Mutual Fund Schemes: सेबी ने म्युचुअल फंड योजनाओं से निकलने का भार घटाया, बड़ी कंपनियों के लिए आईपीओ के नियम होंगे आसान!

Sat, Sep 13 , 2025, 08:35 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई: पूंजी बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड योजनाओं द्वारा लगाए जा सकने वाले अधिकतम स्वीकार्य निकास भार को 5% से घटाकर 3% कर दिया है। सेबी निदेशक मंडल की यहां शुक्रवार को हुई बैठक में म्यूचुअल फंड क्षेत्र में निवेशकों की सुरक्षा, बड़ी कंपनियों के शेयरों की लिस्टिंग, सेबी रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रेइट) और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख उपायों को मंजूरी दी। सेबी ने कहा है कि म्युचुअल फंड योजनाओं से निकासी पर चार्ज में संशोधन इस उद्योग नियामक ढांचे को पूंजी बाजार में प्रचलित परिपाटी के अनुरूप बनाता है। बाजार में योजनाओं से निकालने पर लगाये जाने वाले चार्ज आमतौर पर 1% से 2% के बीच होता है।

नई सीमा का उद्देश्य कम तरल प्रतिभूतियों में निवेश करने वाली योजनाओं के लिए लचीलापन बनाए रखते हुए निवेशकों की सुरक्षा को संतुलित करना भी है। सेबी ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के माध्यम से बड़ी कंपनियों द्वारा धन उगाहने को सरल बनाने की योजना को मंजूरी दी है। सेबी ने कहा कि यदि सूचीबद्धता के बाद कंपनियों का बाजार पूंजीकरण पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक है, तो वे अब अपने आईपीओ में अपनी चुकता शेयर पूंजी के न्यूनतम 2.5% के बराबर का आईपीओ ला सकती है। अभी यह न्यूनतम सीमा 5% है। इससे बड़ी कंपनी कंपनियों के लिए आईपीओ को अपनाना आसान होगा।

सेबी के फैसले के अनुसार, 50,000 करोड़ रुपये से एक लाख करोड़ रुपये के बीच बाज़ार पूंजीकरण वाली कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) की शर्त को पांच साल में पूरा कर सकेंगी जबकि वर्तमान सीमा तीन वर्ष है। सूचीबद्धता के बाद एक लाख करोड़ रुपये से अधिक बाज़ार पूंजीकरण वाली कंपनियों को इस मानदंड का पालन करने के लिए 10 वर्ष तक का समय दिया जाएगा। सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "हम मौजूदा 4,000 करोड़ रुपये के स्तर से अधिक के बाजार पंजीकरण वाले कंपनियां के लिए चार अतिरिक्त सीमाएं लागू कर रहे हैं: 4,000 करोड़ रुपये से 50,000 करोड़ रुपये, 50,000 करोड़ रुपये से एक लाख करोड़ रुपये, एक लाख करोड़ रुपये से पांच लाख करोड़ रुपये और पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक की सीमा।"

सेबी रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रेइट) और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट (इन्विट) की निवेश योजना को इक्विटी इंस्ट्रूमेंट (शेयर योजना) के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने कभी फैसला किया है। रेइट और इन्विट मानदंडों के तहत 'रणनीतिक निवेशक' की परिभाषा को व्यापक बनाते हुए, क्यूआईबी को भी इसमें शामिल करेगा। सेबी नेस्टॉक एक्सचेंजों में दो कार्यकारी निदेशकों की नियुक्ति अनिवार्य करके उनके के प्रशासनिक ढांचे में व्यापक बदलाव करने कभी फैसला किया। मान्यता प्राप्त निवेशकों वाले वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के लिए नियामकीय ढाँचे को सरल बनाने की प्रस्तावों को भी मंज़ूरी दी गयी है। सेबी ने कल की बैठक मेंसंस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए आईपीओ में एंकर निवेशकों के लिए शेयर-आवंटन ढाँचे में बदलाव का फैसला किया है।

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