चेन्नई, 08 फरवरी (वार्ता)। तमिलनाडु में इरोड ईस्ट विधानसभा (Erode East Assembly Constituency) क्षेत्र के लिए पांच फरवरी को हुए उपचुनाव के लिए शनिवार सुबह मतगणना (Counting of votes) शुरू हो गई और सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) उम्मीदवार वी सी चंद्रकुमार (V C Chandrakumar) ने शुरुआती बढ़त बना ली है।
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं इरोड के जिला कलेक्टर राजा गोपाल सुनकारा ने कहा कि मतगणना के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं और सीसीटीवी कैमरों से प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि मतगणना केंद्र पर सशस्त्र पुलिस कर्मियों की तैनाती सहित कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
निर्वाचन क्षेत्र के 237 बूथों पर बुधवार को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए मतदान के दौरान कुल 2.27 लाख मतदाताओं में से लगभग 70 प्रतिशत ने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया।
मतदान के बाद सील कर दी गईं और स्ट्रॉन्ग रूम में रखी गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को कड़ी सुरक्षा के बीच मतगणना केंद्र पर लाया गया।
सिथोडे गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में सुबह आठ बजे से गिनती शुरू हुई। सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती की गई और उसके बाद ईवीएम में डाले गए वोटों की गिनती की गई।
उपचुनाव में 46 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा, यह दो साल में इस निर्वाचन क्षेत्र में दूसरा उपचुनाव है। प्रमुख राजनीतिक दलों के मुकाबले से दूर रहने के बावजूद 46 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ द्रमुक के वीसी चंद्रकुमार और अभिनेता-निर्देशक सीमान की नाम तमिलर काची (एनटीके) की एमके सीतालक्षी के बीच था।
शुरुआती रुझानों से पता चला है कि द्रमुक उम्मीदवार ने शुरुआती बढ़त बना ली है।
इरोड पूर्व में पिछले साल दिसंबर में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं मौजूदा विधायक ईवीकेएस एलंगोवन की मृत्यु के बाद दो साल में दूसरा उपचुनाव है। वर्ष 2021 के बाद से इस सीट पर यह तीसरा चुनाव है, जिसमें श्री एलंगोवन के बेटे थिरु महान ई.वी.रा पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए थे।
बाद में उनकी असामयिक मृत्यु के परिणामस्वरूप 28 फरवरी, 2023 को उपचुनाव हुआ और इसे श्री एलंगोवन ने 66 हज़ार से अधिक मतों के उच्चतम अंतर से जीता और 39 वर्षों के अंतराल के बाद राज्य विधानसभा में प्रवेश किया।दिसंबर 2024 में श्री एलंगोवन की मृत्यु के परिणामस्वरूप इस सीट पर एक और उपचुनाव कराना पड़ा।
पिछले उपचुनावों की तुलना में कम महत्वपूर्ण अभियान के बावजूद द्रमुक को पहले से ही जीत का भरोसा था। तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों और द्रमुक सांसद सुश्री कनिमोझी को छोड़कर, पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और स्टार प्रचारक एवं उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन सहित द्रमुक के शीर्ष नेताओं में से कोई भी प्रचार अभियान में नहीं उतरा था।
राजनीतिक पर्यवेक्षक इस उपचुनाव को 'डेड रबर' प्रतियोगिता के रूप में देख रहे हैं क्योंकि एकमात्र सवाल द्रमुक की जीत के वोटों के अंतर के बारे में है।



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