लखनऊ, 24 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) (Bharatiya Janata Party(BJP) आगामी विधानसभा चुनाव (assembly elections) से पहले पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) में पूरी ताकत से उतरेगी । बीजेपी सूत्रों की मानें तो पार्टी पंचायत चुनाव को सेमीफाइनल मानकर बूथ स्तर पर माइक्रो मैनेजमेंट की कवायद में जुट गई है।
बीजेपी के सूत्रों की मानें तो पूर्व तैयारी - पूर्ण तैयारी' का नारा देते हुए, भाजपा ने लगभग आठ से नौ महीने पहले ही पंचायत चुनावों के लिए हर बूथ तक पहुंचकर माइक्रो मैनेजमेंट शुरू कर दिया है। भाजपा (bjp) ने बूथ स्तर पर हर गांव में अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के साथ ही मतदाताओं का पंजीकरण करने के लिए घर-घर जाना शुरू कर दिया है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि भाजपा के शीर्ष नेताओं के लिए, 2026 के पंचायत चुनाव 2027 के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले का सेमीफाइनल की तरह हैं। हर जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं तक पहुंचते हुए, भाजपा के प्रदेश महासचिव (संगठन) धरमलाल सिंह ने यह सुनिश्चित करने का जिम्मा उठाया है कि पार्टी सभी 75 ज़िला पंचायतों में अपनी चमक बिखेरे।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अवनीश त्यागी ने कहा, "पार्टी ने बूथ समितियों, मंडल इकाइयों और शक्ति केंद्रों को सक्रिय करके ग्रामीण मतदाताओं तक पहुँचने की रणनीति बनाई है। प्रत्येक ज़िले में बैठकें आयोजित करके कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनावों का महत्व समझाया जा रहा है।"
सबसे ज्यादा विवाद और दुश्मनी ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत के चुनावों को लेकर होती है। ज्यादातर पार्टी कार्यकर्ता प्रधान या क्षेत्र पंचायत सदस्य बनना चाहते हैं। ऐसे में विवाद से बचने के लिए पार्टी ने ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत के चुनावों में हस्तक्षेप न करने का फैसला किया है।
हाल ही में गठित बूथ समितियों, मंडल इकाइयों और शक्ति केंद्रों की पहली परीक्षा पंचायत चुनाव होंगे। पार्टी नेतृत्व ने संदेश दिया है कि बेहतर प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।
पार्टी ग्रामीणों को राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से भी अवगत करा रही है।उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद, पार्टी का राज्य नेतृत्व पंचायत चुनावों को एक बड़े सुधार के अवसर के रूप में देख रहा है।
समाजवादी पार्टी के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) फॉर्मूले का मुकाबला करने के लिए, भाजपा भी मंडल और ग्राम स्तर पर स्थानीय जातिगत समीकरण पर ध्यान केंद्रित करेगी। पंचायत चुनावों को लेकर भाजपा की गंभीरता बेवजह नहीं है।
उत्तर प्रदेश में लगातार 2014 और 2019 कलोकसभा और 2017, 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया है। पार्टी उत्तर प्रदेश के चार चुनावों में अपनी जातिगत समीकरणों , मोटे तौर पर गैर-जाटव दलितों, गैर-यादव ओबीसी और उच्च जातियों को बरकरार रखने में सफल रही।
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