Ek Deewane Ki Deewaniyat Review : एकतरफ़ा प्यार और नफ़रत की अनोखी कहानी; हर्षवर्धन राणे की फ़िल्म इतनी लोकप्रिय क्यों है?!

Wed, Oct 22 , 2025, 11:05 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Ek Deewane Ki Deewaniyat Review: हर्षवर्धन राणे (Harshvardhan Rane)और सोनम बाजवा (Sonam Bajwa) की मुख्य भूमिकाओं वाली फ़िल्म 'एक दीवाने की दीवानियत'(Ek Deewane Ki Deewaniyat) देखने के लिए दर्शक सिनेमाघरों में उमड़ पड़े हैं। यह फ़िल्म दिवाली के मौके पर 21 अक्टूबर को रिलीज़ हुई थी। मिलाप जावेरी द्वारा लिखित और निर्देशित इस फ़िल्म के शीर्षक से ही साफ़ ज़ाहिर है कि यह एकतरफ़ा प्यार की कहानी होगी। हालाँकि यह फ़िल्म नब्बे के दशक की फ़िल्म लग सकती है, लेकिन हर्षवर्धन और सोनम की केमिस्ट्री, दमदार गाने और प्रेम कहानी ख़ास ध्यान खींचती है।

फ़िल्म की कहानी
यह कहानी विक्रमादित्य भोसले (Harshvardhan Rane) की है, जो एक बेहद प्रभावशाली और दबंग राजनेता का बेटा है। शहर में उसका इतना प्रभाव है कि मुख्यमंत्री भी उसे अपनी कुर्सी देने की पेशकश करते हैं। 'मेरी मर्ज़ी मेरी मर्ज़ी' उसका जीवन मंत्र है। उसके पिता (Sachin Khedekar) ने उसे ऐसे माहौल में पाला है जहाँ उसकी हर ख्वाहिश पूरी होती है। सत्ता और अधिकार के नशे में चूर विक्रम जब बॉलीवुड अभिनेत्री अदा (Sonam Bajwa) पर अपनी नज़रें गड़ाता है, तो वह उसे पाने के लिए हर संभव कोशिश करता है। लेकिन अदा के लिए, विक्रम बस एक घमंडी इंसान है। जब विक्रम उसे एक महीने के अंदर शादी करने की चेतावनी देता है और उसे ऐसा करने के लिए हर संभव कोशिश करता है, तो अदा को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

आखिरकार, अदा उसके सामने डट जाती है और विक्रम की ज़िद का अपने ही अंदाज़ में जवाब देती है। अदा कहती है, "मैं उसी के साथ रहूँगी जो दशहरे तक विक्रम की जान ले लेगा," और कहानी एक अलग मोड़ ले लेती है। विक्रम का पागलपन, अदा का प्रतिरोध और दोनों के बीच का संघर्ष आखिरकार एक ऐसे मुकाम पर पहुँच जाता है जहाँ प्यार, नफरत, ताकत और बर्बादी की सीमाएँ धुंधली पड़ने लगती हैं।

फिल्म कैसी है?
निर्देशक मिलाप जावेरी और लेखक मुश्ताक शेख ने कहानी में कई दिलचस्प मोड़ लाए हैं। दर्शक सोचने लगते हैं कि क्या सच में ऐसा हो सकता है। तुम्हारी ना के बाद हाँ और भी ज़्यादा होगी, औरत की मर्ज़ी उसकी मर्ज़ी होती है... ऐसे डायलॉग्स थिएटर में खूब तालियाँ बटोरते हैं। कुछ सीन तो बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए लगते हैं। फिर भी, मुंबई शहर में हुई शूटिंग, रेट्रो थीम म्यूजिक, खूबसूरत कोरियोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर इसे एक परफेक्ट रोमांटिक फिल्म बनाते हैं। इस फिल्म की एडिटिंग और भी बेहतर हो सकती थी। निगम बोमजान ने मुंबई के अलग-अलग लोकेशन्स को बेहद खूबसूरती से शूट किया है। 'तेरे दिल पर हक मेरा है', 'बोल कफ़रा क्या होगा', 'दिल दिल दिल' और 'मेरा हुआ' जैसे गाने सुनने लायक हैं।

हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा बड़े पर्दे पर प्यार और नफ़रत की तीव्रता को दिखाने में पूरी तरह कामयाब रहे हैं। हर्षवर्धन ने प्यार के लिए किसी भी हद तक जाने वाले प्रेमी का किरदार बखूबी निभाया है। सोनम बाजवा ने भी अपना किरदार बखूबी निभाया है। शाद रंधावा और सचिन खेडेकर अपनी सहायक भूमिकाओं में प्रभावशाली हैं।

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