नयी दिल्ली: अमेरिका का जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय(Johns Hopkins University) भारत में क्षय रोग (टीबी) उन्मुलन(elimination of tuberculosis) की दिशा में तेजी लाने और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित तथा चिकित्सा के क्षेत्र में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए दो राष्ट्रीय कार्यक्रमों में निवेश करेगा। यह घोषणा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रोनाल्ड जे. डेनियल्स ने सोमवार को की।
गौरतलब है कि बच्चों में टीबी के खात्मे के लिए राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग छह प्रतिशत टीबी मामले 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होते हैं। इसे हल करने के लिए, जॉन्स हॉपकिन्स के शोधकर्ता भारतीय सहयोगियों के साथ मिलकर टीबी-फ्री स्कूल्स इनिशिएटिव लॉन्च कर रहे हैं। यह पहल हिमाचल प्रदेश में एक किफायती प्रोजेक्ट की सफलता पर आधारित है, जिसने रेजिडेंशियल स्कूलों में टीबी के मामलों में 87 प्रतिशत की कमी लाने में कामयाबी हासिल की है। इस पहल को महाराष्ट्र के पुणे और सतारा, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, और तमिलनाडु के चेन्नई सहित तीन राज्यों के चार क्षेत्रों में लागू किया जाएगा।
इसका उद्देश्य भारत में दिन में चलने वाले विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में सक्रिय और निष्क्रिय टीबी के मामलों को रोकने, उसका निदान करने और फिर उनका इलाज करने पर केंद्रित है। इसके तहत रोगियों की देखभाल, उनकी शिक्षा और परामर्श से जुड़ी सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी। यह पहल भारत सरकार, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर, और मुकुल माधव फाउंडेशन के सहयोग से चलाई जाएगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सेंट्रल ट्यूबरकुलोसिस डिवीजन की उप महानिदेशक डॉ. उर्वशी बी. सिंह ने कहा, "बचपन में होने वाली टीबी का इलाज और रोकथाम भारत में टीबी उन्मूलन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह पहल विद्यालयों में बड़े पैमाने पर लागू किए जा सकने वाले स्क्रीनिंग के तरीकों पर जोर देता है जो काफी किफायती भी है।"
एसटीईएमएम में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए करियर एडवांसमेंट इनिशिएटिव
में महिलाओं की भागीदारी वैश्विक स्तर पर कम है। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, इसमें महिलाओं का हिस्सा केवल 29 प्रतिशत है। भारत में हालांकि एसटीईएमएम स्नातकों का प्रतिशत 43 प्रतिशत है, लेकिन भारत के अनुसंधान कार्य स्थल में महिलाओं की भागीदारी केवल 17 प्रतिशत है।
डेनियल्स ने कहा, "भारत प्रतिभा और अवसरों का देश है। जॉन्स हॉपकिन्स अपने भारत में दीर्घकालिक सहयोग और उनके प्रभाव को महत्व देता है। हम इन दोनों कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए काफी उत्साहित हैं जो इनोवेशन और मानवता के विकास के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।"



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