Bihar Elections: राजग चुनावी मोर्चे पर मजबूती से उतरा महागठबंधन; पार्टी में बिखराव!

Mon, Oct 20 , 2025, 08:45 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

पटना: खुद को सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को चुनौती देने वाला सबसे मज़बूत विपक्षी मोर्चा कहने वाला महागठबंधन अपने घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर उलझ गया है और चुनाव में प्रथम चरण में नामांकन की वापसी की अंतिम तिथि समीप आने के साथ उनका आपस में तालमेल अब "महा-विवाद" बनता जा रहा है। महागठबंधन के घटक दल हफ़्तों से बातचीत में मशगूल हैं लेकिन 17 अक्टूबर को पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी सीटों के बंटवारे का फ़ॉर्मूला अंतिम रूप से सामने नही आ पाया है। 

महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, वामपंथी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) सभी ने स्वतंत्र रूप से नामांकन दाखिल किए हैं। महागठबंधन के घटक दलों में तालमेल के अभाव में "फ्रेंडली फाइट" के हालात उत्पन्न हो गए हैं, क्योंकि महा गठबंधन के उम्मीदवारों ने अपने तीर का तरकश एक दूसरे की तरफ तान दिया है। महागठबंधन के एक से ज्यादा उम्मीदवारों का एक ही सीट पर लड़ना, वोट बंटवारे का कारण बनेगा, जिससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राजग को करीबी मुकाबलों में निर्णायक बढ़त मिल सकती है।

छह नवंबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव के लिए 121 सीटों पर नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर है, ऐसे में महागठबंधन के नेताओं को पूरा विश्वास है कि एक ही सीट पर दो घटक दलों के उम्मीदवारों के नामांकनों का मामला सुलझ जाएगा। राजद, कांग्रेस और वीआईपी के नेताओं ने कहा कि ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों के अतिरिक्त उम्मीदवार तालमेल के बाद अपने नामांकन वापस ले लेंगे। मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर आम सहमति न बनने से महागठबंधन की स्थिति और जटिल हो गई है। राजद ने कथित तौर पर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि कांग्रेस की ओर से कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है।

वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी खुद को उपमुख्यमंत्री के रूप में पेश करने की मांग कर रहे थे और एक समय लग रहा थे कि वह इस गठबंधन से बाहर निकल जाएंगे लेकिन अंततः गठबंधन नेताओं के हस्तक्षेप के बाद मामले को सुलझा लिया गया। इस बीच, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के फैसले ने महागठबंधन को एक और झटका दिया है। झामुमो प्रमुख और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजद नेतृत्व द्वारा सीट आवंटन में बार-बार की गई उपेक्षा का हवाला देते हुए घोषणा की कि उनकी पार्टी चकाई, कटोरिया और जमुई सहित छह निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारेगी।

झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने स्पष्ट रूप से कहा कि झारखंड में राजद को सीटों के बंटवारे में उदारतापूर्ण व्यवस्था मिली, लेकिन बिहार में वह ऐसा करने में विफल रही। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कुछ भी सहन कर सकती हैं, लेकिन अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकती। चुनाव प्रक्रिया के दौरान नामांकन जांच में मिली त्रुटियों ने महागठबंधन की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। वीआईपी के गणेश भारती ने हस्ताक्षर न होने के कारण अपना पार्टी चिह्न खो दिया और अब वह कुशेश्वरस्थान से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। राजग की ओर से भी मढ़ौरा से लोजपा (रामविलास) उम्मीदवार भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री सीमा सिंह का नामांकन खारिज कर दिया गया, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन के पास उस सीट के लिए कोई उम्मीदवार नहीं बचा है।

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