगाज़!!

Mon, Nov 17 , 2025, 09:30 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Chanakya Niti: चाणक्य नीति में, आचार्य चाणक्य ने जीवन के बारे में कई गहन और अमूल्य बातें लिखी हैं। ये आज भी किसी भी व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक का काम कर सकती हैं। अपने ग्रंथों में, चाणक्य ने कई संकेतों के बारे में लिखा है जो व्यक्ति को भविष्य में आने वाली चुनौतियों का पूर्वाभास कराने में मदद करते हैं। उनके अनुसार, किसी व्यक्ति के व्यवहार, आदतों, विचारों और जीवन के प्रति दृष्टिकोण का उपयोग भविष्य की परिस्थितियों का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।

वे बताते हैं कि यदि व्यक्ति अनुशासन, कड़ी मेहनत और बुद्धिमत्ता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करता है, तो वह न केवल प्रतिकूल परिस्थितियों से बच सकता है, बल्कि उन्हें अवसर में भी बदल सकता है। वहीं दूसरी ओर, जो लोग अज्ञानता, आलस्य और अनियंत्रित इच्छाओं के मार्ग पर चलते हैं, उन्हें जीवन में कठिनाइयों और असफलताओं का सामना करना पड़ता है। आइए चाणक्य द्वारा बताए गए ऐसे ही कुछ संकेतों के बारे में जानें।

तुलसी का सूखना
तुलसी न केवल एक औषधीय या सजावटी पौधा है, बल्कि वेदों में भी इसे बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। तुलसी के पौधे को देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है और घर में इसकी उपस्थिति सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और धार्मिक वातावरण को बढ़ावा देती है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी का पौधा घर में सुख, शांति और समृद्धि लाता है और मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है।

लेकिन अगर तुलसी का पौधा बिना किसी कारण के मुरझा जाए या सूख जाए, तो यह कोई सामान्य प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि एक गंभीर अपशकुन है। वेदों में इसे अशुभ माना जाता है क्योंकि यह घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का संकेत देता है।

ऐसे समय में आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह या मानसिक तनाव बढ़ सकता है। चाणक्य के अनुसार, तुलसी का सूखना व्यक्ति और परिवार के लिए एक चेतावनी है।

घरेलू समस्याएँ
एक अन्य प्रमुख लक्षण घरेलू कलह है, यानी घर में धीरे-धीरे बढ़ता कलह। अगर बिना किसी स्पष्ट या प्रत्यक्ष कारण के परिवार में अशांति, मतभेद या वाद-विवाद बढ़ रहा है, तो इसे आने वाले कठिन समय की चेतावनी माना जाता है।

ऐसे समय में घर का माहौल न केवल तनावपूर्ण हो जाता है, बल्कि आर्थिक नुकसान, मानसिक कष्ट और पारिवारिक रिश्तों में मनमुटाव भी हो सकता है। चाणक्य के अनुसार, अगर छोटी-मोटी बहस को नज़रअंदाज़ किया जाए, तो यह बड़ी समस्या बन सकती है।

टूटा हुआ शीशा या दर्पण
तीसरा प्रमुख लक्षण है टूटा हुआ शीशा या दर्पण। चाणक्य नीति और अन्य ग्रंथों के अनुसार, अगर घर में कोई शीशा या दर्पण बिना किसी बाहरी कारण के टूट जाए, तो इसे आने वाले दुर्भाग्य या संकट की चेतावनी माना जाता है। यह संकेत अक्सर तब होता है जब व्यक्ति को अपने भाग्य में किसी प्रकार की बाधा, आर्थिक या मानसिक कठिनाई या जीवन में असंतुलन का सामना करना पड़ता है।

टूटा हुआ दर्पण कोई साधारण वस्तु नहीं, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता का प्रतीक है। इसे घर में रखने से घर का माहौल खराब हो सकता है और परिवार के सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, टूटे हुए शीशे या दर्पण को तुरंत घर से हटा देना चाहिए और हो सके तो उसका उचित निपटान करना चाहिए।

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