Lakshmi Puja importance: दिवाली में लक्ष्मी पूजा क्यों महत्वपूर्ण है? पढ़ें और जानें पूजा की कहानी!

Mon, Oct 20 , 2025, 09:45 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Lakshmi Puja importance: लक्ष्मी पूजा दिवाली का एक महत्वपूर्ण दिन है, जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए मनाया जाता है। लक्ष्मी पूजा हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को की जाती है।

लक्ष्मी पूजा क्यों की जाती है?
धन और समृद्धि के लिए: देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, और उनकी पूजा से भक्तों को आर्थिक लाभ और सुख-समृद्धि मिलती है।
लक्ष्मी का आगमन: माना जाता है कि देवी लक्ष्मी रात के दौरान पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जिन घरों को साफ-सुथरा और सजाया गया होता है, वहां निवास करती हैं।
दीपावली का महत्व: लक्ष्मी पूजा दिवाली के त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश का प्रतीक है। 
लक्ष्मी पूजा के पीछे कई पौराणिक कथाएँ हैं। कुछ प्रमुख कथाएँ इस प्रकार हैं:

पहली कथा (समुद्रमंथन)
समुद्रमंथन: यह कथा सबसे प्रचलित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग और देवता दरिद्र हो गए थे।
क्षीरसागर मंथन: इस संकट से निकलने का रास्ता खोजने के लिए, देवताओं और दानवों ने मिलकर क्षीरसागर का मंथन करने का निर्णय लिया।
देवी लक्ष्मी का अवतार: समुद्रमंथन से 14 रत्न निकले, जिनमें से एक देवी लक्ष्मी भी थीं। वे कमल पर विराजमान थीं।
भगवान विष्णु का वरदान: तब देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पति के रूप में स्वीकार किया। भगवान विष्णु ने उन्हें सदैव अपने साथ रहने का आशीर्वाद दिया।
पूजा की शुरुआत: इसी घटना की स्मृति में, दिवाली की रात लक्ष्मी की पूजा की जाती है ताकि घर में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य का वास हो।

दूसरी कथा (राजा बलि और भगवान विष्णु)
राजा बलि की कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार राजा बलि ने अपने पराक्रम से तीनों लोकों पर राज्य स्थापित कर लिया था। देवता उनके साम्राज्य से भयभीत थे।
वामन अवतार: तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से तीन पग भूमि माँगी। राजा बलि ने उसे स्वीकार कर लिया।
बलि की मुक्ति: भगवान विष्णु ने दो पगों में तीनों लोकों को ढक दिया और तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रख दिया। इससे बलि पाताल लोक चले गए। हालाँकि, राजा बलि की भक्ति के कारण, भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि देवी लक्ष्मी दिवाली की रात उनसे मिलने आएंगी।
लक्ष्मी की मुक्ति: सनातन संस्था के अनुसार, इसी दिन विष्णु ने लक्ष्मी सहित सभी देवताओं को बलि की कैद से मुक्त कराया और फिर क्षीर सागर में विश्राम करने चले गए। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है।

तीसरी कथा (श्री राम और अयोध्या)
वनवास समाप्ति: दिवाली के दिन, भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे।
अयोध्यावासियों की खुशी: श्री राम के आगमन पर, अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों और रोशनी से जगमगा दिया और उत्सव मनाया।
राज्याभिषेक और पूजा: श्री राम के राज्याभिषेक के बाद, उन्होंने भगवान गणपति और देवी लक्ष्मी की पूजा की। तभी से, बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दिवाली मनाने की परंपरा स्थापित हुई और लक्ष्मी पूजा को महत्व मिला।

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