Health Tips: बढ़ते प्रदूषण के बीच अपने शिशु की देखभाल कैसे करें?

Thu, Oct 23 , 2025, 08:50 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

New Born Health: दिवाली के बाद हवा में धूल, धुआँ और ज़हरीले कणों की मात्रा बढ़ जाती है। पटाखों का धुआँ कई दिनों तक हवा में रहता है, जिससे साँस लेना मुश्किल हो जाता है। वयस्क तो इससे निपट सकते हैं, लेकिन नवजात शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमज़ोर होती है। ऐसे में प्रदूषित हवा उनके फेफड़ों, आँखों और त्वचा को नुकसान पहुँचा सकती है। अगर बच्चा लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहे, तो उसे सर्दी-ज़ुकाम, खांसी, साँस लेने में तकलीफ़ या एलर्जी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। इसलिए दिवाली के बाद का समय नवजात शिशुओं के लिए बहुत संवेदनशील माना जाता है। नवजात शिशुओं का श्वसन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता, इसलिए प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से उनके स्वास्थ्य पर तुरंत असर पड़ सकता है।

हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसें शिशु के फेफड़ों की कार्यक्षमता को कम कर सकती हैं। इससे साँस लेने में तकलीफ़, सीने में जकड़न और रोते समय बेचैनी हो सकती है। इसके अलावा, धूल के कण आँखों में जलन और संक्रमण का कारण बनते हैं। अगर हवा ज़्यादा प्रदूषित है, तो बच्चे को बुखार या त्वचा पर चकत्ते भी हो सकते हैं। यह प्रदूषण शुरुआती दौर में शिशु के विकास और नींद के तरीके को भी प्रभावित करता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों (Health experts) का कहना है कि दिवाली के बाद नवजात शिशु की सुरक्षा के लिए घर का वातावरण साफ़ रखना सबसे ज़रूरी है। ज़्यादा से ज़्यादा घर के अंदर रहें और कमरे में एयर प्यूरीफायर या पौधे लगाएँ। घर में धूल या धुआँ न फैलने दें और जब बाहर ज़्यादा धुआँ हो तो दरवाज़े और खिड़कियाँ बंद रखें। शिशु को गोद में लेते समय, सुनिश्चित करें कि आपके कपड़ों से धूल या धुएँ की गंध न आए। शिशु के कपड़े रोज़ बदलें और उसे हल्के, सूती कपड़े पहनाएँ। अगर आपको बाहर जाना ही पड़े, तो शिशु को पूरी तरह से ढक दें ताकि प्रदूषित हवा उसके सीधे संपर्क में न आए। ऐसे समय में, शिशु की साँस लेने, नींद और भूख पर विशेष ध्यान दें और कोई भी बदलाव होने पर तुरंत जाँच करें।

शिशु की देखभाल कैसे करें?

  • प्रदूषण का स्तर ज़्यादा होने पर सुबह और शाम शिशु को बाहर न ले जाएँ।
  • कमरे में धूम्रपान या धूपबत्ती या दीया जलाने से बचें।
  • शिशु के आस-पास सफ़ाई बनाए रखें और नियमित रूप से हवादार करें।
  • शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करने के लिए उसे रोज़ाना हल्के हाथों से मालिश करनी चाहिए।
  • अगर आपको बच्चे में साँस लेने या खाँसी संबंधी कोई समस्या दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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