वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शुक्रवार को यहां काशी नाटकोट्टई नगर क्षेत्रम में निर्मित धर्मशाला (Dharamshala) के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि काशी में गंगा नदी से लेकर तमिलनाडु की कावेरी नदी (Kaveri River) तक हमारी साझी परंपरा ये याद दिलाती है कि भाषाएं भले ही अलग हों, भारत की आत्मा एक ही है जो शाश्वत समावेशी और अटूट है। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्ण की मौजूदगी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'वनक्कम काशी' से अपने संबोधन को शुरू करते हुए कहा “ ये हमारे लिए सुखद संयोग है कि यूपी की इस यात्रा में उपराष्ट्रपति जी बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में पधारे हैं। श्रीकाशी नाटकोट्टई नगर क्षेत्रम मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा निर्मित धर्मशाला का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जी द्वारा हुआ है। यह श्रद्धालुओं को रहने की सुविधा उपलब्ध कराएगी साथ ही काशी और तमिलनाडु के प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करेगी।”
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम द्वारा रामेश्वरम धाम में स्थापित पावन ज्योतिर्लिंग और काशी में विराजमान भगवान आदि विश्वेवश्वर ज्योतिर्लिंग, यह एक-दूसरे के रूप में पूजित हैं। काशी विश्वनाथ और रामेश्वरम दोनों भगवान शिव के दिव्य स्वरूप हैं। यह उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकात्मता का सुंदर सार भी प्रस्तुत करता है। भगवान श्रीराम और भगवान शिव के माध्यम से निर्मित इस संबंध सेतु को आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में पवित्र पीठ की स्थापना कर आगे बढ़ाया। आदि शंकर ने काशी में आकर ज्ञान प्राप्त किया और संपूर्ण भारत को अद्वैत दर्शन का संदेश दिया। काशी ने उन्हे आत्मज्ञान दिया और उन्होंने आत्मबोध दिया। यह परंपरा हमें संतुलन और विवेक का संदेश देती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये हमारा सौभाग्य है कि आदिकाल से चली आ रही इस शाश्वत परंपरा को आज देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गति प्रदान कर रहे हैं। उनके यशस्वी नेतृत्व में देश की गौरवशाली आस्था के प्रति सम्मान के पुनर्स्थापना का कार्य आगे बढ़ रहा है। तमिलनाडु की तेनकाशी में भगवान विश्वनाथ का प्राचीन मंदिर है। तेनकाशी का अर्थ है दक्षिण की काशी। पांड्य देश के सम्राट श्रीहरि केशरी परिकराम पांडयन ने काशी से ज्योतिर्लिंग लाकर तेनकाशी में स्थापना की। तमिलनाडु में शिवकाशी नामक एक पवित्र स्थान भी है। योगी आदित्यनाथ ने बताया कि काशी और तमिलनाडु में भारतीय संस्कृति के सभी तत्व समान रूप से संरक्षित हैं। भारत में संस्कृत भाषा और तमिल साहित्य सबसे प्राचीनतम साहित्य हैं। समस्त भारतीय भाषाएं और उनके साहित्य सभी को अपने में समाहित करते हैं। समावेशी सांस्कृतिक प्रेरणा का ये स्रोत समाज में सद्भाव और समरसता बनाये हुए हैं।



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