नयी दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में हाल में किये गए सुधारों को 'सही दिशा में लौटने वाला कदम" बताने जैसी विपक्षी कांग्रेस पार्टी की टिप्पणियों को लेकर उसकी तीखी आलोचना की और कहा कि कांग्रेस में जीएसटी पर बोलने वालों को शिक्षित किए जाने की जरूरत है। सीतारमण जीएसटी में सुधार के प्रभाव पर विशेष रूप से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं जिसमें उनके साथ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सूचना एवं प्रसारण, रेल तथा इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी (मेइटी) मंत्रालय के मंत्री अश्विनी वैष्णव भी थे।
सीतारण ने कहा, 'मेरा ईमानदारी से यह सुझाव है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से जीएसटी पर जो भी बोलता हे, उसे कुछ पूर्व वित्त मंत्रियों के साथ बिठा कर टिप्पणी करने से पहले उन्हें शिक्षित करना चाहिए।" उनसे पूछा गया था कि कांग्रेस पार्टी जीएसटी सुधारों को 'सही राह पर लौटने वाला कदम' बता रही है और वह इस बात की जवाबदेही भी चाहती है कि इतने समय तक लोगों को जीएसटी के ऊंचे बोझ के नीचे क्यों रखा गया। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस की ओर से बोलने वालों को न जाने कौन सिखाता-पढ़ाता है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी की राह मोदी सरकार ने ही निर्धारित की थी और सात-आठ साल के अंदर ही सरकार ने जनता और पूरी अर्थव्यवस्था के फायदे के लिए अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में अब और सुधार किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि किसी भी सरकार का कर कम करने का कोई कदम 'कोर्स करेक्शन' (सही दिशा में लौटना) नहीं होता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दिनों में कर यह 98 प्रतिशत, 91 प्रतिशत तक थे।.. और अगर वे इसे कोर्स करेक्शन कहना भी चाहें, तो कांग्रेस के ज़माने में उन्होंने इसकी कोशिश भी नहीं की थी।
वित्त मंत्री ने कहा, ''मेरा मानना है कि जीएसटी में कमी लोगों के हित में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमें यही करने के लिए कह रहे हैं। सात साल, आठ साल के भीतर, कर की दर कम करने का कोई विकल्प सामने आ रहा है। तो यह कोई सही रास्ते पर लौटने जैसी बात नहीं है।'' उन्होंने जीएसटी में कटौती को अमेरिकी शुल्क नीति या बिहार चुनाव से जोड़ने की बात को भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि देश में कहीं न कहीं तो चुनाव लगा ही रहता है। प्रधानमंत्री मोदी ने -"एक देश, एक चुनाव" का प्रस्ताव रखा । उससे इस तरह के सवालों से बचा जा सकता है। वित्त मंत्री ने कहा, ''चुनाव आते-जाते रहते हैं। हालाँकि, चुनाव किसी भी नीति पर असर डाल सकते हैं, और नीति का चुनावों पर असर पड़ सकता है। ये ऐसे जुड़े हुए प्रभाव हैं जिनके साथ आपको जीना ही होगा..."
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा " विपक्ष आज लाचार और हताश है। जनता उन्हें एक-एक करके नकार रही है... दुर्भाग्य से विपक्ष को राष्ट्रीय और जनहित की कोई परवाह नहीं है। वे हर चीज़ का राजनीतिकरण करने में लगे हैं, और आज भारत की जनता इसे स्वीकार नहीं करती।" उन्होंने इसी संदर्भ में विभिन्न राज्यों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जीत का भी उल्लेख किया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के कई नेताओं ने सवाल किया था कि सरकार को जीएसटी के स्लैब को घटाने और दरों में कमी में आठ साल क्यों लग गए जबकि वह शुरू से ही जीएसटी के प्ररंभिक डिजाइन को लेकर आगाह कर रही थी।
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने दावा किया कि अर्थव्यवस्था जीएसटी लागू किये जाने और नोटबंदी के दोहरे "मोदी-प्रदत्त झटकों" से उबर नहीं पाई है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने जीएसटी को 'गब्बर सिंह टैक्स' बताकर इसकी आलोचना की थी। मंत्रियों ने कहा कि जीएसटी में सुधार का यह विचार जीएसटी परिषद में एक वर्ष पहले से चल रहा था। उस समय अमेरीकी शुल्कों के विचार की तो छाेड़िये, अमेरिका में पिछले चुनाव भी नहीं हुए थे।
सीतारमण ने कहा कि शुरू में जीएसटी की राजस्व निरपेक्ष दर 15 प्रतिशत मानी थी जो 11 प्रतिशत पर आ गयी है। उन्होंने कहा कि जीएसटी में कमी से लघु एवं मझौले उद्यमों को काफी फायदा हो रहा है। उनके उत्पादन में लगने वाले कच्चे माल और माध्यमिक वस्तुओं के दाम जीएसटी में कमी से घटे हैं। इससे उत्पादन लागत कम हुई है। वित्त मंत्री ने कहा कि करों में कमी से मांग बढ़ी है। इससे कर आय में भी वृद्धि की संभावना है। उन्होंने जीएसटी में कटौती से निवेश में सुधार की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह मांग और पूर्ति पर निर्भर करता है। मांग बढ़े पर उद्यमी खुद जरूरत के हिसाब से क्षमता बढ़ाने पर निवेश के निर्णय लेते हैं।
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