Petrol Diesel Prices Today, October 21: पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें (Petrol Diesel Prices), जो रोज़ाना के खर्चों पर सीधा असर डालती हैं, देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियाँ (OMCs) हर सुबह 6 बजे अपडेट करती हैं। रेट इंटरनेशनल क्रूड ऑयल की कीमतों (international crude oil prices) और डॉलर-रुपया एक्सचेंज रेट के हिसाब से ऊपर-नीचे होते रहते हैं। नई दिल्ली से बेंगलुरु तक, आज, 21 अक्टूबर, 2025 के लिए पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें ये हैं:
बड़े शहरों में पेट्रोल की कीमतें
गुड रिटर्न्स के मुताबिक, चंडीगढ़ में पेट्रोल की कीमत सबसे कम Rs 94.30 प्रति लीटर है, जबकि दिल्ली में यह Rs 94.77 है।
बड़े शहरों में डीज़ल की कीमतें
डीज़ल चंडीगढ़ में सबसे सस्ता है, जो Rs 82.45 प्रति लीटर पर मिलता है, जो सभी शहरों में सबसे कम है।
पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में बदलाव
तेल की कीमतें ग्लोबल मार्केट, कच्चे तेल के रेट, टैक्स और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट के आधार पर रोज़ बदलती हैं। इसीलिए एक ही दिन में भी अलग-अलग राज्यों और शहरों में फ्यूल की कीमतें अलग-अलग होती हैं। अगर आप रोज़ाना आते-जाते हैं या इस वीकेंड लंबी ड्राइव का प्लान बना रहे हैं, तो आज की पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें सीधे आपके बजट पर असर डाल सकती हैं।
पिछले दो सालों से कीमतें स्थिर हैं
मई 2022 से, केंद्र सरकार और कई राज्यों द्वारा टैक्स में कटौती के बाद पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें स्थिर रही हैं। हालांकि इंटरनेशनल मार्केट में उतार-चढ़ाव होता है, लेकिन भारतीय कंज्यूमर्स के लिए कीमतें काफी हद तक स्थिर रही हैं।
फ्यूल की कीमतें तय करने वाले फैक्टर्स
कच्चे तेल की कीमतें: पेट्रोल और डीज़ल मुख्य रूप से कच्चे तेल से बनते हैं। जब इंटरनेशनल कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो इसका सीधा असर भारतीय मार्केट पर पड़ता है।
डॉलर के मुकाबले रुपया: भारत अपना ज़्यादातर कच्चा तेल इंपोर्ट करता है, और इसे डॉलर में खरीदा जाता है। अगर रुपया कमजोर होता है, तो फ्यूल और महंगा हो जाता है।
सरकारी टैक्स और ड्यूटी: केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोल और डीज़ल पर भारी टैक्स लगाती हैं, जो रिटेल कीमत का एक बड़ा हिस्सा होता है। इसी वजह से अलग-अलग राज्यों में कीमतों में अंतर होता है।
रिफाइनिंग कॉस्ट: कच्चे तेल को इस्तेमाल करने लायक बनाने (रिफाइनिंग) के प्रोसेस में भी कॉस्ट आती है। यह कॉस्ट कच्चे तेल की क्वालिटी और रिफाइनरी की कैपेसिटी पर निर्भर करती है।
डिमांड और सप्लाई बैलेंस: अगर मार्केट में फ्यूल की डिमांड बढ़ती है, तो कीमतें भी बढ़ जाती हैं। त्योहारों, गर्मी या सर्दी के मौसम में फ्यूल की खपत खास तौर पर ज़्यादा होती है।
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Tue, Oct 21 , 2025, 12:46 PM