श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री (Former Jammu and Kashmir Chief Minister) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने प्रशासन पर नेताओं को नजरबंद करने का आरोप गुरुवार को लगाया। उन्होंने कहा हुर्रियत के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अब्दुल गनी भट (Professor Abdul Gani Bhat) के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिये सोपोर जाने नहीं दिया जा रहा और राजनेताओं को नजरबंद किया गया है। उदारवादी हुर्रियत नेता दिवंगत भट (90) का कल शाम सोपोर के बोटेंगो गांव स्थित घर पर संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया था। इसके बाद कल देर रात उन्हें उनके पैतृक गांव में दफना दिया गया।
अपने सोशल मीडिया एक्स के एक पोस्ट में सुश्री महबूबा ने कहा कि राजनीतिक दलों के नेताओं को श्रद्धांजलि देने से रोकने के लिये उन्हें नजरबंद करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर प्रशासन की कठोर और अलोकतांत्रिक वास्तविकता को दिखाता है। सुश्री मुफ्ती के आरोपों पर उपराज्यपाल प्रशासन की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी है। सुश्री महबूबा ने हजरतबल दरगाह की घटना का भी जिक्र करते हुए कहा कि वह लोगों के गुस्से का विस्फोट मात्र एक घटना नहीं था बल्कि उन लोगों द्वारा किया जोरदार साफ संदेश था, जिन्हें हाशिये पर धकेल दिया गया था।
उन्होंने भाजपा पर कश्मीरियों के गुस्से को जानबूझकर नहीं देखने का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी अभी तक वर्षों से दबी हुई भावनाओं से सीखने से इनकार कर रही है।
उन्होंने कहा कि अब यह साफ हो गया कि भाजपा को कश्मीर में शांति या सुधार करने में कोई रूचि नहीं है। लग रहा कि वे इस क्षेत्र को लगातार अशांति बनाये रखना चाहते हैं, देश के बाकी हिस्सों में भी अपने राजनीतिक लाभ के लिए दर्द और अशांति को हथियार बना रहे हैं। यह निंदनीय दृष्टिकोण न केवल गैर-जिम्मेदाराना है बल्कि यह खतरनाक और पूरी तरह से निंदनीय है।
दिवंगत भट की मौत के कुछ घंटे बाद हुर्रियत अध्यक्ष मिरवाइज उमर फारूक ने अधिकारियों में आरोप लगाया कि प्रोफेसर भट के परिवार को अंतिम संस्कार की प्रार्थना जल्दबाजी में समाप्त करने के लिए मजबूर किया गया। उन्हें दिवंगत भट की अंतिम यात्रा होने से रोकने के लिये घर में नजरबंद कर दिया गया। उन्होंने अपने एक्स के एक पोस्ट में लिखा कि मेरी दोस्ती और मार्गदर्शन का उनके साथ 35 साल का रिश्ता रहा। उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए और भी कई लोग तरस रहे थे। उनके जनाजे में शामिल होने और अंतिम विदाई देने से भी वंचित रहना एक असहनीय क्रूरता है।
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Thu, Sep 18 , 2025, 01:46 PM